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किसान कल्याण के नए मापदंड तय करेगा कृषि विधेयक

किसानों को अपनी उपज देश में कहीं भी किसी को भी बेचने की आजादी देना ऐतिहासिक कदम है। 21वीं सदी में भारत का किसान बंधनों में बंधकर नहीं बल्कि खुलकर खेती करेगा। किसान अब किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा।

By Edited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:08 AM (IST)
प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनाएगा।

मेरठ, जेएनएन। किसानों को अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी बेचने की आजादी देना ऐतिहासिक कदम है। 21वीं सदी में भारत का किसान बंधनों में बंधकर नहीं, बल्कि खुलकर खेती करेगा। जहां मन आएगा अपनी उपज बेचेगा। किसान अब किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा और उपज के साथ आय भी बढ़ाएगा। इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।

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एमएसपी पूर्व की भांति जारी रहेगा। प्रगतिशील किसानों का कहना है कि प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनाएगा। साथ ही किसानों को अपनी पसंद के निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका भी प्रदान करेगा। सरकार ने यह पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इन कानूनों के आने से एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह व्यवस्था यथावत बनी रहेगी, साथ ही अब किसानों के पास एमएसपी के अतिरिक्त भी अपनी उपज बेचने के कई विकल्प मौजूद होंगे।

किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आया विधेयक

नरेंद्र विकल डेढ़ सौ बीघा में गन्ना, ज्वार व गेहूं की खेती करने वाले भूड़बराल निवासी किसान नरेंद्र विकल कहते हैं कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आजाद किया है। इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने के और ज्यादा विकल्प मिलेंगे। इन विधेयकों के जरिए 'वन नेशन वन मार्केट' की तर्ज पर किसानों को अपना उपज किसी भी राज्य में ले जाकर बेचने की आजादी होगी।

विधेयक को राजनैतिक चश्मे से न देखें किसान

आनंद कुमार सब्जी उत्पादन व मंडी से जुड़े गंगानगर निवासी किसान आनंद कुमार कहते हैं कि कृषि विधेयक किसानों के हित में मील का पत्थर साबित होगा। मंडी में बिचौलियों व मुनाफाखोरों के मकड़जाल से किसानों को मुक्ति मिलेगी। इन विधेयकों को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए और गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद इसका समर्थन करें। किसान के दृष्टिकोण से देखने पर ही इसके लाभ का पता चल सकेगा।


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