84 दिन बाद एक सप्ताह में मौतों का आकड़ा दहाई से नीचे
- 23 सप्ताह में सिर्फ चौथी बार मेडिकल में दस से कम मौतें - सíदयों में आ सकती है नई लहर आइसीयू
मेरठ, जेएनएन : अक्टूबर में कोरोना का तेवर नरम पड़ने का सिलसिला नवंबर में भी जारी रहा। मेडिकल कालेज में 12 सप्ताह बाद मौतों का आकड़ा दस से कम रहा। 28 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच नौ मरीजों की मौत हुई है। कोविड वार्ड ने इलाज के नए प्रोटोकाल पर कड़ी मेहनत की। शासन की निगरानी का असर रहा कि गत चार सप्ताह के दौरान मौतों में लगातार गिरावट देखी गई। गत दो सप्ताह के दौरान कई दिन ऐसे भी रहे, जब मौत का आकड़ा शून्य रहा।
मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में अब तक 2085 मरीजों भर्ती हुए, जिसमें 22.1 फीसद की दर से 462 की मौत हो चुकी है। एक सप्ताह के दौरान पहली बार 27 मई से दो जून के बीच 12 मरीजों की मौत हुई थी। इसके बाद 23 सप्ताह के दौरान सप्ताह में सिर्फ तीन बार मौतों का आकड़ा दस के नीचे रहा। लेकिन सितंबर में बड़ी संख्या में मौतों से प्रदेश सरकार हरकत में आई, और अपर मुख्य सचिव पी गुरुप्रसाद को नोडल अधिकारी बनाकर मेरठ भेजा। दो से आठ सितंबर के बीच 30, नौ से 15 सितंबर के बीच 46, 16-22 सितंबर के बीच 44 मरीजों की मौत हुई। आने वाले सप्ताहों में भी दस से ज्यादा लोगों की मौत हुई। लेकिन 84 दिन बाद आठ अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच भर्ती 64 मरीजों में से नौ की मौत हुई। प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि मरीजों के इलाज में कारगर बदलाव किए गए। मरीजों की भर्ती में तत्परता दिखाई गई। आइवरमेक्टिन, रेमिडीसीवीर, एजीथ्रोमाइसीन, डाक्सी व अन्य दवाओं के सटीक उपयोग से बेहतर परिणाम मिले हैं। इससे पहले जून माह में बड़ी संख्या में मरीजों की जान गई थी।
कब क्या रही मौत की स्थिति
सप्ताह मौतें
एक से सात अप्रैल 01
आठ से 14 अप्रैल 00
15-21 अप्रैल 02
22-28 अप्रैल 03
29 अप्रैल-पाच मई 03
छह से 12 मई 06
13-19 मई 07
20-26 मई 02
27मई से दो जून 12
तीन-नौ जून 24
10-16 जून 33
17-23 जून 23
24-30 जून 12
एक से सात जुलाई 08
आठ-14 जुलाई 09
15-21 जुलाई 11
22-28 जुलाई 15
29जु. से चार अगस्त 06
पाच-11 अगस्त 10
12-18 अगस्त 14
19-25 अगस्त 11
26अगस्त-एक सितंबर 21
दो से आठ सितंबर 30
9-15 सितंबर 46
16-22 सितंबर 44
23-29 सितंबर 23
30 सितं-6 अक्टूबर 31
सात से 13 अक्टूबर 12
14-20 अक्टूबर 17
21-27 अक्टूबर 11
28 अक्टू-तीन नवंबर 09
इनका कहना है..
कोरोना की दो लहरों यानी जून और सितंबर को पार कर लिया गया है। वार्ड में आइसीयू, वाईपैप, हाई फ्लो नेजल कैनुला और रेमिडीसीवीर दवा के सटीक प्रयोग से कई मरीजों की जान बचाई गई। आकड़े भी गवाही दे रहे हैं, लेकिन खतरा टला नहीं है। सीनियर डाक्टर भी कोविड वार्ड में जा रहे हैं। इलाज की सुविधाएं बढ़ने के साथ मौत की दर घटी है।
डा. सुधीर राठी, कोविड वार्ड प्रभारी