दुनिया में वीजा के ट्रंप कार्ड हैं मेरठ के अभिषेक Meerut News
इसी वर्ष जून में मेरठ के अभिषेक को वीजा ने बीटूबी का ग्लोबल हेड बनाया है। साथ ही वाइस प्रेसीडेंट का पद भी सौंपा है।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। वीजा के ग्लोबल हेड (बिजनेस टू बिजनेस व कॉमर्शियल पेमेंट बिजनेस) व वाइस प्रेसीडेंट अभिषेक मेरठ से दूर सात समंदर पार अपनी वित्तीय समझ को साबित कर रहे हैं। बेगम पुल स्थित निष्काम भवन में बचपन बिताने वाले अभिषेक ने साबित किया है कि सपने बड़े हों और जज्बा हो तो टीयर-टू शहरों से निकलकर भी विश्व पटल पर छाया जा सकता है। सेंट मेरीज एकेडमी से स्कूली शिक्षा लेने वाले अभिषेक इन दिनों बाजार के भुगतान की तस्वीर बदलने में जुटे हैं। मैकेंजी और अमेरिकन एक्सप्रेस से होते हुए अब उनका पड़ाव वीजा-न्यूयार्क है। उन्हें यह जिम्मेदारी इसी वर्ष जून में मिली है।
अब वीजा दूसरे देशों के साथ ही भारत में भी अपनी ग्राहकों की संख्या
बढ़ाने की दिशा में बढ़ रही है। अभिषेक (फोन पर) कहते हैं कि निजी तौर पर उनका मानना है कि बीटूबी-कॉमर्शियल पेमेंट्स को कार्ड पर कन्वर्ट करने से अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी। भारत जैसे देश, जहां मैन्युफैरिंग इंडस्ट्री को और काम करना है, कार्ड पेमेंट उनकी वकिर्ंग कैपिटल का संकट दूर करने, बिक्री बढ़ाने, बाजार में लिक्विडिटी बनाने में अहम साबित होगा। यही वजह है कि भारत सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ ही अपना रुपे कार्ड भी लांच किया। अभी यह कस्टमर पेमेंट तक सीमित है। भारत की तरह ही चीन व कुछ अन्य देशों ने भी अपना-अपना बिजनेस पेमेंट कार्ड उतारा हुआ है।
क्या है बीटूबी
बिजनेस टू बिजनेस, व्यवसायों के बीच लेन-देन का एक रूप है, जो एक निर्माता और थोक व्यापारी, एक थोक व्यापारी और एक खुदरा विक्रेता के बीच होता है। व्यवसाय से व्यवसाय का तात्पर्य ऐसे व्यवसाय से है जो किसी कंपनी और व्यक्तिगत उपभोक्ताओं के बीच की बजाय कंपनियों के बीच होता है।
कम हो जाती है लागत
बीटूबी-पेमेंट कार्ड से करने पर माल देने वाली कंपनी का वकिर्ंग कैपिटल ब्लॉक नहीं होता क्योंकि कार्ड प्रदाता संस्था खरीदार के एवज में भुगतान करती है। ऐसे में उत्पाद की लागत भी कम हो जाती है। व्यापार को मजबूती मिलती है जबकि चेक पेमेंट में जब तक यह बैंक से कैश नहीं होता, पूंजी ब्लॉक रहती है।
भारत में भी बढ़ रहा बीटूबी का बाजार
बीटूबी बिजनेस में गहराई से पांव जमाने को आतुर अलीबाबा ने हाल ही में भारतीय बाजार का आकलन किया था। अपने देश में बीटूबी का बाजार फिलहाल 52500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर है, 2020 में इसके 70 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
बहुत बड़ा और संभावनाशील बाजार है बीटूबी का
अभिषेक कहते हैं कि आज दुनियाभर में बिजनेस टू बिजनेस-कॉमर्शियल पेमेंट्स का सालाना बाजार लगभग 130 से 140 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जबकि सिर्फ दो फीसद ही पेमेंट्स ई-कार्ड के जरिए है। इसी तरह बिजनेस टू कंज्यूमर पेमेंट्स सालभर में 40 लाख करोड़ डॉलर के आसपास का है और लगभग 30 फीसद पेमेंट ई-कार्ड के जरिए होते हैं। ऐसे में बीटूबी में हमारे लिए अपार संभावनाएं हैं। हमारे लिए चेक पेमेंट्स बड़ी चुनौती है। भारत जैसे एशिया महाद्वीप के देशों में तो 50 से 60 फीसद बीटूबी पेमेंट आज भी चेक से हो रहे हैं। इसे कार्ड पेमेंट पर लाना हमारे लिए चुनौती कम, अवसर ज्यादा है।
अभिषेक की प्रोफाइल
सेंट मेरीज एकेडमी, मेरठ से 1995 में 12वीं
दिल्ली के शहीद सुखदेव बिजनेस स्कूल से ग्रेजुएशन
पुणो के प्रतिष्ठित सिम्बायोसिस सेंटर फॉर मैनेजमेंट एंड हृयूमन रिसोर्स डेवलपमेंट से एमबीए
मैकेंजी गुड़गांव में प्लेसमेंट। यहीं से 2004 में डेपुटेशन पर बॉस्टन गए
2009 में अमेरिकन एक्सप्रेस में बतौर निदेशक ज्वाइन किया। यहीं वाइस प्रेसीडेंट बने। बीटूबी पर फोकस
जून, 2019 में वीजा के वाइस प्रेसीडेंट बने। बीटूबी-कॉमर्शियल पेमेंट बिजनेस के ग्लोबल हेड