अब कचरे से बनेगी बिजली, एनर्जी कंपनी और पीवीवीएनएल के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट Meerut News
शहर में अब कचरे से बिजली बन सकेगी। बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी और पीवीवीएनएल के बीच मंगलवार को पावर परचेज एग्रीमेंट हो गया है।
मेरठ, जेएनएन। अब कचरे से बिजली बन सकेगी। बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी और पीवीवीएनएल के बीच मंगलवार को पावर परचेज एग्रीमेंट हो गया है। मंगलवार को ऊर्जा भवन में शाम चार बजे पीवीवीएनएल के मुख्य अभियंता वाणिज्य संजय आनंद जैन और बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी के डायरेक्टर बिजेंद्र सिंह ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस अनुबंध को कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाले भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी मौजूद रहे।
बिजली का उत्पादन शुरू
मुख्य अभियंता वाणिज्य ने बताया कि एक मेगावाट प्रति घंटे बिजली खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया गया है। अब यूपी इलेक्टिसिटी रेगुलेटरी कमीशन से स्वीकृति ली जाएगी, जिसके बाद ही अनुबंध प्रभावी होगा। मुख्य अभियंता वाणिज्य ने बताया कि अप्रैल से पहले बिजली का उत्पादन शुरू हो गया तो नियमानुसार पीवीवीएनएल सात रुपये 20 पैसे की दर से प्रति यूनिट बिजली खरीदेगा। हालांकि इस पर अंतिम मुहर यूपी इलेक्टिसिटी रेगुलेटरी कमीशन लगाएगा।
बिजली खरीदने का यह पहला एग्रीमेंट
मुख्य अभियंता वाणिज्य ने कहा कि भूड़ बराल स्थित कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र से मोहकमपुर बिजली घर तक नई लाइन का निर्माण होगा। बिजली सीधे ग्रिड पर जाएगी। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र से बिजली खरीदने का यह पहला एग्रीमेंट है। कचरे के निस्तारण के साथ बिजली उत्पादन में नई क्रांति आएगी। मुख्य अभियंता वाणिज्य संजय आनंद जैन ने कहा कि बिजली उत्पादन की चुनौती को देखते हुए यह नया विकल्प है। यह प्रयोग सफल हुआ तो आने वाले समय में प्रदेश में ऐसे कई प्लांट लगने तय हैं। मालूम हो कि नगर निगम बिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी को 200 टन प्रतिदिन आरडीएफ (प्लास्टिक व पॉलीथिन) देगा। कचरे से निकले आरडीएफ से बिजली बनाई जाएगी। गत दिनों एनजीटी के ओवरसाइट कमेटी के सदस्य व पूर्व मुख्य सचिव ने निरीक्षण किया था।
पैचवर्क के टेंडर को लेकर नगरायुक्त से जताया विरोध
नगर निगम में सड़क के गड्ढे भरने के टेंडर को लेकर कुछ ठेकेदार नाराज हो गए हैं। देरशाम कैंप कार्यालय पहुंचकर नगर आयुक्त से विरोध जताया। नगर आयुक्त ने बुधवार को मुख्य अभियंता के साथ बैठक कर मामले को निपटाने का आश्वासन दिया है। दरअसल, नगर निगम ने करीब सवा करोड़ के कामों को लेकर पूर्व में टेंडर निकाले थे, लेकिन सिंगल टेंडर होने के कारण निरस्त कर दिए गए थे। इसके बाद तय हुआ था कि कोई भी टेंडर डाल सकता है। दोबारा प्रक्रिया में एसआर कंस्ट्रक्शन ने टेंडर डाल दिया। जिसे लेकर कुछ ठेकेदारों ने आपत्ति जताई है। नगर निगम के निर्माण विभाग ने लॉटरी से टेंडर फाइनल करने की प्रक्रिया अपनाई है।
स्काडा आटोमेशन का संचालन मार्च से
नगर आयुक्त कैंप कार्यालय पर मंगलवार को जल निगम की विद्युत यांत्रिकी शाखा के अधिकारियों के साथ वार्ता हुई, जिसमें स्काडा संचालन को लेकर निर्णय लिया गया। मार्च से स्काडा आटोमेशन का संचालन नगर निगम खुद कराएगा। जलनिगम के विद्युत यांत्रिकी शाखा के अधिशासी अभियंता अमित सहरावत ने वार्ता के दौरान फरवरी तक मेंटीनेंस की धनराशि का भुगतान होने के कारण स्काडा के संचालन की बात की। जिसके बाद नगर आयुक्त ने स्काडा के संचालन को नगर निगम को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए। नगर आयुक्त ने कहा कि टेंडर निकालकर खुद यह व्यवस्था देखेंगे। नगर आयुक्त के इस निर्णय के बाद जल निगम के अधिशासी अभियंता अमित सहरावत ने स्काडा का संचालन कर रही एजेंसी मेसर्स कोरोनेट इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को पत्र लिखकर फरवरी के बाद नगर निगम को मास्टर कंट्रोल रूम में को चाबी सौंपने के निर्देश दिए।
शताब्दीनगर आवासीय योजना संभालेगा निगम
शताब्दीनगर आवासीय योजना को भी अगले माह तक नगर निगम को हस्तांतरित किया जा सकता है। इसके लिए एमडीए व नगर निगम के बीच रखरखाव के मद में भुगतान को लेकर बातचीत का दौर चल रहा है। सूत्रों ने बताया कि नगर निगम शताब्दीनगर के लिए प्राधिकरण से रख-रखाव के नाम पर 46 करोड़ की मांग कर रहा है, लेकिन एमडीए इतनी राशि चुकाने को राजी नहीं है। क्योंकि आठ कॉलोनियों पर ही 69 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं तो एक कॉलोनी पर 46 करोड़ जैसी धनराशि देना एमडीए को अखर रहा है। करीब एक सप्ताह पूर्व ही एमडीए ने नगर निगम को गंगानगर, रक्षापुरम, मेजर ध्यानचंद नगर, वेदव्यासपुरी, सैनिक विहार, श्रद्धापुरी, डिफेंस एन्कलेव, पांडव नगर को हस्तांतरित किया गया था। शताब्दीनगर व लोहियानगर अभी प्राधिकरण के पास है। जिसमें से फिलहाल शताब्दीनगर को नगर निगम को हस्तांतरित करने की बात चल रही है।