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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गहरी हो रहीं केएलएफ की जड़ें, हथियार सप्लायर जावेद की हिस्ट्री खंगाल रही एटीएस और क्राइम ब्रांच

खालिस्तानी आतंकियों को अवैध हथियार सप्लाई करने वाले जावेद की गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट की जड़ें पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी गहरी हो रही हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 03:30 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 03:30 PM (IST)
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गहरी हो रहीं केएलएफ की जड़ें, हथियार सप्लायर जावेद की हिस्ट्री खंगाल रही एटीएस और क्राइम ब्रांच
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गहरी हो रहीं केएलएफ की जड़ें, हथियार सप्लायर जावेद की हिस्ट्री खंगाल रही एटीएस और क्राइम ब्रांच

मेरठ, [सुशील कुमार]। खालिस्तानी आतंकियों को अवैध हथियार सप्लाई करने वाले जावेद की गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट की जड़ें पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी गहरी हो रही हैं। जानी के टीकरी गांव निवासी आशीष की रुड़की से गिरफ्तारी के दो साल बाद जावेद का पकड़ा जाना इसका संकेत दे रहा है।

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35 से 40 हजार रुपये में सप्‍लाई

अक्टूबर 2018 में भी तीन खालिस्तान समर्थक आतंकियों को एटीएस और पुलिस की संयुक्त टीम ने शामली के खादर से गिरफ्तार किया था। तब आशीष की कड़ी उनसे जुड़ी थी। आशीष के बाद जावेद की गिरफ्तारी हो चुकी है। राधना किठौर निवासी जावेद का जुड़ाव किस किस से है। एटीएस के मेरठ प्रभारी राजीव कुमार की मानें तो जावेद भी पिस्टल अन्य लोगों से खरीदकर 35 से 40 हजार रुपये में खालिस्तान लिब्रेशन फोर्स (केएलएफ) को सप्लाई करता था। देखा जा रहा है कि यह पिस्टल जावेद किस से खरीद रहा था। माना जा रहा है कि वेस्ट यूपी में जावेद के अलावा भी केएलएफ के अन्य सदस्य पैठ बनाए हैं।

खालिस्तान समर्थक पश्चिम में खेलते आए हैं खून की होली

1990 में पंजाब में आतंकवाद से प्रभावित सिखों ने यमुना खादर के अलावा तराई के इलाकों में डेरे डालकर बड़े कृषि फार्म विकसित किए थे। पुलिस दबाव से आतंकियों ने पंजाब से यहां का रुख किया और डेरों में आपसी रंजिश का फायदा उठाकर शरण ली। सहारनपुर के सरसावा, नकुड़, गंगोह, शामली के कैराना, झिंझाना के यमुना खादर, बागपत और पीलीभीत, रुद्रपुर व ऊधमसिंह नगर के तराई इलाके में जरनैल सिंह सतराना गिरोह सक्रिय रहा था। 1994 में इस गिरोह ने सहारनपुर के अंबाला रोड से ढाबा मालिक टिंकू का अपहरण किया तो मौके पर मिले एके-47 के खोखों से पहली बार आतंकी आहट का पता चला था। यह गिरोह यहां पर 50 से अधिक लोगों की हत्या कर चुका है ।

केएलएफ दोबारा से जिंदा

दो नवंबर 1996 को सहारनपुर के अपलाना में एक सिख ने ही अपने डेरे पर आतंकियों की सूचना पुलिस को दी थी। 1996 में ही सहारनपुर के घंटाघर पर चंडीगढ़ से आई एक बस में आरडीएक्स विस्फोट में 16 लोग मारे गए थे। पंजाब में पकड़े गए सतराना गिरोह के दिलबाग सिंह बग्गा ने बताया था कि यह विस्फोटक जालंधर-दिल्ली सुपरफास्ट ट्रेन में रखा जाना था, जो उतारने से पहले ही फट गया था। बाद में सतराना गिरोह के कुछ लोग आपस में मारे गए तो कुछ को पंजाब पुलिस ने पकड़ा। 2001 में पीलीभीत में एनएसजी कमांडो ने सतराना को मारा और तब से खालिस्तान समर्थन की चिंगारी दबी थी। नाभा जेल ब्रेक होने के बाद केएलएफ के प्रमुख हरमिंदर उर्फ मिंटू की दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि केएलएफ दोबारा से जिंदा हो गया, जो पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ के संपर्क में आ गया था। उसके बाद दो साले पहले केएलएफ के तीन सदस्यों को शामली से गिरफ्तार किया था। 2018 में पंजाब पुलिस ने केएलएफ के धरमिंदर सिंह गुन्नी और गैंगस्टर सुखप्रीत सिंह उर्फ बुद्धा निवासी कुस्सा तहसील निहाल सिंह बाबा जनपद मोंगा पंजाब को गिरफ्तार किया था। जावेद ने आशीष के जरिए गुन्नी और सुखप्रीत सिंह को हथियार सप्लाई किए थे।

अरबों की संपत्ति का मालिक

आठ साल में ही ढाई बीघा जमीन से जावेद अरबों की संपत्ति का मालिक बन गया। जावेद की हिस्ट्री निकाली तो हैरतअंगेज कारनामे सामने आए। राधना के अलावा ब्रह्मपुरी में तीन कोठी, मुजफ्फरनगर में एक प्लाट तथा गांव में ढाई करोड़ रुपये में 40 बीघा जमीन खरीद चुका है। मोटी रकम बटोरने के बाद अब राजनीति में पहुंचने की फिराक में था, ताकि काली कमाई सियासी चोले में दबी रहे। पर, इससे पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। किठौर के राधना में रहने वाले उस्मान के तीन बेटे रिजवान, सुलेमान और जावेद हैं। जावेद सबसे छोटा है। जांच में सामने आया कि जावेद के हिस्से में पिता उस्मान की संपत्ति से ढाई बीघा जमीन आई थी। पिता उस्मान तमंचे बनाकर बेचते थे। पहले जावेद पिता के साथ ही इस धंधे में प्रवेश कर गया। उसके बाद बाइक चोरी और फिर डकैती डालने लगा। आठ साल से केएलएफ के संपर्क में आया तो अथाह संपत्ति का मालिक बन गया। छह माह पहले ही वह गांव राधना में आकर दोबारा से रहने लगा था।

ब्रह्मपुरी में करोड़ों की तीन कोठी

पुलिस जांच में सामने आया है कि ब्रह्मपुरी में जावेद की तीन कोठी हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में है। उसके साथ ही गांव में 70 लाख रुपये की लागत से 400 गज जमीन में एक कोठी बना रहा था। गांव में ढाई करोड़ रुपये की 40 बीघा जमीन खरीद चुका है।

इनका कहना है

केएलएफ के पश्चिम में सक्रिय होने के बाद जोन के सात जनपदों को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया है। एटीएस के साथ क्राइम ब्रांच की टीम लगाकर जावेद की पूरी हिस्ट्री खंगाली जा रही है कि वह किससे हथियार लेकर सप्लाई करता था। खुफिया इकाई को भी अलर्ट कर दिया है। मेरठ के साथ-साथ सहारनपुर, शामली और बागपत से भी सूचनाएं एकत्र की जा रही हैं।

- राजीव सभरवाल, एडीजी जोन। 


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