Bijnor Cracker Factory Explosion: सात हजार पगार में ’मौत’ से खेलते थे मजदूर, एक साथ पांच शव से बुखारा में कोहराम
सात हजार पगार में मजदूर जिंदगी को हथेली में रखकर काम करते थे। उन्हें आभास भी नहीं था कि जिस स्थान पर वह काम कर रहे हैं वहां मौत से बचने का मौका नहीं मिल पाएगा। एक साथ पांच मौत से बुखारा में मातम पसर हुआ है।
बिजनौर, जेएनएन। सात हजार पगार में मजदूर जिंदगी को हथेली में रखकर काम करते थे। उन्हें आभास भी नहीं था कि जिस स्थान पर वह काम कर रहे हैं, वहां मौत से बचने का मौका नहीं मिल पाएगा। अवैध पटाखे की फैक्ट्री में धमाके से एक पांच की मौत हो गई। इससे बुखारा में मातम पसर हुआ है। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव उनके घरों पर पहुंचे तो कोहराम मच गया।
युसुफ तीन सौ रुपये दिहाड़ी या फिर सात हजार रुपये माह की पगार पर काम कराता था। सात हजार रुपये की पगार में मजदूर मौत को गले लगा रहे थे। अपनी और परिवार के पेट की आग बुझाते-बुझाते खुद आग में झुलस गए। उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि जिस स्थान पर वह शाम को खाने के लिए कमाते हैं। वहां उनकी जिंदगी के बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। घटना के बाद मृतक के स्वजन बुरा हाल था। मृतकों में प्रदीप और चिंटू अविवाहित थे, जबकि सोनू का आठ माह का बच्चा है। सभी अफसोस है कि आठ माह के बच्चे के सिर से परवरिश का साया उठ गया। वेदपाल के कोई संतान नहीं है। ब्रजपाल के बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। देर शाम सात बजे पोस्टमार्टम के बाद शव घर पहुंचे तो चीख-पुकार मच गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। कोई युसुफ को कोस रहा था, तो कोई इंतजाम को। बुखारा में मातम पसरा हुआ है। एहतियात के तौर पर पुलिस बल तैनात है। हर कोई गमगीन है।
सोचने का नहीं मिला मौका- चश्मदीद समरपाल
घटना में बाल-बाल बचा समरपाल आपबीती याद कर कांप उठता है। बदहवास हालत में समरपल ने बताया कि उसे अपने भाई को भी बचाने का मौका नहीं मिल सका। धमाके के साथ आग कैसे लगी। इसका भी पता नहीं चला। वह चार लोग गैलरी में बैठे हुए थे। इसलिए उन्होंने छत से कूदकर जान बचा ली। वह अपने भाई को नहीं बचा सका। शोर मचने पर दीवार तोड़कर शव निकाले गए। शुरुआत में लोग बदहवास होकर इधर-उधर भागते रहे। धुएं में अपने शवों को तलाशते नजर आए। काफी देर बाद शवों की पहचान हो सकी।
यह पब्लिक है सब जानती है
दरअसल ऐसा नहीं कि लोगों को पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की ऐसे लोगों से सांठगांठ का पता नहीं रहता। सब जानती है यह पब्लिक है। लेकिन कोई शिकायत नहीं करता क्योंकि शिकायत जिन लोगों के पास की जाती है वही ऐसे धंधे करवाते हैं। पैसों के लिए। मामला तब खुलता है जब हादसा हो जाता है। इससे पहले के हादसों को ही इसकी नजीर से देखा जा सकता है। पिछले हादसों से सबक लेकर अगर लगाम लगाई जाती तो यह हादसा नहीं होता। लेकिन कुछ समय बाद बात आई गई हो जाती है। और दूसरे हादसे की तैयारी शुरु हो जाती है।
इस पूरे प्रकरण की जांच एसडीएम सदर को सौंप दी गई है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। दूसरे जगह पटाखा निर्माण हो रहा था, तो जांच का विषय है। जांच के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
रमाकांत पांडेय, डीएम।