सुनिए वित्त मंत्री जी: बढ़ी आयात शुल्क से फीकी है सराफा चमक Meerut News
ज्वैलरी की मैनुफैक्चरिंग होने के बाद भी कारोबारी परेशान हैं। बजट में सराफा कारोबारियों की एक्साइज ड्यूटी और जीएसटी कम करने की मांग।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ ज्वैलरी की प्रमुख मंडी है। यहां मैनुफैक्चरिंग सेंटर होने की वजह से पूरे देश से कारोबारी प्राइमरी गोल्ड देकर डिजानिंग ज्वैलरी तैयार कराते हैं। जिसकी वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन सराफा कारोबारियों के सामने जीएसटी की बढ़ती दरें और आयात ने कई तरह की समस्याएं पैदा कर दी। इस साल के बजट से सराफा कारोबारी इन दरों को कम करने की आस लगाए हुए हैं।
ज्वैलरी की मैनुफैक्चरिंग होने के बाद भी कारोबारी परेशान
नोटबंदी के बाद से ही सराफा कारोबार पर असर पड़ा है। अभी कुछ दिन पहले आयकर विभाग ने पूरे प्रदेश में दो हजार सराफा कारोबारियों को नोटिस देकर उनके खरीद फरोख्त का ब्यौरा मांगा था। अब सरकार होलमार्क ज्वैलरी को अनिवार्य कर रही है। सराफा कारोबारी इसे ज्वैलरी मार्केट के लिए अच्छा बता रहे हैं। सराफा कारोबारियों की माने तो मेरठ एक ऐसा सेंटर है, जहां सोने की प्योरिटी प्रदेश के अन्य प्रदेशों से बेहतर है। इसलिए होलमार्क को लेकर कोई समस्या नहीं रहेगी। हालांकि दो लाख रुपये से अधिक की खरीद फरोख्त करने पर पैनकार्ड की अनिवार्यता ने इस कारोबार पर असर डाला है। तो दूसरी ओर एक्साइज ड्यूटी अधिक होने की वजह से मेरठ में चोरी छिपे सोने की तस्करी हो रही है। इससे भी सराफा कारोबारियों को समस्या है। इसके साथ ही शहर के कानून व्यवस्था को लेकर बाहर से कारोबारी मेरठ आने से कतरा रहे हैं। सोने पर तीन फीसद जीएसटी और आयात शुल्क 12.5 फीसद होने से सराफा कारोबार के सामने चुनौती बढ़ी है।
हर दिन 10 करोड़ से अधिक कारोबार
मेरठ में आबूलेन, सदर बाजार, शहर सराफा, नील की गली, भगत मार्केट, सेंट्रल मार्केट आदि सराफा के प्रमुख बाजार हैं। दो हजार से अधिक सराफा की दुकानें शहर में हैं। सीधे तौर पर 35 से 40 हजार कारीगर इस कारोबार से जुड़े हैं। सराफा कारोबारियों की माने तो हर दिन आठ से 10 करोड़ का कारोबार यहां होता है।
सराफा की बजट से ये है मांग
- सरकार सराफा कारोबार को प्रोत्साहित करें। जीएसटी की दर एक से डेढ़ फीसद हो।
- सोने पर आयात शुल्क 12.5 फीसद से कम किया जाए।
- सराफा कारोबार को इंडस्ट्रीज का दर्जा देकर बैंक से लोन मिलने की सुविधा आसान किया जाए।
- मेरठ से ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सही किया जाए।
- सोने में अवैध तस्करी पर रोक लगाने का प्रयास किया जाए।
इनका कहना है
सोने पर जीएसटी और आयात शुल्क की बढ़ोतरी से इस कारोबार को नुकसान हो रहा है। इसकी वजह से सोने की तस्करी भी बढ़ी है। अवैध तस्करी का अगर ऐसे चैनल बना तो यह देश की अर्थव्यवस्था से लेकर सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। बजट में अगर इन करों को कम किया जाए जो सोने की तस्करी देश में पूरी तरह से रुक जाएगी। अन्यथा बढ़ती जाएगी।
- आकाश मांगलिक, वाइस प्रेसीडेंट, मेरठ बुलियन, भगत ज्वैलर्स, आबूलेन
सोने पर जीएसटी की दरें कम होनी चाहिए। इससे कई तरह की समस्या हो रही है। मेरठ में काम कम हो रहा है। कानून व्यवस्था की खराब स्थिति के चलते बाहर से आने वाले कारोबारी कतरा रहे हैं। इसकी वजह से सोने का कारोबार नीचे जा रहा है।
- सर्वेश सर्राफ, त्रिपुंड ज्वैलर्स, आबूलेन, संगठन मंत्री, उत्तर प्रदेश सराफ एसोसिएशन
सोने के रेट में एकरूपता होनी चाहिए। आयात शुल्क कम करना चाहिए। शुल्क अधिक होने की वजह से सोने की तस्करी बढऩे का खतरा है। बजट में इसे रोकने को लेकर प्रावधान होना चाहिए।
- अभिषेक जैन, तनिष्क शोरूम आबूलेन
सराफा कारोबारियों के सामने चुनौती बढ़ रही है। सोने पर आयात शुल्क में कमी बहुत जरूरी है। अन्यथा सोने की तस्करी देश की अर्थव्यवस्था के साथ इस कारोबार को भी प्रभावित करेगी। सराफा कारोबार को एक इंडस्ट्रीज का दर्जा भी मिलना चाहिए।
- दिनेश रस्तोगी, आकाश ज्वैलर्स, महामंत्री, सराफा बाजार एसोसिएशन नील की गली