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विश्‍व रेडियो दिवस पर विशेष : मेरठ से दयाल की फरमाइश पर सुनिए.. हसीना से मुलाकात हो गई Meerut News

मेरठ का नाम सुनकर ज्यादातर घरों के रेडियो के वॉल्यूम बढ़ा दिए गए थे। यह था 90 का दशक। ‘यह विविध भारती है आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम।’

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 11:36 AM (IST)
विश्‍व रेडियो दिवस पर विशेष : मेरठ से दयाल की फरमाइश पर सुनिए.. हसीना से मुलाकात हो गई Meerut News

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। ‘अभी-अभी झुमरी तलइया से रामेश्वर और मेरठ से दयाल का टेलीग्राम हमें प्राप्त हुआ है। जिसमें उन्होंने एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई गाना सुनाने का अनुरोध किया है। उनकी फरमाइश पर पेश है यह गीत।’ गाना बज उठा। दयाल खुशी से उछले और मरफी के अपने पुराने रेडियो को सिग्नल पहुंचाने के लिए जैन नगर वाले घर की पुरानी सीढ़ियों से दूसरी छत पर छलांग लगा दी। यह जुनून सिर्फ दयाल में ही न था।

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पंचरंगी कार्यक्रम

मेरठ का नाम सुनकर ज्यादातर घरों के रेडियो के वॉल्यूम बढ़ा दिए गए थे। यह था 90 का दशक। ‘यह विविध भारती है आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम।’ यह आवाज हर घरों में गूंजती और लोग अपने-अपने समय का बेसब्री से इंतजार करते। ..कोरा कागज था ये मन मेरा.. पल-पल दिल के पास.. अब कदम ही साथ न दे तो मुसाफिर क्या करे..गीत यूं ही तेज आवाज में गूंजते रहते। 90 के दशक से पहले पैदा हुए हर शख्स के पास रेडियो को लेकर एक कहानी जरूर होती है।

बहुत प्रभावित किया

‘‘.. परमीला के नाम से जब फरमाइशी गीत बजा तो वह चौंक गई थी..मैंने उसके नाम से शरारत भरा पोस्टकार्ड भेजा था। वह साथ में पढ़ती थी। खैर बाद में मैंने बता दिया था। ’’ गजेंद्र उन दिनों को याद करके मुस्कराते हैं। 1969 में जब मैं 14 साल का था घर में पहला ट्रांजिस्टर आया था। उछल पड़ा था क्योंकि अब तक पड़ोसियों के यहां सुनने जाया करते थे। धीरे-धीरे यह जुनून उनकी उम्र के साथ बढ़ता चला गया। एस कुमार के फिल्मी मुकदमे और देवकीनंदन के समाचार ने बहुत प्रभावित किया। यही शौक मुङो बाद में रेडियो लेखन की ओर घसीट ले गया और नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र के लिए लेखन किया।’’ 60 की उम्र पार कर चुके हरि विश्नोई अपना यह संस्मरण सुनाते हैं और अभी भी उन्हें रेडियो सुनने की आदत है।

पुरानी यादें अभी जहन में

‘‘मेरे दादा को रेडियो से ज्यादा मतलब नहीं रहा करता था। जब वह सो जाते थे तो मैं चुपके से बिनाका गीत माला या और गाने सुनने के लिए रेडियो खोलता था। ऐसा जुनून था कि खाना भले न मिले पर रेडियो सुनने का मौका जरूर मिल जाए। 72 साल का हो गया हूं लेकिन अभी भी रेडियो से लगाव उसी तरह का है।’’शास्त्रीनगर के पीके त्यागी के जेहन में 1965 की पुरानी बातें ताजा हैं।

मन का रेडियो बजने दे जरा...

मेरठ, [विनय विश्वकर्मा]। मन का रेडियो बजने दे जरा, गम को भूलकर जी ले तू जरा, स्टेशन कोई नया ट्यून कर ले जरा, फुल टू एटीट्यूड दे दे तू जरा ..। फिल्म रेडियो में हिमेश रेशमिया का यह गाना अक्सर लोगों की जुबां पर रहता है। आज विश्व रेडियो दिवस है। मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में आज भी रेडियो की दीवानगी लोगों पर देखने को मिलती है। समय के साथ रेडियो के स्वरूप में भी बदलाव हुआ। बावजूद इसके रेडियो की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ के लिए रेडियो को माध्यम चुना और लोगों की दीवानगी को और बढ़ा दिया।

गीत-संगीत से लेकर इंटरव्यू तक के दीवाने

मेरठ में आकाशवाणी केंद्र समेत तीन रेडियो स्टेशन हैं। इसमें आकाशवाणी केंद्र मेरठ से स्थानीय प्रसारण नहीं है, लेकिन जल्द ही पश्चिमी उप्र की लोक संस्कृति के कार्यक्रम 101.7 एफएम पर प्रसारित होंगे। वहीं, रेडियो आइआइएमटी 90.4 व रेडियो नगीन 107.8 पर दिनभर गीत-संगीत के साथ सामाजिक, आर्थिक, खेल, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा व व्यापार आदि विषयों पर कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। प्रत्येक क्षेत्र से विशेषज्ञ व सलाहकारों का इंटरव्यू लेकर समस्याओं पर विचार-विमर्श भी किया जाता है।

इनका कहना है

रेडियो एक ऐसा मनोरंजन का साधन है। जिसके लिए अलग से वक्त निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। इस सुनकर हम मस्ती के साथ अपना काम भी करते रहते हैं। रेडियो दुनिया का सबसे सस्ता व सुगम माध्यम है। पढ़ने-लिखने में असमर्थ लोगों को रेडियो से जानकारी मिलती है।

- आरजे हुसैन, आइआइएमटी रेडियो 90.4 एफएम

रेडियो से लोगों को जोड़ने का मौका मिलता है। जब किसी श्रोता के गाने की रिक्वेस्ट उसके नाम से पूरी होती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। सुबह भक्ति के कार्यक्रम से शुरू होकर शाम तक एंटरटेनमेंट, गीत-संगीत, बच्चों की पाठशाला आदि कार्यक्रम पसंद किए जाते हैं। ऐतिहासिक स्थलों पर भी कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

- कुंवर जीशान, रेडियो नगीन, 107.8 एफएम

जब पीसीओ के नंबर भी घिसने लगे

10 पैसे के पोस्टकार्ड और टेलीग्राम से जमाना आगे बढ़ा और विविध भारती पर फरमाइशी गीत सुनने के लिए फोन नंबर जारी हुआ। यह दीवानी शहर के युवाओं में ऐसी सिर चढ़कर बोली कि एक रुपये के डिब्बे वाले पीसीओ में लड़के इतना फोन करते कि नंबरों का पेंट छूट जाता था।

जीता था जिसके लिए.. के बिना अधूरी फरमाइश

अजय देवगन, सनी देओल जैसे हीरो ने जब युवाओं के दिमाग पर जादू किया तो लड़कों के सिर पर दिल टूटने वाले गानों की फरमाइश बढ़ गई। खैरनगर के नगीन बताते हैं कि जीता था जिसके लिए.. गीत रोजाना ही रेडियो पर सुनाई देता था। लगता था इसके बिना फरमाइश ही अधूरी हो।

राजनीति की बैठकों में चुप रहकर सुनते थे समाचार

खैरनगर, घंटाघर के पास कई ऐसी जगह थीं जहां पर राजनीतिक बैठकें हुआ करती थीं। राजनीतिक चर्चा के बीच में रेडियो उस वक्त घेरे के बीच रख दिया जाता था जब समाचार आते थे। इस दौरान सभी को चुप रहने की हिदायत थी। राम मेहर बताते हैं कि उनके चाचा बताते थे कि अगर कोई बीच बोल देता था तो उसे कई बैठकों से दूर रहने का दंड मिल जाता था। समाचार सुनने के बाद चर्चा शुरू होती थी और बैकग्राउंड में गाना बजता रहता था। 


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