अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने फोन पर बच्चो से कहा अंतरिक्ष में जाना है तो एस्ट्रोनॉट तो बनना ही होगा
देश के पहले अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा के जन्मदिन के अवसर पर एनएएस इंटर कॉलेज मेरठ में आयोजित कार्यक्रम में छात्रों को राकेश शर्मा ने फोन पर प्रोत्साहित किया।
मेरठ, जेएनएन। देश के पहले और दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा के जन्मदिन के अवसर पर सोमवार को एनएएस इंटर कॉलेज में जिला विज्ञान क्लब की ओर से विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक व स्कूल के शिक्षक दीपक शर्मा ने राकेश शर्मा से फोन पर बात की। राकेश शर्मा ने बच्चों को स्पेस साइंस में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत काम होने वाला है। इसलिए बच्चों को स्पेश साइंस की पढ़ाई करनी चाहिए। अंतरिक्ष में जब लोग रहने लगेंगे तो तरह-तरह के हुनर वाले लोगों की जरूरत होगी। इसलिए वहां जाने के लिए एस्ट्रोनॉट तो बनना ही होगा। बच्चों को स्वयं यह सोचना चाहिए कि उन्हें क्या बनना है और उसी दिशा में स्पेस साइंस की पढ़ाई करें।
मनाया जन्मदिन, मांगा भारत रत्न
स्कूल में प्रिंसिपल आभा शर्मा व अन्य शिक्षकों ने बच्चों ने बच्चों के साथ राकेश शर्मा का जन्मदिन मनाया। इसी मौके पर एक छात्र ने पूछा कि उन्हें अब तक भारत रत्न क्यों नहीं मिला है। इस पर सभी बच्चों व शिक्षकों ने एक साथ राकेश शर्मा को भारत रत्न दिए जाने के प्रस्ताव पर भी सहमति बनाई जिसे स्कूल की ओर से भारत सरकार को भेजा जाएगा। वरिष्ठ शिक्षकों ने छात्रों के प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्हें राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्र के साथ ही उनकी उपलब्धियों के बारे में बताया।
छोटी उम्र से उड़ान भरने को थे आतुर
पटियाला के गौड़ ब्राम्हण परिवार में जन्मे राकेश शर्मा ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। वर्ष 1966 में एनडीए पास हर इंडियन एयरफोर्स कैडेट बने। 21 साल की आयु में वायु सेना में भर्ती हुए। वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ मिग एयरक्राफ्ट से महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने के बाद चर्चा में आए। वर्ष 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के संयुक्त अंतरिक्ष अभियान में आठ दिन अंतरिक्ष में गुजारा।
ऐसा रहा जीवन सफर
- वर्ष 1949 राकेश शर्मा का जन्म पटियाला के एक पंजाबी परिवार में हुआ।
- वर्ष 1966 में उनका चयन राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी यानी एनडीए में हुआ।
- वर्ष 1970 में भारतीय वायु सेना में टेस्ट पायलट नियुक्त हुए।
- वर्ष 1971 में राकेश ने रूसी विमान मिकोयां-गुरेविच उड़ाया।
- 20 सितंबर 1982 को उनका चयन अंतरिक्ष मिशन के लिए हुआ।
- अप्रैल 1984 में अंतरिक्ष यात्र करने वाले पहले भारतीय बने।
- वर्ष 1987 में भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद पर सेवानिवृत्त हुए।
- वर्ष 1987 में ‘हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ में टेस्ट पायलट बने।
- वर्ष 2006 में इसरो की समिति में भाग लिया, जिसने नए अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी।