राष्ट्रवाद के हथियार से चुनावी स्ट्राइक करेगी भाजपा
लोकसभा चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी एयर स्ट्राइक और राष्ट्रवाद के जरिए वोटरों को लुभाते हुए हार्डकोर सियासत पर आगे बढ़ेगी।
By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 11:40 AM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। 2014 के बाद अब 2019 में लोकसभा चुनाव। पांच साल पहले ध्रुवीकरण की आंच पर भाजपा की चुनावी खिचड़ी पक गई थी। अब ध्रुवीकरण के विकल्प के रूप में पार्टी प्रचंड राष्ट्रवाद के तार छेड़ेगी। इस बार पार्टी एयर स्ट्राइक के जरिए वोटरों को लुभाते हुए हार्डकोर सियासत पर आगे बढ़ेगी। उधर,पश्चिमी उप्र में आतंकियों के तार कई स्थानों से जुड़ने को लेकर पार्टी ने बड़ा होमवर्क किया है।
ध्रुवीकरण की आंच पर सियासी खिचड़ी
2013 में मुजफ्फरनगर दंगों ने प्रदेश की सियासी तबीयत बदलकर रख दी। 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने गैर अल्पसंख्यक वोटों को अपने पाले में किया। रालोद का खांटी वोटर यानी जाट भी भाजपा के पास चला गया। 2016 में कैराना के सांसद बाबू हुकुम सिंह ने कैराना से व्यापारियों के पलायन का मुद्दा उठाकर राजनीति में खलबली मचा दी। ध्रुवीकरण की लैब में भाजपा का यह प्रयोग भी मुफीद रहा। इस बीच चौ. अजित सिंह समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने मतदाताओं को भाजपा से दूर करने के तमाम प्रयास किए, लेकिन 2017 विस चुनावों में सभी दल तिनके की मानिंद बह गए। शामली की चुनावी रैली में सीएम योगी ने सियासी पारा चढ़ाते हुए कांधला में पीएसी का ट्रेनिंग सेंटर बनाने का एलान किया था। ध्रुवीकरण हिन्दू और मुस्लिम मतों का ही नहीं हुआ, बल्कि ओबीसी की करीब 40 उपजातियों को साधने में भाजपा सफल हो गई, जो सपा और बसपा के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी थी। इसी का नतीजा रहा कि तकरीबन सभी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भी कमल खिला।
एयर स्ट्राइक से चुनावी मंशा को उड़ान
प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्रनाथ पांडेय मान चुके हैं कि पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन पश्चिमी उप्र में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उकसाने के लिए प्रयासरत हैं। गत दिनों एनआइए की छापेमारी में अमरोहा, मेरठ समेत तमाम जिलों से माड्यूल्स से जुड़े संदिग्ध भी पकड़े गए थे। साथ ही पांडेय ने पश्चिमी उप्र में ‘आबादी’ के आतंक और छेड़छाड़ की घटनाओं को चुनावी रंग देने का भी संकेत दिया है। पार्टी अपराधमुक्ति के बहाने न सिर्फ कैराना मुद्दा छेड़ेगी,बल्कि पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल और एयरस्ट्राइक की जमकर चर्चा होगी। रणनीतिकारों की मानें तो इस बार युवा मतदाताओं की तादात रिकार्ड स्तर तक पहुंच गई है,जिन्हें एयर स्ट्राइक एवं पाकिस्तान को जवाब देने जैसे मसलों से भी रिझाया जाएगा।
राम मंदिर व राफेल पर भी जवाब
1991 से 1996 और 1998 तक राम मंदिर का चुनावी प्रभाव बना रहा। लेकिन इसके बाद सियासत ने रुख बदल लिया। मंदिर का तीर चूकते ही भाजपा की धार कुंद होने लगी। 2004 में केंद्र की सत्ता हाथ से जाने के साथ ही पार्टी प्रदेश एवं दिल्ली दोनों स्थानों पर कमजोर हुई। लेकिन इस बीच भाजपा ने हार्डकोर सियासत के बड़े सूत्रधार कहे जाने वाले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाकर ध्रुवीकरण की रेखा खींच दी। राम मंदिर का मुद्दा भी पीछे छूट गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक के हथियार से नोटबंदी और जीएसटी से उपजा आक्रोश भी खत्म कर दिया। इधर, 2019 लोकसभा चुनावों के पहले चरण में पार्टी मेरठ समेत आठ सीटों के प्रचार में एयर स्ट्राइक के बहाने राष्ट्रवाद की लहरों को उठाएगी। पार्टी इसे राफेल सौदे पर कांग्रेसी हमले का भी जवाब बता रही है।
ध्रुवीकरण की आंच पर सियासी खिचड़ी
2013 में मुजफ्फरनगर दंगों ने प्रदेश की सियासी तबीयत बदलकर रख दी। 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने गैर अल्पसंख्यक वोटों को अपने पाले में किया। रालोद का खांटी वोटर यानी जाट भी भाजपा के पास चला गया। 2016 में कैराना के सांसद बाबू हुकुम सिंह ने कैराना से व्यापारियों के पलायन का मुद्दा उठाकर राजनीति में खलबली मचा दी। ध्रुवीकरण की लैब में भाजपा का यह प्रयोग भी मुफीद रहा। इस बीच चौ. अजित सिंह समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने मतदाताओं को भाजपा से दूर करने के तमाम प्रयास किए, लेकिन 2017 विस चुनावों में सभी दल तिनके की मानिंद बह गए। शामली की चुनावी रैली में सीएम योगी ने सियासी पारा चढ़ाते हुए कांधला में पीएसी का ट्रेनिंग सेंटर बनाने का एलान किया था। ध्रुवीकरण हिन्दू और मुस्लिम मतों का ही नहीं हुआ, बल्कि ओबीसी की करीब 40 उपजातियों को साधने में भाजपा सफल हो गई, जो सपा और बसपा के वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी थी। इसी का नतीजा रहा कि तकरीबन सभी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भी कमल खिला।
एयर स्ट्राइक से चुनावी मंशा को उड़ान
प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्रनाथ पांडेय मान चुके हैं कि पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन पश्चिमी उप्र में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उकसाने के लिए प्रयासरत हैं। गत दिनों एनआइए की छापेमारी में अमरोहा, मेरठ समेत तमाम जिलों से माड्यूल्स से जुड़े संदिग्ध भी पकड़े गए थे। साथ ही पांडेय ने पश्चिमी उप्र में ‘आबादी’ के आतंक और छेड़छाड़ की घटनाओं को चुनावी रंग देने का भी संकेत दिया है। पार्टी अपराधमुक्ति के बहाने न सिर्फ कैराना मुद्दा छेड़ेगी,बल्कि पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल और एयरस्ट्राइक की जमकर चर्चा होगी। रणनीतिकारों की मानें तो इस बार युवा मतदाताओं की तादात रिकार्ड स्तर तक पहुंच गई है,जिन्हें एयर स्ट्राइक एवं पाकिस्तान को जवाब देने जैसे मसलों से भी रिझाया जाएगा।
राम मंदिर व राफेल पर भी जवाब
1991 से 1996 और 1998 तक राम मंदिर का चुनावी प्रभाव बना रहा। लेकिन इसके बाद सियासत ने रुख बदल लिया। मंदिर का तीर चूकते ही भाजपा की धार कुंद होने लगी। 2004 में केंद्र की सत्ता हाथ से जाने के साथ ही पार्टी प्रदेश एवं दिल्ली दोनों स्थानों पर कमजोर हुई। लेकिन इस बीच भाजपा ने हार्डकोर सियासत के बड़े सूत्रधार कहे जाने वाले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाकर ध्रुवीकरण की रेखा खींच दी। राम मंदिर का मुद्दा भी पीछे छूट गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक के हथियार से नोटबंदी और जीएसटी से उपजा आक्रोश भी खत्म कर दिया। इधर, 2019 लोकसभा चुनावों के पहले चरण में पार्टी मेरठ समेत आठ सीटों के प्रचार में एयर स्ट्राइक के बहाने राष्ट्रवाद की लहरों को उठाएगी। पार्टी इसे राफेल सौदे पर कांग्रेसी हमले का भी जवाब बता रही है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें