Move to Jagran APP

अभिभावक खुद करें बच्‍चों को भेजने की व्‍यवस्‍था, स्‍कूल बंद कर रहे हैं बस सेवा Meerut News

परिवहन नियमों में हुए बदलावों के कारण मेरठ में बस सेवा को संचालित रखने पर अत्यधिक खर्च को कारण बताते हुए स्कूल संचालकों व ट्रांसपोर्टर्स बस सेवा बंद करने जा रहे हैं।

By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 12:57 PM (IST)
अभिभावक खुद करें बच्‍चों को भेजने की व्‍यवस्‍था, स्‍कूल बंद कर रहे हैं बस सेवा Meerut News
अभिभावक खुद करें बच्‍चों को भेजने की व्‍यवस्‍था, स्‍कूल बंद कर रहे हैं बस सेवा Meerut News
मेरठ, जेएनएन। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में अब बस सेवा बंद हो जाएगी। परिवहन नियमों में हुए बदलावों के कारण बस सेवा को संचालित रखने पर अत्यधिक खर्च को कारण बताते हुए स्कूल संचालकों व ट्रांसपोर्टर्स बस सेवा बंद करने जा रहे हैं। बसों की हड़ताल करने के बजाय परिजनों को धीरे-धीरे इसकी जानकारी दी जाएगी। गुरुवार को होटल कंट्री इन में हुई कॉन्फेडरेशन ऑॅफ इंडीपेंडेंट स्कूल्स यानी सीआइएस से जुड़े पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में यह सहमति बनी है। कार्यकारी परिषद की बैठक में शामिल 16 जिलों ने स्कूल बसों का संचालन जारी रखने में असमर्थता जताई है।
आरटीई के खिलाफ जाएंगे कोर्ट
आरटीई यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों में दाखिले बढ़ने लगे हैं। स्कूल प्रदेश सरकार से मिलने वाले 5,400 रुपये में बच्चों को पढ़ाने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं। सीआइएस के अनुसार आरटीई के सेक्शन-21 में सरकार का प्रति बच्चे पर खर्च या स्कूल की फीस में जो कम हो वहीं दिए जाने का प्रावधान है। सरकार एक बच्चे पर 36,764 रुपये प्रति वर्ष खर्च कर रही है जबकि निजी स्कूलों को 5,400 रुपये प्रति छात्र प्रति वर्ष दिया जा रहा है। बच्चे कम है तो किसी तरह पढ़ा रहे हैं लेकिन 25 फीसद सीट पर आरटीई के दाखिले होने पर पढ़ाना संभव नहीं होगा। स्कूलों की मांग अनसुनी होने के बाद सीआइएस ने गुरुवार को लीगल सेल का गठन किया जो इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
बच्चों पर शुल्क लगाना गलत
स्कूलों ने सीबीएसई द्वारा स्कूल बदलने पर छात्रों से शुल्क लेने को भी छात्रों पर अतिरिक्त बोझ बताया। सीबीएसई व अन्य बोर्ड के बच्चों से एक हजार या पांच हजार रुपये शुल्क लेने का स्कूलों द्वारा विरोध करने पर सीबीएसई ने दोनों शुल्क को रद कर दिया है। अब भी 10वीं व 12वीं में फेल होने वाले बच्चों से सीबीएसई दोबारा दाखिला देने पर पांच हजार रुपये शुल्क लेगा। स्कूलों के अनुसार फेल बच्चे के परिजनों पर पहले ही बोझ बढ़ जाता है। ऐसे में पूरे साल की फीस व परीक्षा शुल्क के अलावा पांच हजार रुपये अतिरिक्त बोझ है।
कम करें बोर्ड परीक्षा की अवधि
साल 2019 में सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा 16 फरवरी से चार अप्रैल तक चली थी। इससे परीक्षा केंद्र बने स्कूलों की पढ़ाई इस दौरान बाधित होती है। स्कूलों का प्रतिनिधिमंडल इस बाबत सीबीएसई पदाधिकारियों से मुलाकात कर बोर्ड परीक्षा की अवधि कम करने की मांग करेगा। परीक्षा दो पालियों में भी कराने की मांग रखी जाएगी।
मान्यता को लेकर बढ़ी समस्या
सीबीएसई ने 18 अक्टूबर 2018 को संशोधित बाइलॉज में स्कूलों को बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता लेना अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में स्कूलों को अब सीबीएसई से मान्यता लेने की पूरी प्रक्रिया करने के साथ ही बीएसए से भी मान्यता लेनी होगी। यह व्यवस्था आरटीई के दाखिले को सुनिश्चित करने के लिए की गई है, लेकिन जिलों में बेसिक शिक्षा विभागों में यह व्यवस्था लागू नहीं हुई है। बीएसए कार्यालय सीबीएसई स्कूलों की फाइल स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उधर, सीबीएसई सीधे मान्यता देने से मना करने लगा है। जिन स्कूलों को मान्यता रिनीवल करानी है उन पर मान्यता रद होने की तलवार लटक रही है। इसके खिलाफ भी सीआइएस अदालत जाएगी।
अभिभावकों को स्वयं ही करनी होगी व्यवस्था
सीआइएस के सचिव राहुल केसरवानी के अनुसार पहले जहां स्कूल फीस में 15 से 20 फीसद तक बढ़ोतरी कर अन्य खर्च के नुकसान की भरपाई कर लेते थे, वह अब बंद हो गया है। अब फीस बढ़ोतरी नौ से 10 फीसद के बीच ही हो सकती है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट सेवा का संचालन लगातार घाटा देने वाला है। अब परिजनों को स्वयं बच्चों को स्कूल भेजने और वापस ले जाने की व्यवस्था करनी होगी। 

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.