एनसीईआरटी ने तैयार किया प्री-प्राइमरी करिकुलम, नौ अध्याय में है विस्तृत जानकारी
एनसीईआरटी ने प्री-प्राइमरी करिकुलम तैयार किया है। इसमें नौ अध्याय में विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही कुछ निदेश भी जारी किया है।
मेरठ, जेएनएन। नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक यानी प्री-प्राइमरी शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। इस कड़ी में एनसीईआरटी ने पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए करिकुलम तैयार कर लिया है। करिकुलम को एनसीईआरटी ने हिंदी व अंग्रेजी में तैयार किया है।
प्री-प्राइमरी के करिकुलम में निहित नौ अध्याय में प्री-प्राइमरी शिक्षा के महत्व को समझाने के साथ ही संकल्पना, उद्देश्य, सिद्धांत, विशेषता, आकलन आदि की विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें कक्षा एक से पहले तीन साल की पढ़ाई यानी तीन से छह सात की आयु वर्ग के बच्चों का करिकुलम दिया गया है।
अपनी भाषा में बच्चों की पढ़ाई
पूर्व प्राथमिक शिक्षा आंगनवाड़ी, नर्सरी स्कूल, पूर्व-प्राथमिक विद्यालय, प्रीपेटरी स्कूल, किंडरगार्टन, मोंटेसरी स्कूल और सरकारी व निजी स्कूलों में दी जाती है। यह पाठ्यचर्या इस बात को महत्व देती है कि बच्चों का सकारात्मक दृष्टिकोण, अच्छे मूल्य, समीक्षात्मक चिंतन के कौशलों, सहयोग, रचनात्मकता, तकनीक, साक्षरता और सामाजिक-भावनात्मक विकास हो। बच्चों के सर्वागीण विकास एवं आजीवन सीखने हेतु मजबूत नींव डालना, बच्चों को विद्यालय के लिए तैयार करना इसका उद्देश्य है।
इसमें छोटे बच्चों की विशेषताएं, सतत और संचयी सीखने की प्रवृत्ति, खेल गतिविधियां, परिजनों से सहयोगी संवाद और मातृ भाषा यानी घर की भाषा में शिक्षण देना ही उद्देश्य है।
ऐसे होगा बच्चों का आकलन
बच्चों की गतिविधियों, उनके स्वास्थ्य पोषण, शारीरिक एवं सामाजिक कल्याण के गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन पर आधारित होगा।
बच्चों का आकलन खेल व अन्य गतिविधियों के अवलोकनों के माध्यम से होगा।
किसी भी कारण किसी भी बच्चे की लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं ली जाएगी।
आकलन का उद्देश्य बच्चों पर उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण का ठप्पा लगाना नहीं है।
आकलन बच्चे की कमी के स्थान पर उसकी शक्तियों पर केंद्रित होना चाहिए।
शिक्षक बच्चों के आकलन के आधार पर गतिविधियों की योजना बनाएंगे।
शिक्षक व अभिभावक दोनों मिलकर बच्चे की प्रगति की निगरानी करेंगे।
बच्चों की मदद के लिए अभिभावक शिक्षा को मिलेगी प्रमुखता।
बच्चों के अभिभावकों को संसाधन के तौर पर जोड़ा जाएगा।
हर कक्षा में पूरे होंगे तीनों लक्ष्य
प र्व-प्राथमिक की तीनों कक्षाओं में प्री-प्राइमरी के तीनों लक्ष्य को साधने के लिए तीनों की अलग-अलग विस्तृत कार्ययोजना भी दी गई है। इनमें मुख्य अवधारणाएं या कौशल, शैक्षणिक प्रक्रियाएं में शिक्षक क्या कर सकते हैं और सीखने के आरंभिक प्रतिफल शामिल है। इसमें बातचीत करना और सुनना, शुरुआती पठन, लेखन, द्वितीय भाषा से परिचय, संवेदी विकास, संज्ञानात्मक कौशल, संख्या बोध, परिवेश से संबंधित अवधारणाएं, तकनीकी का प्रयोग आदि शामिल हैं।
पूर्व प्राथमिक शिक्षा के तीन प्रमुख लक्ष्य
प्री-प्राइमरी शिक्षा के तीन प्रमुख लक्ष्य में, बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली को बनाए रखना, बच्चे प्रभावशाली संप्रेषक बनें और बच्चों का सीखने के प्रति उत्साह प्रदर्शित करना और अपने आस-पास के परिवेश से जुड़ने की प्रवृत्ति विकसित करना है। बच्चों को एक समूह में रुचिकर एवं उम्र के अनुरूप खेल गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर मिलने से उनमें अपनी बारी का इंतजार करना, साझा करना, दूसरों की मदद करना, अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानना एवं संवेदनशील बनने में सहयेाग करती हैं। अधिक पठन का अवसर देना जिससे शब्द-भंडार समृद्ध हो। इसके अलावा गणितीय सोच व तार्किक चिंतन विकसित करना, गतिविधियों के जरिए उन्हें निखारना आदि लक्ष्य में शामिल है।