अलकनंदा को हाईकोर्ट से राहत नहीं, याचिका खारिज
2215 सफाई कर्मियों की आपूर्ति करने वाली एजेंसी अलकनंदा पर सफाई कर्मियों की भविष्य निधि का 2.70 करोड़ रुपया गबन करने का आरोप है।
मेरठ। नगर निगम 2215 सफाई कर्मचारियों के भविष्य निधि के 2.70 करोड़ की वसूली के मामले में एजेंसी अलकनंदा को हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल सकी है। हाईकोर्ट मे अलकनंदा की याचिका को खारिज करते हुए पैसा भविष्य निधि में जमा कराने अथवा नगर निगम से पत्राचार करने का आदेश दिया है।
नगर निगम में अक्टूबर 2015 से नवंबर 2017 तक 2215 सफाई कर्मियों की आपूर्ति करने वाली एजेंसी अलकनंदा पर सफाई कर्मियों की भविष्य निधि का 2.70 करोड़ रुपया गबन करने का आरोप है। कमिश्नर के आदेश पर इस राशि की वसूली के लिए नगर निगम ने एजेंसी को नोटिस जारी किया है। इस आरोप में एजेंसी मालिक के खिलाफ दो एफआइआर भी दर्ज हैं। भविष्य निधि की इस राशि की वसूली के खिलाफ एजेंसी मालिक अक्षेंद्र भानू ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसमें उनके अधिवक्ता केके अरोरा तथा सुशील कुमार ने बताया कि भविष्य निधि में एजेंसी ने लगातार पैसा जमा कराया है। यदि अभी भी भविष्य निधि की देनदारी बनती है तो उसे एजेंसी जमा कराने को तैयार है। एजेंसी ने अपने लाभांश तथा निगम द्वारा भुगतान से की गई 95 लाख की कटौती का भी भुगतान कराने की मांग की थी।
इस मामले की गुरुवार को सुनवाई के दौरान निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव तथा आरटीआइ कार्यकर्ता लोकेश खुराना की ओर से राजेश मिश्रा मौजूद रहे। राजेश मिश्रा ने अलकनंदा पर निगम से लगातार भुगतान प्राप्त करके भविष्य निधि खाते में जमा न करने, अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन करके निर्धारित से ज्यादा लाभ कमाने तथा भविष्य निधि की राशि को वापस निगम में भी जमा न कराने का आरोप लगाते हुए एजेंसी को कोई राहत न देने की मांग की। अधिवक्ताओं ने बताया कि हाईकोर्ट ने एजेंसी के अधिवक्ता से नाराजगी जताई तथा कोई भी राहत देने से इन्कार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यदि भविष्य निधि का पैसा बकाया है तो उसे जमा कराया जाये। एजेंसी का यदि निगम से विवाद है तो उसका पत्राचार निगम से करे।