हाशिमपुरा कांड : गैरहाजिर ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने भी किया सरेंडर
हाशिमपुरा कांड में दोषी ठहराए गए सिपाही अलग-अलग तारीखों पर सरेंडर कर रहे हैं। अब एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने भी सरेंडर कर दिया है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 02:22 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 02:22 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। हाशिमपुरा कांड के दोषी रिटायर्ड सिपाही अलग-अलग तारीखों पर सरेंडर कर रहे हैं। बुधवार को आगरा ट्रैफिक पुलिस में तैनात सिपाही ने भी तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर कर दिया। यही एक अदद सिपाही नौकरी में था। बाकी सभी सिपाही रिटायर्ड हो चुके हैं। अब छह सिपाही बचे हुए हैं। उनके सरेंडर की तिथि पता नहीं पा रही है क्योंकि इन सजायाफ्ता ने काफी समय से अपने अधिवक्ता से संपर्क नहीं किया है। इन सभी सिपाहियों के गैर जमानती वारंट भी जारी हैं।
तिहाड़ जेल भेजा
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए बुधवार को सिपाही हमबीर पहुंचे। उन्हें सरेंडर के बाद तिहाड़ जेल भेज दिया गया। बता दें कि हमबीर मूलरूप से अलीगढ़ के पाली मुकीमपुर थानाक्षेत्र के रहने वाले हैं। वह वर्तमान में आगरा ट्रैफिक पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर ड्यूटी कर रहे थे। उनके रिटायर्ड होने में अभी एक साल बचा हुआ था। आगरा के ट्रैफिक इंस्पेक्टर सतीश राय के अनुसार, हमबीर दिल्ली हाईकोर्ट से सजा होने से तीन दिन पहले छुट्टी गए थे, लेकिन उसी दौरान अदालत से उन्हें सजा हो गई। जिसके बाद वह गैरहाजिर हो गए थे। हालांकि उनका कहना है कि हमबीर का मोबाइल खुला था और वह सरेंडर की बात बोलता था।
यह था हाशिमपुरा कांड
मेरठ स्थित हाशिमपुरा में 22 मई 1987 की रात सेना ने जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा व आसपास के मोहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया था। सभी पुरुषों व बच्चों को हाशिमपुरा मोहल्ले के बाहर मुख्य सड़क पर एकत्रित कर वहां मौजूद पीएसी के जवानों के हवाले कर दिया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाशिमपुरा के 50 मुस्लिम युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक पर लाद दिया गया था। ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने युवकों को मारकर मुरादनगर की गंग नहर और गाजियाबाद में हिंडन नहर में फेंक दिया था। इनमें से 38 युवक मारे गए थे।
ये सिपाही कर चुके सरेंडर
सिपाहियों के अधिवक्ता गोपाल जौहरी ने बताया कि निरंजन लाल, महेश, समी उल्लाह, जयपाल ने 22 नवंबर को सरेंडर किया था। वहीं, सुरेश चंद, बुद्धा सिंह, रामध्यान सिंह, कुंवरपाल और श्रवण कुमार ने मंगलवार को सरेंडर किया था। बुधवार को हमबीर ने सरेंडर किया। वहीं, कमल सिंह, रामबीर सिंह, लीला धर, बुधी सिंह, मोहकम सिंह, बसंत वल्लाह का सरेंडर होना बाकी है।
तिहाड़ जेल भेजा
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए बुधवार को सिपाही हमबीर पहुंचे। उन्हें सरेंडर के बाद तिहाड़ जेल भेज दिया गया। बता दें कि हमबीर मूलरूप से अलीगढ़ के पाली मुकीमपुर थानाक्षेत्र के रहने वाले हैं। वह वर्तमान में आगरा ट्रैफिक पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर ड्यूटी कर रहे थे। उनके रिटायर्ड होने में अभी एक साल बचा हुआ था। आगरा के ट्रैफिक इंस्पेक्टर सतीश राय के अनुसार, हमबीर दिल्ली हाईकोर्ट से सजा होने से तीन दिन पहले छुट्टी गए थे, लेकिन उसी दौरान अदालत से उन्हें सजा हो गई। जिसके बाद वह गैरहाजिर हो गए थे। हालांकि उनका कहना है कि हमबीर का मोबाइल खुला था और वह सरेंडर की बात बोलता था।
यह था हाशिमपुरा कांड
मेरठ स्थित हाशिमपुरा में 22 मई 1987 की रात सेना ने जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा व आसपास के मोहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया था। सभी पुरुषों व बच्चों को हाशिमपुरा मोहल्ले के बाहर मुख्य सड़क पर एकत्रित कर वहां मौजूद पीएसी के जवानों के हवाले कर दिया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाशिमपुरा के 50 मुस्लिम युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक पर लाद दिया गया था। ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने युवकों को मारकर मुरादनगर की गंग नहर और गाजियाबाद में हिंडन नहर में फेंक दिया था। इनमें से 38 युवक मारे गए थे।
ये सिपाही कर चुके सरेंडर
सिपाहियों के अधिवक्ता गोपाल जौहरी ने बताया कि निरंजन लाल, महेश, समी उल्लाह, जयपाल ने 22 नवंबर को सरेंडर किया था। वहीं, सुरेश चंद, बुद्धा सिंह, रामध्यान सिंह, कुंवरपाल और श्रवण कुमार ने मंगलवार को सरेंडर किया था। बुधवार को हमबीर ने सरेंडर किया। वहीं, कमल सिंह, रामबीर सिंह, लीला धर, बुधी सिंह, मोहकम सिंह, बसंत वल्लाह का सरेंडर होना बाकी है।
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