कभी सिफारिश से मिलता था BSNL का कनेक्शन, आज रहता है सन्नाटा
बीएसएनएल के प्रीपेड मोबाइल में बढ़ोतरी व पोस्टपेड में साल दर साल ग्राहक घटते जा रहे हैं। पिछले चार साल में ग्राहकों की संख्या आधी हुई है। लैंडलाइन कनेक्शन में सर्वाधिक नुकसान हुआ।
मेरठ, [विनय विश्वकर्मा]। 19 साल के सफर में अर्श से फर्श पर आने वाली भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की हालत समय दर समय गिरती चली गई। पुराने जमाने में टेलीफोन का मतलब बीएसएनएल होता था। जहां कनेक्शन लेने के लिए लंबी कतार व ऊंची सिफारिश की जरूरत पड़ती थी। वहां आज सन्नाटा पसरा है। 15 साल पहले तक लंबी-लंबी लाइनों और ग्राहकों की भीड़ से खचाखच भरा रहने वाले बीएसएनएल के आफिस की रौनक बेनूर हो गई है। आफिस की फाइलों पर धूल जमा है। मौजूदा हालत में बीएसएनएल में सबसे ज्यादा नुकसान लैंडलाइन टेलीफोन के ग्राहकों की संख्या में हुआ है। इस पूरी स्थिति से उबरने के लिए सरकार को वीआरएस का विकल्प देना पड़ा। बीएसएनएल की गिरती साख पर पेश है एक रिपोर्ट...
बीएसएनएल के मोबाइल कनेक्शन बढ़े लेकिन रफ्तार धीमी
ऐसा नहीं है कि बीएसएनएल के मोबाइल उपभोक्ता केवल टूटे ही हैं। साल 2015 से अब तक के आंकड़ों की बात करें तो बीएसएनएल के मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी ही है लेकिन यह दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स की तुलना में कम है। हां, लैंडलाइन कनेक्शन में गिरावट उल्लेखनीय है।
बहुत आगे निकले निजी सर्विस प्रोवाइडर
पिछले छह-सात वर्षों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई है। ऐसे में बहुत बड़ा बाजार निजी सर्विस प्रोवाइडर ने समेटा। अब मार्केट के तीन बड़े ब्रांडों का मेरठ में बीएसएनएल से काफी मजबूत प्रदर्शन है। इन तीनों के पास लगभग 25 लाख उपभोक्ता हैं जबकि बीएसएनएल के 3.62 लाख उपभोक्ता ही जोड़े रखने में सफल है। इनमें भी पोस्टपेड उपभोक्ता तो सात हजार से भी कम हैं।
मेरठ ने दिसंबर, 1996 में मोबाइल पर बोला था...हैलो
मेरठ में दिसंबर, 1996 में पहली बार मोबाइल आया। एस्कोटेल नाम से कंपनी ने व्हीलर्स क्लब में मोबाइल सेवा की आधिकारिक लांचिंग की। तब एस्कोटेल से एस्कोटेल पर ही बात होती थी। इसके कुछ महीने बाद ही ऊषा कंपनी भी मोबाइल सेवा के क्षेत्र में उतरी। एस्कोटेल तो बाद में आइडिया के नाम से सेवा देती रही लेकिन ऊषा की सेवाएं बाद में बंद हो गईं। मोबाइल उपभोक्ताओं की संभावनाओं को तलाशते हुए दूसरी कंपनियां भी तेजी से मेरठ की ओर बढ़ीं। एयरटेल की आधिकारिक लांचिंग करने तो स्वयं सुनील भारती मित्तल जून, 2002 को मेरठ के आबू प्लाजा पहुंचे थे।
एक नजर इन पर भी
- 7000 से भी कम है बीएसएनएल के पोस्टपेड उपभोक्ताओं की संख्या
- 28.38 लाख मोबाइल कनेक्शनधारक हैं मेरठ में, अधिकांश पोस्टपेड उपभोक्ता
- 1996 में मेरठ में मोबाइल सेवा की हुई थी शुरुआत
- 23 हजार लैंडलाइन कनेक्शन ही बचे हैं मेरठ में
इनका कहना है
एक समय था जब बीएसएनएल के सिम के लिए वेटिंग चलती थी, सिफारिशें लगती थीं। शुरुआती दौर में गांव-देहात में एकमात्र बीएसएनएल का ही टावर काम करता था। इसके बाद हच ने गांव की तरफ अपने पैर पसारे। उन दिनों बीएसएनएल के टावर के शाम के समय काम न करने की शिकायतें भी आम हो गई थीं। वही ब्रेकडाउन था। बीएसएनएल की लोकप्रियता एक बार जो टूटी, फिर नहीं सुधार हुआ जबकि दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स ने आकर्षक पैकेज, प्लान के साथ नित नए ग्राहक जोड़े।
-राजबीर सिंह, अध्यक्ष, जिला मेरठ टेलीकॉम एसोसिएशन
वेस्ट यूपी (मेरठ सर्किल) 18 एसएसए के 26 जनपदों के बीएसएनएल उपभोक्ताओं की स्थिति
वर्ष प्रीपेड पोस्टपेड लैंडलाइन
2015 - 23,63,020 41,422 3,09,970
2016 - 31,75,880 42689 2,64,703
2017 - 44,25,050 44,829 2,39,112
2018 - 43,81,300 37,032 2,05,190
2019 - 44,20,930 36,403 1,73,070
मेरठ में बीएसएनएल उपभोक्ताओं के आंकड़ों पर एक नजर -
वर्ष प्रीपेड पोस्टपेड लैंडलाइन
2015 - 1,42,112 9123 39,463
2016 - 2,12,526 9264 34,173
2017 - 2,80,644 9247 32,411
2018 - 3,06,990 7912 26,913
2019 - 3,55,743 6985 23,506
मेरठ में अन्य मोबाइल कंपनियों के ग्राहकों की स्थिति
कंपनी का नाम प्रीपेड पोस्टपेड
एयरटेल 9 लाख 50 हजार
वोडा-आइडिया 8.50 लाख 75 हजार
जियो 6 लाख