आयुष्मान भारत योजना : आनंद और जगदंबा अस्पताल पैनल से बाहर Meerut News
आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़े के बाद एंटी फ्राड टीम ने आनंद और जगदंबा अस्पताल की जांच की जिसके बाद दोनों अस्पतालों को डी-पैनल कर दिया गया है।
मेरठ, जेएनएन। आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़े की परत खुलने के बाद तीन अस्पतालों पर बड़ी कारवाई हुई है। स्टेट हेल्थ कमेटी के निर्देश पर आनंद अस्पताल और जगदंबा अस्पताल को आयुष्मान के पैनल से बाहर कर दिया गया। जिलाधिकारी ने भी मुहर लगा दी। उधर, जैन मेडिकल एंड लेजर आई सेंटर को पहले ही डी-पैनल किया जा चुका है।
एंटी फ्राड टीम ने खोली पोल
नेशनल हेल्थ एथॉरटी की टीम ने गत दिनों आयुष्मान योजना में शामिल चंद अस्पतालों की पड़ताल की। मेरठ में शिकायतों की संख्या ज्यादा मिलने पर एंटी फ्राड टीम ने आनंद अस्पताल, जगदंबा, अप्स नोवा समेत कई अस्पतालों की जांच की। पता चला कि आनंद अस्पताल ने पंजीकरण में 300 बेड का दावा किया था, जबकि मौके पर सिर्फ 250 बेड मिले। वहीं, जगदंबा अस्पताल में ओपीडी के मरीजों को भर्ती दिखाया गया था। अप्स नोवा अस्पताल में रात में आइसीयू में स्टाफ मानकों के मुताबिक नहीं मिला।
जिलाधिकारी ने भी की संस्तुति
एंटी फ्रॉड टीम ने इन अस्पतालों के खिलाफ स्टेट हेल्थ कमेटी से शिकायत की। स्वास्थ्य विभाग को जांच दी गई। एसीएमओ डा. पूजा शर्मा ने बताया कि तीनों अस्पतालों की जांच रिपोर्ट देखते हुए डीएम ने भी दो अस्पतालों को पैनल से बाहर करने की संतुति दे दी। अप्स नोवा अस्पताल की सम्बद्धता बच सकती है। नेशनल हेल्थ एथारटी ने 13 नवंबर को जिलाधिकारी अनिल ढींगरा को पत्र भेजकर पैनल के अस्पतालों की नए सिरे से पड़ताल करने के लिए कहा है।
लोकप्रिय अस्पताल में बिल मांगने पर हंगामा
आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज की प्रक्रिया विवादों में उलझती जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने बिल का भुगतान करने का दबाव बनाया। हंगामा होने पर पुलिस ने मामला शांत कराने का प्रयास किया। कार्ड को लेकर भी असमंजस बना रहा। शास्त्रीनगर निवासी अक्षत सक्सेना ने अपनी माँ निरुपमा सक्सेना को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी की वजह से लोकप्रिय में भर्ती कराया। पता चला कि मरीज के ब्रेन में क्लाट बन गया है। तीन तारीख को परिजनों ने आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन किया, और कार्ड मिल भी गया। परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों से मरीज का हाल पूछने पर कहा कि यहां कोई न्यूरोफिजीशियन नहीं है।
आयुष्मान मित्र ने नहीं की मदद
परिजन दूसरे अस्पताल ले जाने लगे, तभी बिल भुगतान को लेकर हंगामा हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने ढाई लाख का बिल थमाया, किंतु परिवार ने आयुष्मान का कार्ड दिखाया। परिजनों ने बताया कि इस दौरान अस्पताल में कार्यरत आयुष्मान मित्र निशा ने भी कोई मदद नहीं की। हंगामा सुनकर आसपास से बड़ी संख्या में लोग जुट गए। पुलिस ने पहुंचकर मामला शांत कराया। इधर, परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से अस्पताल की शिकायत की है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज कैश कटेगरी में भर्ती था, ऐसे में आयुष्मान का दावा गलत है।