कोरोना काल में आंवला बेमिसाल, दाम में भी उछाल
आंवले का फसली सीजन अंतिम चरण में है। लेकिन कोरोना काल में आंवला का सेवन तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर व आयुर्वेदिक चिकित्सकों के परामर्श के बाद आंवले की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। आंवला में औषधीय गुण होने के कारण इसे अमृतफल भी कहा जाता है। आंवले में कैलशियम फाइबर व विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है।
मेरठ, जेएनएन। आंवले का फसली सीजन अंतिम चरण में है। लेकिन कोरोना काल में आंवला का सेवन तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर व आयुर्वेदिक चिकित्सकों के परामर्श के बाद आंवले की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। आंवला में औषधीय गुण होने के कारण इसे अमृतफल भी कहा जाता है। आंवले में कैलशियम, फाइबर व विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। आंवला न मिलने पर लोग इसका मुरब्बा, चटनी अचार को इस्तेमाल में ला रहे हैं।
छह हेक्टेयर में होती है आंवले की खेती
जिला उद्यान अधिकारी आरएस राठौर ने बताया कि मेरठ में करीब छह हेक्टेयर में आंवले की खेती होती है। अधिकतर किसान इसे सहफसली के रूप में लगाते हैं। शुरूआती सीजन नंवबर-दिसंबर में यह सफेद और मई जून तक आते-आते हरा हल्का रंग लेने लगता है। बताया कि 2012-13 सत्र में आयुष मिशन के तहत किसानों को आंवले का बीज वितरण किया गया था। इसके बाद से योजना नहीं आई। मेरठ में इसकी मुख्य प्रजाति एन-6, एन-7, एन-10 और चकैया है। इसका बीज प्रतापगढ़ से आता है।
तीस रुपये में खरीदा, ग्राहक को 80 में बेचा
तहसील मवाना के ग्राम कुंडा निवासी किसान बाबूराम भाटी करीब छह साल से आंवले की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष वह लावड़ और मवाना की मंडी में अधिकतम बीस रुपये प्रति किला पर बेचते थे। लेकिन इस बार उन्हें 30 से 40 रुपये किलो के दाम मिले। बताया कि एक पेड़ से एक कुंतल आंवला उतर जाता है। वहीं, मंडी बाजार में यह दोगुने दामों में 60 रुपये तक फुटकर दुकानदारों को बेचा जा रहा है। इसी तरह दुकान पर आते-आते यह ग्राहक को 80 रुपये प्रति किलो में बेचा जा रहा है।