सेना ने पूरा किया 'मिशन डॉग' का लक्ष्य
छावनी क्षेत्र में कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोकने और लोगों को सुरक्षित माहौल देने के लिए पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय द्वारा चलाया गया कुत्ता नसबंदी अभियान पूरा हो गया है।
मेरठ, जेएनएन। छावनी क्षेत्र में कुत्तों की बढ़ती संख्या को रोकने और लोगों को सुरक्षित माहौल देने के लिए पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय द्वारा चलाया गया 'कुत्ता नसबंदी अभियान' पूरा हो गया है। पीपल्स फॉर एनिमल्स संस्था के सहयोग से सेना ने इस साल भी 351 कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कर दी है। 21 जनवरी से 10 फरवरी तक चले इस अभियान में 181 फीमेल डॉग व 170 मेल डॉग की नसबंदी सफलता पूर्वक कर दी गई है। पकड़े गए कुत्तों को ऑपरेशन के बाद 294 कुत्तों को पकड़े जाने के स्थान पर ही छोड़ दिया गया। बचे 57 कुत्तों को मंगलवार को छोड़ा जाएगा।
नसबंदी से कम हुई कुत्तों की संख्या
सेना की ओर से वर्ष 2019 में अभियान चलाकर 352 कुत्तों की नसबंदी की गई थी। इनमें से 195 फीमेल डॉग थीं और 147 मेल डॉग थे। एक फीमेल डॉग छह महीने में औसतन छह से सात बच्चे को जन्म देती है। पिछले साल नसबंदी की गई 195 फीमेल डॉग्स के कारण एक साल में छह के आधार पर 2,340 कुत्ते कम पैदा हुए। इसी तरह मेल डॉग्स की नसबंदी होने से भी संख्या बढ़ने से रोकने में मदद मिली। इसी तरह इस साल 181 फीमेल डॉग्स की नसबंदी की जा चुकी है। अगले एक साल में इनसे भी छह बच्चे के हिसाब से 2,172 बच्चे पैदा होते, जिन्हें रोकने में मदद मिली है।
कचरा प्रबंधन से मिलेगा लाभ
सेना द्वारा चलाए गए कुत्तों को पकड़ने के अभियान का पिछले साल कुछ लोगों ने विरोध जताया था, जबकि इस बार लोगों ने आगे बढ़कर सहयोग किया। चिकित्सकों की मानें तो यह प्रक्रिया अगले कुछ साल चलाने की जरूरत है, तभी इसके दूरगामी प्रभाव दिखेंगे। इसमें रसोई व खानपान से संबंधित कचरे का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। खुलेआम खाद्य सामग्री फेंके जाने से कुत्ते आकर्षित होते हैं और फिर वहीं आसपास रहने लगते हैं। ये कुत्ते छावनी क्षेत्र में सीएसडी डीपो, व्हीलर्स क्लब, आरवीसी, गांधी क्लब, दबथुआ आदि क्षेत्रों से पकड़े और छोड़े गए।
एक कुत्ते पर एक हजार रुपये
एक कुत्ते को पकड़ने, नसबंदी करने और उन्हें वापस छोड़ने पर प्रति कुत्ता एक हजार रुपये खर्च हुए हैं। इस लिहाज से सेना ने साढ़े तीन लाख रुपये इस ऑपरेशन में खर्च किए। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2018 में निर्धारित दर के अनुरूप एनजीओ को प्रति कुत्ता 1,600 रुपये मिलते हैं। लेकिन यहां वाहन सहित अन्य सुविधाएं सेना द्वारा मुहैया कराए जाने से संस्था ने एक हजार रुपये शुल्क लिए।