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बड़े पर्दे पर वरुण धवन निभाएंगे पुणा हॉर्स रेजिमेंट के इस सबसे युवा शहीद का किरदार Meerut News

1971 के युद्ध में बसंतर की लड़ाई के हीरो रहे शहीद अरुण खेत्रपाल का किरदार अभिनेता वरुण धवन बड़े पर्दे पर जीवंत करेंगे।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 12:38 PM (IST)
बड़े पर्दे पर वरुण धवन निभाएंगे पुणा हॉर्स रेजिमेंट के इस सबसे युवा शहीद का किरदार Meerut News

मेरठ, [अमित तिवारी]। छावनी में 200 साल के गौरव की झलक दिखा चुकी भारतीय सेना की पुणा हॉर्स रेजिमेंट के सबसे युवा शहीद सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल पर फिल्म बनेगी। 1971 के युद्ध में बसंतर की लड़ाई के हीरो रहे शहीद अरुण खेत्रपाल का किरदार अभिनेता वरुण धवन बड़े पर्दे पर जीवंत करेंगे। दिल्ली में रह रहे शहीद अरुण के भाई मुकेश से कहानी सुनने के बाद निर्माता दिनेश विजन और निर्देशक श्रीराम राघवन फिल्मी पर्दे पर अरुण की शौर्य गाथा दिखाने को लालायित हैं। फिल्म में उनकी दिलेरी के साथ ही पिता-पुत्र के मजबूत रिश्ते की भी झलक होगी। शहीद अरुण अपने पिता ब्रिगेडियर एमएल खेत्रपाल की ही तरह अफसर बनना चाहते थे।

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‘फामागुस्ता’ के साथ हिट रही जोड़ी

से. ले. अरुण सेंचुरियन टैंक ‘फामागुस्ता’ पर थे। टैंक में दो गोले लग चुके थे। दुश्मन के आठ टैंक उड़ा दिए। पाकिस्तान के 13 लैंसर के कमांडर मेजर निसार के अंतिम टैंक के सामने 75 मीटर दूर खड़े थे। अंतिम व चौथा गोला सीधे टैंक में घुस गया। इसमें सवार नंद सिंह व अरुण खेत्रपाल शहीद हो गए और एएलडी नाथू सिंह बुरी तरह जख्मी हुए। सेना ने फामागुस्ता टैंक पुणा हॉर्स रेजिमेंट को युद्ध में जीत की निशानी के तौर पर भेंट किया। मेजर निसार ने कहा था कि ‘अरुण हमारे जवाबी हमले की जीत और हार के बीच में चट्टान की तरह खड़े रहे’।

 

छह महीने बाद पहुंचे रणभूमि

14 अक्टूबर-1950 को जन्मे से. ले. अरुण खेत्रपाल 13 जून-1971 को पूना हॉर्स में भर्ती हुए। तीन दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ। बटालियन शकरगढ़ सेक्टर में बसंतर की लड़ाई में शामिल हुई। भारतीय सेना इस सेक्टर में 10 मील भीतर घुस गई।

युद्ध के बीच माता-पिता को ल‍िखा खत

10 दिसंबर को अपने घर पर भेजे खत में उन्होंने लिखा-‘मेरे प्यारे माता-पिता, आप लोग कैसे हैं, वहां क्या चल रहा है। यहां सब ठीक है..फिर लिखूंगा। आपका प्यारा बेटा अरुण।’ युद्ध के दौरान मिले निर्देश को मानते हुए टैंक में आग लगने के बाद भी पीछे हटने से मना कर दिया और 16 दिसंबर को शहीद हुए। उसी दिन युद्ध विराम हुआ। सेना इस दिन को विजय दिवस के तौर पर मनाती है।

मिला सर्वोच्च सम्मान

उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया। नेशनल डिफेंस एकेडमी में खेत्रपाल परेड ग्राउंड, इंडियन मिलिट्री एकेडमी में खेत्रपाल ऑडिटोरियम व मेरठ छावनी में अरुण खेत्रपाल एनक्लेव बनाया है।


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