After Ayodhya Verdict : ...सुबह के राग में साकार हुई अयोध्या की भोर Meerut News
अयोध्या के माथे पर सजता भोर का सिंदूर कुछ इसी अंदाज में मेरठ के शास्त्रीय गायक पंडित विश्वनाथ अपने मानस पटल में रामनगरी को साकार कर लेते हैं।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। सरयू नदी की जलधारा पर अंगड़ाई लेती एक सुबह। अयोध्या के माथे पर सजता भोर का सिंदूर। मंदिरों से उठती स्वर लहरियों से नगर जागने लगा। साझी संस्कृति की बयार चलने लगती है। कुछ इसी अंदाज में मेरठ के शास्त्रीय गायक पंडित विश्वनाथ अपने मानस पटल में रामनगरी को साकार कर लेते हैं। वो सरयू तट पर कभी नहीं जा सके, लेकिन सुबह के राग तोड़ी में डूबे भजन..श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणम..से अयोध्या की मानसिक सैर कर लेते हैं। माघ माह में सरयू के तट पर संगीत साधक सुरों का दीप जलाएंगे। पंडित विश्वनाथ, अजय चक्रवर्ती, उस्ताद राशिद खां व पंडित राजन-साजन मिश्र जैसे सुर गंधर्व वहां डेरा डालेंगे।
कोमल गंधार से महकी भोर
पंडित विश्वनाथ बताते हैं कि सुबह के राग में ये भजन खिल गया। इस राग में कोमल रे, ग व ध लगते हैं। राग का चलन और प्रकृति ऐसी है कि भावनाओं का सागर उमड़ पड़ता है। उनके गायन में मींड और गमक से राग और निखर गया। वो बताते हैं कि भक्ति रस प्रधान होने से राग तोड़ी में भजन का सौन्दर्य बढ़ जाता है। कहा कि कई अन्य राम भजनों पर भी काम किया जा रहा है।
बेगम अख्तर की गजलों में बहता है अवध
बनारस घराने के मूर्धन्य शास्त्रीय गायक पंडित राजन-साजन मिश्र के साथ रामभजनों पर तबले से संगत दे चुके उस्ताद अकरम खान कहते हैं कि संगीत में ईश्वर का साक्षात स्वरूप प्रकट होता है। अयोध्या में महान गजल गायिका बेगम अख्तर की रूह आज भी प्रशंसकों से रूबरू होती है। अकरम मानते हैं कि फैजाबाद-अयोध्या से लेकर लखनऊ तक ठुमरी, दादरा और गजलों की भी सरस धारा बहती है। राम के भजनों में अयोध्या के प्राणस्वर बसते हैं।
चलो मन गंगा-सरयू तीर
घंटाघर निवासी व महान शहनाई वादक पंडित जगन्नाथ और पंडित ओम प्रकाश से संगीत की बारीकियां सीखने वाले पंडित विश्वनाथ अयोध्या में भजन गायन को लेकर काफी उत्सुक हैं। वो कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार माघ माह में सरयू के तट पर बड़ा संगीत कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। इसमें पंडित विश्वनाथ के साथ ही अजराड़ा घराने के तबलानवाज उस्ताद अकरम खान भी शिरकत के लिए बेताब हैं। कार्यक्रम में संगीत मरतड पंडित जसराज, पंडित राजन-साजन मिश्र, उस्ताद राशिद खान, मनु महराज व अनुराधा पौडवाल जैसे बड़े सुरसाधक नजर आ सकते हैं। वो मानते हैं कि अवध के संगीत में उर्दू का अदब और हिन्दी की शालीनता है।
लता ने राग यमन तो विश्वनाथ ने साधा मियां की तोड़ी
किराना घराने की परंपरा में पारंगत शास्त्रीय गायक पंडित विश्वनाथ भगवान राम के अनन्य भक्त हैं। तुलसीदास की अमर रचना.श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन..भजन सुर कोकिला लता मंगेशकर ने राग यमन में गाया है, जो शाम का राग है। किंतु पंडित विश्वनाथ ने धार्मिक नगरी में पूजा अर्चना के माहौल को देखते हुए सुबह के राग मियां की तोड़ी में सुरों का पर्वत खड़ा किया। 2004 में रिलीज उनकी तुलसी भजन की सीडी देश-दुनिया में खूब सुनी गई।