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मेरठ में 22 फीसद कोविड मरीजों की मौत, प्राचार्य ने डाक्टरों के साथ ही आपात बैठक

मेडिकल कालेज में 21 अक्टूबर तक भर्ती कुल मरीजों में से 22 फीसद की जान चली गई। गत सप्ताह एक बार फिर मरीजों की मौतों का आंकड़ा बढ़ने पर प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने गुरुवार दोपहर 12 बजे सभी विभागाध्यक्षों एवं डाक्टरों के साथ आपात मीटिंग की।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:47 PM (IST)
मेरठ में 22 फीसद कोविड मरीजों की मौत।

मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कालेज में 21 अक्टूबर तक भर्ती कुल मरीजों में से 22 फीसद की जान चली गई। गत सप्ताह एक बार फिर मरीजों की मौतों का आंकड़ा बढ़ने पर प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने गुरुवार दोपहर 12 बजे सभी विभागाध्यक्षों एवं डाक्टरों के साथ आपात मीटिंग की। कोविड वार्ड के हाल में हुई मीटिंग में प्राचार्य ने प्रति सप्ताह कोविड मरीजों के मौतों का आंकड़ा चिकित्सकों से साझा किया। प्राचार्य ने बताया कि अब तक 1979 भर्ती मरीजों में 441 की मौत हुई है, जो कई अन्य राजकीय मेडिकल कालेजों से ज्यादा है। निजी अस्पतालों से अब भी मरीज अंतिम क्षणों में मेडिकल कालेज भेजे जा रहे हैं, इसीलिए कोविड वार्ड का आंकड़ा सुधर नहीं रहा है। प्राचार्य ने बताया कि दो दिन पहले एक मरीज को तब भर्ती कराया गया, जबकि उसकी आक्सीजन 23 फीसद पहुंच गई थी। इसी प्रकार, 90 फीसद मरीज रेफर होकर देर से इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि अक्टूबर के पहले सप्ताह में जहां मौत की दर 36 फीसद तक पहुची थी, वो 14 से 20 अक्टूबर तक 18 फीसद पर आ गई। लेकिन सप्ताह में एक दिन ऐसा भी रहा, जब पांच मरीजों की मौत हो गई।

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कोविड विशेषज्ञों ने इलाज की बनाई नई योजना

न्यूरोसर्जन डा. संजय कुमार शर्मा ने मीटिंग में कहा कि तकरीबन सभी कोविड मरीजों में सूजन मिल रहा है, ऐसे में बायोमार्कर जांच रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन जरूरी है। साइटोकाइन स्टार्म और खून का थक्का बनने से मरीजों की मौतें हुई हैं, ऐसे में सभी मरीजों का डी-डाइमर टेस्ट अनिवार्य रूप से करना है। खून को पतला बनाने वाली दवाएं काफी कारगर हो सकती हैं। गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. अरविंद्र त्रिवेदी ने बताया कि अब तक 210 से ज्यादा कोविड मरीजों की डायलिसस की गई है। वायरस से गुर्दे में सूजन मिल रही है, जो खतरनाक है। क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा. विपिन धामा ने मरीजों में आक्सीजन सेचुरेशन, प्रोफसर टीवीएस आर्य ने मरीजों के हार्ट और फेफड़े की जटिलताओं के इलाज को लेकर परामर्श दिया। उन्होंने माना कि कई मरीजों में खून गाढ़ा एवं चिपचिपा होने पर हार्ट एवं ब्रेन अटैक का भी खतरा है। प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने साफ किया कि हर भर्ती मरीज की पुरानी बीमारियों की प्रोफाइल बनाकर ही इलाज किया जाए, जिससे मौत की दर नियंत्रित होगी। 


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