तीन घंटे में मारे 250 फट्टे, शरीर पर चोट के गहरे निशान
भले ही मृतक पक्ष और पुलिस का समझौता हो गया हो लेकिन पुलिस पिटाई की वायरल वीडियो बर्बरता की कहानी बयां कर रही है।
मेरठ,जेएनएन। भले ही मृतक पक्ष और पुलिस का समझौता हो गया हो, लेकिन पुलिस पिटाई की वायरल वीडियो बर्बरता की कहानी बयां कर रही है। करीब तीन घंटे पूछताछ के दौरान पुलिस ने प्रदीप के कूल्हे पर 250 फट्टें मारे। प्रदीप के पैर और कमर पर भी पिटाई के निशान थे। उसे नुकीली वस्तु भी मारी गई थी। प्रदर्शनकारियों ने वीडियो को आधार बनाकर अफसरों से कार्रवाई की मांग की। इसके बाद भी घटनाक्रम पर मैनेजमेंट की स्क्रिप्ट लिख दी गई। यानि सिक्योरिटी गार्ड की पिटाई के बाद भी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा नहीं लिखा गया। एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में मौत के बाद पोस्टमार्टम हाउस पर परिजनों ने हंगामा किया था। इसके बाद कमिश्नर ऑफिस पर प्रदर्शन हुआ। शांति व्यवस्था बनाने के लिए कई थानों की पुलिस लगा दी गई थी। पूरे मामले में कार्रवाई को लेकर हापुड़ पुलिस लगी है।
भाई के मोबाइल से फोन करके धोखे से बुलाया था
धरने में शामिल प्रदीप के पिता राजकुमार, ताऊ बरन सिंह, भाई कुलदीप और दस वर्षीय पुत्र राहुल का रो-रोकर बुरा हाल था। भाई कुलदीप ने बताया कि उसके मोबाइल पर फोन कर इनाम निकलने की जानकारी देकर उसे बुलाया गया था, जब वह थाने पहुंचा तो सादे कपड़ों में मौजूद पुलिस कर्मियों ने उसे घेर लिया। डरा-धमकाकर उसके मोबाइल से प्रदीप को फोन कराकर उसे छिजारसी पुलिस चौकी पर बुलाया गया था। राहुल ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने उसके पिता को बेरहमी से पीटा था। उसके सामने ही पेचकस, डंडे, सरिया और पट्टें से पिता की पिटाई की। बार-बार पुलिस वाले बाहर जाकर गाड़ी में रखी शराब पीकर आ रहे थे और प्रदीप की पिटाई कर रहे थे।
वीडियोग्राफी से हुई प्रदीप का पोस्टमार्टम
ग्रामीणों के मानने के बाद देर शाम चिकित्सकों के पैनल ने प्रदीप के शव का पोस्टमार्टम किया। इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। ग्रामीणों की मांग पर गांव के एक चिकित्सक को भी पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के दौरान अंदर रखा गया।
हापुड़ में हुई प्रदीप तोमर की मौत के बाद सभी थानों की पुलिस को मानवाधिकार आयोग के नियमों को ध्यान में रखने के आदेश दिए है। मौत की मजिस्ट्रेट और विभागीय जांच बैठा दी गई। हापुड़ एसपी ने इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज और कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया। ताकि वह जांच को प्रभावित न कर सकें। हापुड़ कप्तान को पूरे मामले में निष्पक्ष जांच कर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
आलोक सिंह, आइजी मेरठ