शिक्षण के बदले नजरिए ने दिलाया सम्मान
शिक्षक किसी भी विषय के हों उनकी पहचान उनके पढ़ाने के तरीके और सोच को लेकर ही होती है। ऐसे ही शिक्षकों की मेहनत सोच व पहचान को विभिन्न मंचों पर सम्मान भी मिलता है।
जेएनएन, मेरठ। शिक्षक किसी भी विषय के हों, उनकी पहचान उनके पढ़ाने के तरीके और सोच को लेकर ही होती है। ऐसे ही शिक्षकों की मेहनत, सोच व पहचान को विभिन्न मंचों पर सम्मान भी मिलता है। सत्र 2019-20 के लिए मेरठ के दो ऐसे ही शिक्षकों को सम्मान के लिए चयनित किया गया है। सीबीएसई अवार्ड के लिए गार्गी गर्ल्स स्कूल की प्रिसिपल डा. अनुपमा सक्सेना और बेसिक शिक्षा परिषद में राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए आदर्श प्राथमिक विद्यालय-भूड़बराल की प्रधानाध्यापिका सारिका गोयल को नामित किया गया है।
हर क्षेत्र में बेटियों को काबिल बनाना ही लक्ष्य
गार्गी गर्ल्स स्कूल की प्रिसिपल डा. अनुपमा सक्सेना का शिक्षण का ध्येय बेटियों को हर क्षेत्र के काबिल बनाना ही रहा है। वह सदा ही उस कथन को गलत साबित करने के लिए अग्रसर रही हैं, जिसमें बेटियों को रसोई की शोभा माना जाता है। शिक्षा क्षेत्र में 29 साल से अधिक समय दे चुकी हैं। वर्ष 1993 में सेंट एंड्रिउ स्कॉट सीनियर सेकेंडरी स्कूल-नई दिल्ली में पीजीटी इंग्लिश के तौर पर शिक्षण की शुरुआत की। वर्ष 2012 में गार्गी गर्ल्स स्कूल से जुड़ीं। डा. अनुपमा सक्सेना सीबीएसई की मास्टर ट्रेनर, 10वीं-12वीं के छात्रों के लिए इंग्लिश की कैपेसिटी बिल्डिग प्रोग्राम, स्कूल असेसमेंट, सीबीएसई इंस्पेक्शन कमेटी, सिटी कोआíडनेटर, बोर्ड परीक्षा, सीटेट, यूजीसी-नेट आदि में सेंटर सुपरिन्टेंडेंट सहित अन्य जिम्मेदारियां भी निभाई हैं। उनके मार्गदर्शन में स्कूल की छात्राओं ने इंस्पायर अवार्ड की राष्ट्रीय प्रदर्शनी, रमन अवार्ड, आइआटी-कानपुर के आइआइएसटीएफ में दूसरी रैंक, इंटरनेशनल स्केटिग प्रतियोगिता, हिदी ओलंपियाड आदि में दमदार प्रदर्शन किया है।
बेटियां पढ़ेंगी तो करेंगी नाम रोशन
आदर्श प्राथमिक विद्यालय-भूड़बराल में प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्यरत सारिका गोयल को शिक्षा के क्षेत्र में 33 सालों का अनुभव है। वह स्कूल में पढ़ाने के दौरान विशेष तौर पर बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती हैं और कोशिश करती हैं क्षेत्र की कोई बालिका बिना पढ़ाई के न रह जाए। सारिका ने वर्ष 1987 में एमए अंग्रेजी करने के बाद ही निजी स्कूल में शिक्षण कार्य शुरू कर दिया था। वर्ष 2004 में विशिष्ट बीटीसी पूरी की और वर्ष 2016 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका नियुक्त हुई। जुलाई, 2013 में प्रोन्नत होकर प्राथमिक विद्यालय-भूड़बराल में प्रधानाध्यापिका बनीं और विद्यालय में अपनी सेवाओं से इसे आदर्श विद्यालय की सूची में शामिल कराया। सारिका पठन-पाठन के अलावा अपना समय बालिका शिक्षा, सामाजिक व शैक्षणिक कार्यो में बिताती हैं। मजबूरी या अज्ञानता के कारण जो बच्चे, विशेष तौर पर बालिकाएं, पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं उन्हें घर से वापस स्कूल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।