बुनकरों की आड़ में लुट गई 4800 करोड़ की बिजली, अब ऐसे रोकेंगे फर्जीवाड़ा Meerut News
हैरत की बात है कि हथकरघा विभाग पर पावर कारपोरेशन का 4800 करोड़ रुपया बकाया है। बुनकरों की आड़ में प्रदेश में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में बिजली की लूट रोकने को सरकार ने कमर कस ली है।
मेरठ, [अनुज शर्मा]। बुनकरों को पिछले 13 साल से मिल रही सस्ती बिजली की आड़ में प्रदेश में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में बिजली की लूट रोकने को सरकार ने कमर कस ली है। हथकरघा विभाग पर पावर कारपोरेशन का 4800 करोड़ रुपया बकाया है। इसे लेकर लगातार हंगामा होता है लेकिन बिजली अफसरों की शह पर यह ‘खेल’ बदस्तूर जारी है। अब डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के जरिए प्रत्येक बुनकर और फैक्ट्री को बिजली का पूरा बिल जमा कराना होगा। सस्ती बिजली के पात्र बुनकरों के बैंक खाते में छूट की राशि रसोई गैस की सब्सिडी की भांति पहुंचेगी।
फैक्ट्रियों ने भी बुनकर बिजली कनेक्शन
वर्ष 2006 में सपा सरकार ने बुनकरों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की योजना चलाई थी। धीरे-धीरे इस योजना में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों ने भी बुनकर बिजली कनेक्शन ले लिए। पांच वर्ष में पूरे प्रदेश में बुनकर कनेक्शनों की संख्या 6 हजार से बढ़कर 1.25 लाख तक पहुंच गई थी। योजना के मुताबिक, एक मशीन पर आधा हार्स पॉवर और अधिकतम एक हार्स पॉवर बिजली सस्ती दरों में दी जानी थी लेकिन बिजली अफसरों की मेहरबानी से पूरी फैक्ट्री की बिजली सस्ती दरों पर चलने लगी। छूट की बिजली की भरपाई सरकार ने हथकरघा विभाग के जरिए करने की व्यवस्था की थी, लिहाजा पावर कारपोरेशन उक्त राशि की मांग हथकरघा विभाग से करता है। वर्तमान में यह बकाया राशि 4800 करोड़ रुपये है जबकि कई हजार करोड़ रुपया पूर्व में भी पावर कारपोरेशन को दिया जा चुका है।
अब देना होगा सात रुपये यूनिट से बिल
प्रदेश सरकार ने बिजली लूट का खेल खत्म करने के लिए डीबीटी योजना का खाका बनाया है। लगभग एक साल से इस दिशा में काम जारी रहने के बाद योजना लगभग फाइनल स्टेज में है। अब फैक्ट्री हो या घरों में कपड़ा तैयार करने वाले बुनकर, सभी को बिजली का पूरा बिल देना होगा। वह भी औद्योगिक श्रेणी के बिजली कनेक्शन की दरों पर। इस श्रेणी में बिजली के दाम सात रुपये से 7.60 रुपये प्रति यूनिट होंगे।
65 रुपये नहीं अब बिल बनेगा 2500 से 10,000
बुनकर बिजली योजना के तहत अभी तक बुनकर कनेक्शन रखने वाले लोगों को बिजली के बिल के रूप में प्रति मशीन प्रति महीना 65 रुपये प्रति हार्सपॉवर की दर से भुगतान करना होता था। एक मशीन का वास्तविक बिल 2500 से लेकर 10 हजार तक होता था। बाकि राशि को सब्सिडी के रूप में हथकरघा विभाग के खाते में डाल दिया जाता था। डीबीटी लागू होते ही एक मशीन पर अधिकतम एक हार्स पॉवर बिजली की छूट मिलेगी। उसमें भी अधिकतम मासिक खर्च 270 यूनिट होगा। जिस पर 3.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी खाते में पहुंचेगी। इस सब्सिडी को पाने के लिए बुनकर को वास्तविक बिल जमा करके रसीद उपलब्ध करानी होगी।
एक मशीन पर हर महीने 945 रुपये सब्सिडी
अब सब्सिडी के रूप में बड़ी मशीन पर एक महीने में 270 यूनिट तथा छोटी मशीन पर 140 यूनिट बिजली का पैसा वापस मिलेगा। यह पैसा 3.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिलेगा। यानी, हर छोटी मशीन पर 490 और बड़ी मशीन पर 945 रुपये सब्सिडी बुनकर के बैंक खाते में पहुंचेगी।
इनका कहना है
अक्टूबर से लागू होगी डीबीटी योजना, पात्र बुनकरों के खाते में पहुंचेगी सब्सिडी, बिजली लूट रोकने को बनाया मुकम्मल खाका डीबीटी योजना की तैयारियां एक साल से चल रही हैं लेकिन अभी इसका पूरा प्रारूप स्पष्ट नहीं है। अक्टूबर में योजना को लागू करने की चर्चा है। इससे सस्ती बिजली के नाम पर फर्जीवाड़ा बंद होगा। साथ ही हथकरघा विभाग और पावर कारपोरेशन को भी खासी राहत मिलेगी।
- सुनील यादव, सहायक निदेशक हथकरघा विभाग
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