बागपत तिहरा हत्याकांड : बहनों और पिता की हत्या करने के बाद यमुना नदी में किया स्नान
बागपत तिहरा हत्याकांड अमर ने बताया कि तीन-चार दिन पहले उसने घटना को अंजाम देने की ठान ली थी। 14 अगस्त की रात उसने तय कर लिया कि रात को वारदात को अंजाम दे देगा। संपत्ति विवाद और बहनों का बाहर नौकरी करना बना कारण।
बागपत, जागरण संवाददाता। अपने ही तीन लोगों का कत्ल करने वाला जब पुलिस की गिरफ्त में आया और एक-एक कर उसने तिहरे हत्याकांड की जो सनसनीखेज कहानी पुलिस को सुनाई उससे पुलिस के भी रोंगटे खड़े हो गए। अपनों का खून करने से पहले अमर अपने आप से ही लगभग तीन घंटे तक लड़ता रहा। वह सोते हुए पिता की ओर बसाखा लेकर जाता और वापस आ जाता। उसके बाद उसने आंखें बंद कर पिता के सिर पर बसाखा से दो वार कर दिए। उसके बाद उसके सिर पर खून सवार हो गया और दो बहनों की भी हत्या कर दी।
हिम्मत नहीं हो रही थी हत्या करने की
अमर ने बताया कि तीन-चार दिन पहले उसने घटना को अंजाम देने की ठान ली थी। 14 अगस्त की रात उसने तय कर लिया कि रात को वारदात को अंजाम दे देगा। उसके पिता बृजपाल और ज्योति उसके कमरे और अनुराधा दूसरे कमरे में सोई थी। मां छत पर सो रही थी। वह साढ़े नौ बजे से 11 बजे तक चारपाई पर लेटा हुआ मोबाइल देखता रहा। 11 बजे वह चारपाई से उठा और बसाखा लेकर पिता तक पहुंचा, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया। वह चारपाई पर लेट बैठ गया। अपने ही अंदर से उठ रहे सवाल हत्या करूं या न करूं को लेकर अपने आप से लड़ता रहा। कई बार बसाखा लेकर पिता तक पहुंचा और वापस आ गया। उसे पसीना भी आ गया और दिल की धड़कन बढ़ गई।
बसाखा से किए पिता पर वार
अमर ने बताया कि लगभग डेढ़ बजे उसने बसाखा से अपने पिता के सिर पर दो वार कर दिए। पिता की चीख निकली तो सबसे छोटी बहन अनुराधा जाग गई। उसने बसाखा रख दिया और छोटे चाकू से अनुराधा पर 12 से 14 वार किए। वह लहूलुहान होकर गिर गई। इसी बीच ज्योति जाग गई और उसे पकड़ने का प्रयास किया। उसने बसाखा से ज्योति पर तीन-चार वार कर दिए। इसी बीच शोर सुनकर उसकी मां नीचे आ गई। उसके पिता के प्राण नहीं निकले थे। मां के सामने ही उसने पिता के सिर पर दो-तीन वार बसाखा से करते हुए मौत के घाट उतार दिया। मां ने भला बुरा कहा तो मां का गला दबा दिया, लेकिन तरस आने के बाद उसे छोड़ दिया।