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अपना देश अपना शहर : ननिहाल में भारतीय संस्कृति में सराबोर हो रहा कनाडा का बच्चा Meerut News

ननिहाल मेरठ में कनाडा की सांइटिस्ट का बेटा रह रहा है। संयुक्त परिवार के साथ दो साल का शिवा अध्यात्म भी सीख रहा है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 03:54 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 03:54 PM (IST)
अपना देश अपना शहर : ननिहाल में भारतीय संस्कृति में सराबोर हो रहा कनाडा का बच्चा Meerut News
अपना देश अपना शहर : ननिहाल में भारतीय संस्कृति में सराबोर हो रहा कनाडा का बच्चा Meerut News

मेरठ, [विवेक राव]। महज दो साल का है शिवा। कनाडा में पैदा हुआ था। अपनी साइंटिस्ट मां के साथ होली पर मेरठ आया। यहां उसकी ननिहाल है। अचानक लॉकडाउन हुआ तो समस्त अंतरराष्ट्रीय उड़ान रद हो गईं। साइंटिस्ट अर्चना को लंबे समय तक मायके में ही रुकना पड़ा। कोविड से उपजे तनाव के बीच भी कुछ कुछ सुखद पल भी मिले। कनाड़ा में अपने बच्चे को जिन संस्कारों को वह कभी नहीं सिखा पातीं, भारत में रहते हुए परिवार के संस्कार बच्चे में सहज ही विकसित हो गए।

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जागृति विहार निवासी डा. अर्चना सिंह वर्ष 2010 से कनाडा में हैं। वहीं उनकी शादी हुई। बेटे की पैदाइश भी वहीं हुई। नौ मार्च को वह होली में कनाडा से मायके आईं। 20 अप्रैल को उन्हें वापस जाना था। लॉकडाउन की वजह से पहली बार वह इतने लंबे समय के लिए मेरठ रुकी हैं। डा. अर्चना बताती हैं कि कनाडा में संयुक्त परिवार कम मिलते हैं। अकेले रहने की वजह से बच्चे रिश्तों को नहीं समझ पाते हैं। एक दूसरे से शेयर करना भी नहीं जानते हैं। मेरठ में लॉकडाउन के लंबे प्रवास ने बेटे के व्यक्तित्व में कई बदलाव ला दिए। अब वह गुड मार्निंग के साथ सभी बड़ों के पैर भी छूता है। सभी के साथ खाद्य सामग्री साझा करके खाना सीख गया। संयुक्त परिवार में कैसे रहना है, इसे भी समझने लगा है। परिवार में चार साल के भतीजे के साथ सुबह आंख बंद कर ध्यान भी लगाता है। अर्चना कहती हैं कि बच्चे की पहली पाठशाला परिवार ही है। अपने देश के संयुक्त परिवार में जो संस्कार बच्चे को स्वभाविक तरीककेसे मिल जाते हैं, वह कनाडा या पश्चिम के किसी देश में देना संभव नहीं है। बच्चे को जो संस्कार यहां मिले, उससे लॉकडाउन की दिक्कतों का पता भी नहीं चला। मेरठ में ही शिवा का क्वारंटाइन बर्थडे भी मनाया।

कनाडा में कैंसर पर रिसर्च

डा. अर्चना सिंह ने सीसीएसयू से वर्ष 2008 में पीएचडी की थी। इसके बाद कनाडा की लावाल यूनिवर्सिटी क्यूबेक में प्रोफेसर रहते हुए फूड प्रोडक्ट का प्रसंस्करण करते हुए एंटी कैंसर गुणधर्म वाले प्रोटीन खोजे। एंटी कैंसर प्रोटीन के लिए उन्हें कनाडा में बेस्ट साइंटिस्ट का अवार्ड भी मिला था। शोध में बिना साइड इफेक्ट के कैंसर का इलाज संभव है।


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