coronaviruseffect : अफवाहों से बचने के लिए पढ़े स्वच्छ और सुरक्षित अखबार : डा. अमित जैन Meerut News
कोरोना को लेकर पूरे देश में भ्रम और अफवाह फैलाने का काम किया जा रहा है। ऐसे में अखबार ही एक ऐसा सही माध्यम है जिससे आपकों सही जानकारियां मिल सकती हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौरान दुनियाभर में दहशत का माहौल है, लेकिन यह डरने नहीं, सतर्कता बरतते हुए सामना करने का वक्त है। भ्रामक सूचनाओं से हर हाल में बचना होगा। अखबार हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जिसके जरिए हमें विश्वसनीय समाचार मिलते हैं। खबरों के जरिए हम देश-दुनिया की हलचल से वाकिफ होते हैं। लेकिन भ्रम फैलाने वालों ने अखबारों को भी वायरस से संक्रमित बता दिया, जो नितांत निराधार है। ऐसी भ्रामक सूचनाओं से बड़ी आबादी सच जानने से वंचित रह जाएगी, जिससे समाज की हानि होगी। लोगों को इससे बचना होगा। अखबार हमें यह भी बता रहे हैं कि कोरोना महामारी बन चुकी है, लेकिन हर हाल में जानलेवा नहीं है। बड़ी संख्या में मरीज ठीक भी हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन तक लॉकडाउन की अपील की, जिसका सभी को पालन करना चाहिए। घर में रहकर परिवार के साथ वक्त बिताना चाहिए। इससे जहां संक्रमण से निजात मिलेगी, वहीं वायरस की चेन भी टूटेगी। आज भारत दुनिया के सामने एक बड़ा उदाहरण रखने की स्थिति में है, जरूरत है कि सब घर में रहते हुए देश का ख्याल करें। अखबार और पत्रिकाएं खूब पढ़ें, इससे कोरोना नहीं होगा।
अखबार से नहीं फैलता कोरोना वायरस
कृषि विवि में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरएस सेंगर का कहना है कि उनकी हर सुबह अखबार से होती है। वायरोलॉजिस्टों को अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि यह वायरस कागज की सतह पर जिंदा रह सकता है या मल्टीप्लाई हो सकता है।
अखबार से ही शुरू होती है हर सुबह
अपने आवास पर शनिवार सुबह दैनिक जागरण पढ़ते कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल। वह कहते हैं कि सही सूचनाओं को हासिल करने का सबसे प्रमुख व विश्वसनीय जरिया आज भी अखबार ही हैं। खासकर ऐसी परिस्थितियों में जब तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं।