1987 दंगा : पूर्व पार्षद समेत छह ने किया सरेंडर
1987 के दंगे में आरोपित पूर्व पार्षद समेत छह लोगों ने मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया जहां से सभी को जमानत मिल गई। अन्य आरोपितों की तलाश भी पुलिस ने तेज कर दी है।
मेरठ, जेएनएन। 1987 के दंगे में आरोपित पूर्व पार्षद समेत छह लोगों ने मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जहां से सभी को जमानत मिल गई। अन्य आरोपितों की तलाश भी पुलिस ने तेज कर दी है। वहीं, थाना पुलिस की जांच में सामने आया कि 25 लोग पहले ही बरी हो चुके हैं।
सांप्रदायिक दंगे के आरोपितों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। कोर्ट से जारी लिस्ट के आधार पर वांछित आरोपितों की पहचान का काम चल रहा है। काफी लोगों के नाम-पते की तस्दीक भी पुलिस ने कर ली है। क्षेत्र में भी हलचल बनी हुई है। चर्चा है कि कुछ लोग तो रिश्तेदारियों में भी चले गए हैं। वहीं, पुलिस के रडार पर आए छह लोगों ने मंगलवार को एसीजेएम प्रथम कोर्ट में सरेंडर किया। हालांकि सभी को जमानत भी मिल गई। थाना प्रभारी प्रशांत कपिल ने बताया कि नवाबुद्दीन, नूर मोहम्मद, निजामुद्दीन, अब्दुल अब्बास और साबिर ने कोर्ट में सरेंडर किया था। इनमें से नूर मोहम्मद पूर्व पार्षद भी है। इसके साथ ही अन्य लोगों के बारे में जानकारी मिली है। जल्द ही अन्य को पकड़कर जेल भेज दिया जाएगा।
16 साल तक चला मामला
दंगे के दौरान 125 लोगों को आरोपित बनाया गया था। इस दौरान 25 आरोपित ऐसे थे, जो लगातार तारीख पर जा रहे थे। लेकिन मामले में सुनवाई भी नहीं हो रही थी। क्योंकि अन्य आरोपित कोर्ट में नहीं पहुंचते थे। इसके बाद सभी 25 आरोपितों ने अपनी फाइल अन्य से अलग करा ली। इसके बाद उनके मामले की सुनवाई लगातार होने लगी। पिलोखड़ी चौकी प्रभारी करतार सिंह ने बताया कि 2003 में ऐसे सभी आरोपितों को कोर्ट ने बरी कर दिया था।
कुछ नौकरीपेशा तो कुछ कारोबारी
1987 के दंगे के आरोपितों की धरपकड़ के लिए चल रहे अभियान में कई चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई हैं। सूत्रों ने बताया कि दंगे के आरोपितों में कुछ नौकरीपेशा भी हैं। इनमें से कुछ शहर से बाहर हैं, तो कुछ शहर में भी अच्छा रसूख रखते हैं। साथ ही कुछ व्यापारी और कारोबार से भी जुड़े हैं। दो-चार लोग नेता भी बन गए हैं।