सीसीएसयू में नकली मार्कशीट व डिग्री बनाने में भी खेल!
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में एमबीबीएस, परास्नातक, एलएलबी आदि विभिन्न कोर्स
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में एमबीबीएस, परास्नातक, एलएलबी आदि विभिन्न कोर्स की उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले से तो पर्दा एसटीएफ ने उठा दिया, लेकिन विश्वविद्यालय में मार्कशीट और डिग्रियों के हेरफेर में भी इस तरह का मामला बन सकता है, क्योंकि विश्वविद्यालय में मार्कशीट और डिग्रियों के सत्यापन में कई बार फर्जी तरीके से डिग्री और मार्कशीट का मामला पकड़ा जा चुका है।
विवि में शनिवार को एसटीएफ ने कापियों के बदलने का मामला पकड़ा है। विवि में केवल कापियों की हेराफेरी ही नहीं होती, बल्कि फर्जी तरीके से डिग्री और मार्कशीट बनाने में भी एक रैकेट काम कर रहा है। विवि में सत्यापन के लिए आने वाली डिग्रियों में कई तरह का फर्जीवाड़ा देखने को मिल रहा है। जहां कुछ बाहरी एजेंट नकली मार्कशीट और डिग्री को असली बनाने की कोशिश भी है। कोलकाता से सीसीएसयू में सत्यापन के लिए फर्जी डिग्री में एक ऐसा ही मामला अभी कुछ दिन पहले पकड़ में आया था। इसमें एजेंटों ने केवल विवि की फर्जी डिग्री तैयार कर ली थी, उसको सही बनाने के लिए विवि के रजिस्ट्रार का फर्जी मुहर बनाकर खुद वेरीफिकेशन रिपोर्ट तैयार करके भी जारी कर दिया था। यह गड़बड़झाला उस समय पकड़ में आया जब गलत पते की वजह से एक वेरीफिकेशन रिपोर्ट वापस होकर सीसीएसयू में पहुंचा। दूसरा फर्जीवाड़ा आरटीआइ में पकड़ में आया, इसमें विश्वविद्यालय के लेटर पर फर्जी मार्कशीट को असली बताकर उस प्रतिष्ठान को भेज दिया गया। ऐसे में विवि में डिग्री और मार्कशीट के सत्यापन से लेकर फर्जी तरीके से डिग्री बनाने के मामले में भी किसी खेल से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
विजिलेंस को भेजी रिपोर्ट
विवि में जिस तरह से रजिस्ट्रार के नाम से फर्जी मुहर लगाकर और आरटीआइ में फर्जी मार्कशीट को सही बनाकर भेजा गया, उसकी रिपोर्ट विजिलेंस की टीम को की गई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो फर्जी मार्कशीट और फर्जी तरीके से वेरीफिकेशन की रिपोर्ट सबसे अधिक कोलकाता से आ रही है। इससे आशंका है कि कोई एजेंट या रैकेट इसमें सक्रिय है।
कई कोर्स की मार्कशीट में गड़बड़ी
विवि के सत्यापन में बीएड, बीबीए, बीसीए, बीपीएड, बीकाम की फर्जी मार्कशीट पकड़ी जा रही है। फर्जी मार्कशीट के आधार पर बहुत से लोग प्राइवेट नौकरी में लगे हुए हैं। इसे रोकने के लिए प्राइवेट कंपनियों की ओर से मार्कशीट का सत्यापन करने के लिए विवि में भेजा जा रहा है।
अब हर डाक का रिकार्ड
विवि अधिकारियों का कहना है कि विवि स्तर पर सत्यापन या रिकार्ड के साथ कोई गड़बड़ी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए अब विवि ने हर डाक का रिकार्ड रखना शुरू कर दिया है। विभागीय कर्मचारियों को भी सत्यापन में विशेष सावधानी रखने के लिए कहा गया है। ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।