रावण की रिहाई से पहले भाजपा ने बिछाई थी सियासी चौसर
चंद्रशेखर रावण की रिहाई से पहले भी भाजपा ने अनुसूचित वर्ग को साधने के लिए कई दांव खेले थे। भाजपा ने अनुसूचित वर्ग के नेताओं को आगे बढ़ाया और एससी-एसटी एक्ट पर डैमेज कंट्रोल किया।
मेरठ (जेएनएन)। भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर की जेल से रिहाई से पहले भाजपा ने सियासी चौसर बिछा दी थी। एससी-एसटी एक्ट को लेकर पश्चिमी उप्र में सियासत धधकने के बाद ही पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई थी।
अनुसूचित वर्ग को साधा
पश्चिमी उप्र को बसपा का पुराना गढ़ माना जाता रहा है। 14 लोकसभा सीटों में तमाम पर अनुसूचित वर्ग की बड़ी तादाद है। गत वर्ष सहारनपुर में अनुसूचित और राजपूत समाज के बीच संघर्ष एवं दो अप्रैल को एससी-एसटी एक्ट को लेकर हुई ¨हसा के बाद भाजपा ने सियासी जाल बिछाना शुरू कर दिया था। भीम आर्मी मुखिया की रिहाई से पूर्व भाजपा ने जहां आगरा की देवी रानी मौर्य को राज्यपाल बनाया, वहीं कांता कर्दम को राज्यसभा भेजने के साथ ही सहारनपुर का प्रभारी भी नियुक्त किया। इधर, मेरठ में दो अप्रैल की ¨हसा की जांच का जिम्मा एसपी क्राइम बीपी अशोक के पास है, जिनके जरिए भाजपा अनुसूचित वर्ग के बीच निष्पक्ष जांच का संदेश देना चाह रही है।
घर जाकर किया भोजन
पूर्व डीजीपी बृजलाल को एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। वह जल्द ही मेरठ में एक कार्यक्रम करेंगे, जिसका उद्देश्य इस वर्ग को साधना होगा। बुलंदशहर के अखिल जाटव व बरेली से जवाहर जाटव को प्रदेश इकाई में भेजकर पार्टी ने इस वर्ग को साधने का प्रयास किया है। हाल में प्रदेश कार्यसमिति में सीएम योगी समेत बड़े नेताओं ने अनुसूचित वर्ग के लोगों के घर का बना भोजन किया।
बसपा का मजबूत गढ़ रहा है पश्चिम
भले ही 2017 विस चुनावों में मायावती को बड़ी सफलता नहीं मिली, किंतु जाटव मतों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। इधर, सहारनपुर के शब्बीरपुर कांड के बाद अनुसूचित वर्ग में पनपे आक्रोश ने भाजपा को परेशान कर दिया। चंद्रशेखर उर्फ रावण को गिरफ्तार किया गया, किंतु कैराना लोकसभा उपचुनाव से पहले जहां जिग्नेश मेवाड़ी ने पश्चिमी उप्र का दौरा किया। वहीं आप मुखिया अरविंद केजरीवाल भी रावण से मिलने की मंशा जता चुके हैं।
कोई सियासी मतलब नहीं
प्रदेश प्रवक्ता डा. चंद्रमोहन ने कहा कि भाजपा हर वर्ग के विकास की बात करती है। चंद्रशेखर की रिहाई का कोई सियासी मतलब नहीं है। योगी सरकार लोगों का भरोसा जीत चुकी है। सरकार ने अनुसूचित वर्ग के कल्याण के लिए तमाम बड़े कदम उठाए हैं।