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CAA protest : शहर को हिंसा की आग में झोंकने के लिए पांच तमंचा फैक्ट्रियों से खरीदे थे हथियार Meerut News

20 दिसंबर को शहर में हिंसा से काफी दिन पहले घर-घर में चल रही थी हथियारों की खरीदारी लेकिन खुफिया तंत्र भी अराजक तत्‍वों के मंसूबों को भांप नहीं सका।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 10:12 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 10:12 AM (IST)
CAA protest : शहर को हिंसा की आग में झोंकने के लिए पांच तमंचा फैक्ट्रियों से खरीदे थे हथियार Meerut News

मेरठ, [सुशील कुमार]। हिंसा के दौरान शहर के अमन को आग लगाने के लिए बवालियों ने पांच तमंचा फैक्ट्रियों से हथियार खरीदे थे। इन अवैध हथियारों से खूब उपद्रव मचाया गया था। हिंसा की गतिविधि को खुफिया विभाग भी नहीं भांप सका था। अब पुलिस जनपद में तमंचा बनाने वाली फैक्ट्रियों को संचालित करने वालों की पड़ताल कर रही है। ऐसे में यह भी स्पष्ट हो गया कि हिंसा एक बड़ी प्लानिंग का हिस्सा थी, पुलिस प्लानर की तलाश में भी जुट गई है।

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छतों से की गई फायरिंग

20 दिसंबर को शहर के आठ स्थानों पर एक साथ हुई हिंसा में पथराव से ज्यादा फायरिंग हुई। मुख्य मार्ग और घरों की छतों पर चढ़कर बवाली फायरिंग कर रहे थे, जिसके चलते पुलिस बवालियों को हटाने के लिए जितना आगे चलते थी, उतना ही पीछे आ जाती थी। पुलिस मान रही है कि हिंसा में बवालियों ने कई सौ राउंड फायरिंग की है। पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया कि पांच तमंचा फैक्ट्रियों से असलाह खरीदा गया था। तमंचा फैक्ट्रियों के स्वामी की पड़ताल भी की जा रही है।

यहां से तमंचे खरीदे जाने की आशंका

लिसाड़ीगेट के मजीद नगर में अफजल, युसूफ और कुलदीप की तमंचा फैक्ट्री से कुछ हथियार खरीदे जाने की बात सामने आई है। इसके अलावा फत्तेउल्लापुर में समीर उर्फ मेढ़क, सलीम उर्फ उमर, नसीरुद्दीन तमंचा फैक्ट्री चला रहे थे, उनसे भी हथियार खरीदने के तथ्य मिले हैं। इसी तरह से हुमायूं नगर में सावेज और जाकिर कालोनी में चल रही अब्दुल वाहिद और शाकिर की फैक्ट्री से भी हथियार खरीदे जाने की सूचना पुलिस को मिली है। कुछ हथियार किठौर के राधना से भी लाए जाने की बात कही गई है। सवाल है कि बवालियों ने गोलियां कहां से खरीदीं। पुलिस पीएल शर्मा रोड के कुछ दुकानदारों की पड़ताल कर रही है।

कारतूस कहां से खरीदे इसकी भी हो रही जांच

हथियार खरीदारी का सिलसिला चंद रोज का नहीं है, बल्कि पिछले तीन माह से साइलेंट तरीके से हथियार खरीदे जा रहे थे। हैरत की बात है कि पुलिस और खुफिया विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। यदि हथियारों की खरीद-फरोख्त नहीं होती तो हिंसा में इतनी मौतें न होतीं। एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि तमंचों में प्रयोग किए जाने वाले कारतूस कहां से मिले थे, उनकी भी पड़ताल की जा रही है। साथ ही तमंचा फैक्ट्री का संचालन करने वाले आरोपितों से पूछताछ को टीम लगा दी गई है। 


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