Violence In Meerut : शुक्रवार की हिंसा ने फिर से हरे किए पुराने दंगों के जख्म Meerut News
दंगा और मेरठ एक दूसरे के पर्याय रहा हैं। पिछले कई सालों के इतिहास को देखे तो शहर में शुक्रवार को हुई हिंसा ने फिर पुराने दंगों के जख्मों को हरा कर दिया।
मेरठ, जेएनएन। दंगा और मेरठ एक दूसरे के पर्याय रहा हैं। पिछले कई सालों के इतिहास को देखे तो हिंसा ने फिर पुराने दंगों के जख्मों को हरा कर दिया। मेरठ में दंगों का इतिहास कुछ ऐसा है, जिन्हें सुनकर लोग आज भी सहम जाते हैं। शुक्रवार को हुई हिंसा को देखकर पुलिसकर्मी भी दहशत में आ गए थे। कप्तान और डीएम भी फोर्स के साथ बवालियों से करीब चार घंटे तक लड़ते रहे, जबकि कुछ शीर्ष अफसर बेगमपुल से ही वापस लौट गए थे।
1987 में लगा दामन पर दाग
सबसे भयावह 1987 का दंगा रहा है। मेरठ के दामन पर इस दंगे को लेकर कई दाग हैं, हाशिमपुर, मलियाना, जैसी बड़ी वारदातें इसी दंगे के दौरान हुई है। चार महीने तक चले इस दंगे से मेरठ कफ्र्यू और हिंसा की चपेट में आ गया था। शासन की मशीनरी भी इस दंगे के सामने पूरी तरह विफल हो गई थी। इसे काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी थी। सरकारी आंकड़ों में इस दंगे में मरने वालों की संख्या 136 हैं, हालांकि गैर सरकारी दस्तावेज में मरने वालों की संख्या ज्यादा है। 1982 से 91 तक के दंगे दंगों को याद करें तो काफी लोग मौत के मुंह में समा गए थे।
यह थी भयावह तस्वीर
-1982 में सितंबर और अक्टूबर में सुलगता रहा, जिसमें दंगे के दौरान 82 लोगों की मौत का सरकारी आंकड़ा जारी किया था। हालांकि गैर सरकारी आंकड़ा 85 लोगों की मौत होना सामने आया था।
-1990 में भी दो और तीन अक्टूबर को सांप्रदायिक हिंसा में 12 लोगों की मौत हुई थी।
-1991 में भी 20 मई को सांप्रदायिक हिंसा ने भयावह रूप लिया था। तब भी 32 लोगों की जान गई थी।
-24 अप्रैल 2011 में शास्त्रीनगर एल ब्लाक में भी दंगे के दौरान पुलिस चौकी फूंक दी गई थी। रातभर उत्पात मचा था। दर्जनों गाडिय़ां तोड़ दी गई थीं।
-16 जून 2011 में ओडिशा से 40 दिन की जमानत से लौटे लोगों की रोहटा फाटक पर फल विक्रेताओं से हुई कहासुनी हो गई थी। उसके बाद पथराव, फायरिंग और आगजनी में 27 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। तब भी कई थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू लगा दिया था।
-10 मई 2014 को कोतवाली के तीरगरान में प्याऊ बनाने के मामूली विवाद में ङ्क्षहसा हो गई थी, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी। यहां भी कई दिनों तक मेरठ में तनाव पसरा हुआ था।