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86.47 लाख हुए खर्च, रेनवाटर नहीं..जमा हो रहा कूड़ा-कचरा

जनता की गाढ़ी कमाई को किस तरह से पानी की तरह बहा दिया जाता है कसेरूबक्सर का तालाब इसका जीता जागता उदाहरण है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 06:07 AM (IST)
86.47 लाख हुए खर्च, रेनवाटर  नहीं..जमा हो रहा कूड़ा-कचरा
86.47 लाख हुए खर्च, रेनवाटर नहीं..जमा हो रहा कूड़ा-कचरा

मेरठ, जेएनएन। जनता की गाढ़ी कमाई को किस तरह से पानी की तरह बहा दिया जाता है, कसेरूबक्सर का तालाब इसका जीता जागता उदाहरण है। करीब दो हजार वर्ग मीटर में फैले इस तालाब को बसपा शासनकाल में सुंदरीकरण व रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रोजक्ट बनाया जाना था। अब सरकार बदलते ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग की जगह यह कूड़ाघर में तब्दील हो गया। इसके लिए एमडीए ने योजना के तहत 86 लाख 47 हजार 928 रुपये खर्च किया था।

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आरटीआइ से मिली जानकारी

गंगानगर बी-ब्लॉक निवासी सक्षम सेवा संस्था अध्यक्ष आशीष मलिक ने तालाब के संबंध में आरटीआइ के माध्यम से एमडीए से जानकारी मांगी थी। एमडीए के जवाब में बताया गया है कि एलएमसी की जमीन पर कसेरूबक्सर के तालाब का निर्माण व रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य हापुड़ रेलवे रोड स्थित पुष्पा कंस्ट्रक्शन से कराया गया था। इस कार्य पर 86 लाख 47 हजार 928 रुपये रुपये खर्च किया गया। उस समय एमडीए में अवर अभियंता रामभूल सिंह खलौरिया व तेजवीर सिंह और एसपी सिंह मुख्य अभियंता तैनात थे।

टूटी दीवारें, गंदा पानी, उपलों से भरा तालाब

गंगानगर एफ-ब्लॉक के पास कसेरूबक्सर में यह तालाब अब कूड़ाघर में तब्दील हो चुका है। इसकी चारदीवारी पर आसपास के लोग गोबर के उपले बनाते हैं। उधर, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जगह तालाब के बीचों-बीच एकत्र हुआ आसपास का गंदा व नाले का पानी इसमें समा रहा है। स्थानीय निवासी संजय शर्मा और आनंद जाटव का कहना है कि तालाब में ठहरे हुए गंदे पानी और गंदगी से क्षेत्र में बीमारी पसरने का खतरा बनने लगा है।


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