बरसे बदरा, बदला मौसम..और बदला है नजारा
ऋतुराज बंसत के सीजन में बरखा रानी की झमाझम दस्तक से वातावरण बदल गया। गुरुवार की रात से शुरू हुई बारिश झड़ी शुक्रवार दोपहर तक जारी रही। 24 घंटे के अंतराल में अधिकतम तापमान में 9.5 डिग्री की गिरावट दर्ज हुई जिससे लोग कांपते नजर आए। महाशिवरात्रि पर बारिश की झड़ी से समूची प्रकृति तरोताजा और उल्लासित नजर आई।
मेरठ, जेएनएन। ऋतुराज बंसत के सीजन में बरखा रानी की झमाझम दस्तक से वातावरण बदल गया। गुरुवार की रात से शुरू हुई बारिश झड़ी शुक्रवार दोपहर तक जारी रही। 24 घंटे के अंतराल में अधिकतम तापमान में 9.5 डिग्री की गिरावट दर्ज हुई, जिससे लोग कांपते नजर आए। महाशिवरात्रि पर बारिश की झड़ी से समूची प्रकृति तरोताजा और उल्लासित नजर आई। आकाशीय बिजली गिरने घटनाओं के साथ ओलावृष्टि भी हुई।
जनपद में 22 दिन बाद बारिश हुई है। इसके पहले 29 जनवरी को बारिश हुई थी। इस दौरान मौसम पूरी तरह शुष्क बना था। लग रहा था कि गर्मी ने पैर फैलाने शुरू कर दिए। दिन का तापमान तीन से चार डिग्री अधिक चल रहा था। फरवरी में औसत बारिश 28 मिमी होती है। 20 और 21 फरवरी को पहली बारिश ने मौसम के कलेवर पूरी तरह बदल दिए। अधिकतम तापमान गिर कर 16.7 डिग्री पहुंच गया। गुरुवार को यह 26.2 डिग्री था। वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री अधिक 14.1 डिग्री रहा।
गुरुवार की रात और शुक्रवार को दिन में हुई बारिश की तीव्रता अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रही। मौसम विभाग ने जहां शाम 5.30 बजे तक 9.4 मिमी बारिश रिकार्ड की, वहीं मोदीपुरम में कृषि प्रणाली संस्थान मौसम वेधशाला में 14 मिमी बारिश दर्ज की गई। मेरठ के आसपास के जिलों में भी अच्छी बारिश हुई। खेकड़ा में सर्वाधिक 98 मिमी बारिश हुई है। गुरुवार को रातभर गरज-चमक के साथ बारिश होती रही। वहीं शुक्रवार को दिन में रह-रहकर मेघ घिर कर आए और बारिश हुई। कृषि प्रणाली संस्थान के प्रधान मौसम वैज्ञानिक डा. एन. सुभाष ने बताया कि 22 फरवरी को आसमान में हल्के बादल छाए रहेंगे। बारिश के आसार अब नहीं हैं। अगले दो दिन तक सर्द हवाओं के चलने से रात के तापमान में गिरावट आएगी।
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बारिश फसलों के लिए मुफीद नहीं
मेरठ: फरवरी में हुई बारिश फसलों के लिए बहुत अच्छी नहीं है। विशेष रूप से आलू की खेती करने वाले किसान बारिश से मायूस हैं। आलू की तैयार फसल में पानी भरने से उसकी क्वालिटी गिर जाएगी। कृषि प्रणाली संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एम शमीम ने बताया कि गेहूं के जिन खेतों में किसानों से सिंचाई कर दी है उन्हें नुकसान होगा। चूंकि खेतों में पानी अधिक होने से पकड़ कमजोर होगी और हवा से फसल गिर सकती है। हालाकि जिन किसानों ने सिंचाई नहीं की है उनके लिए बारिश से नुकसान नहीं होगा। मटर की फसल को भी बारिश से नुकसान होगा।