हैरानी की बात : देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों से ज्यादा जहरीली हुई मेरठ की हवा Meerut News
यह बात चौकाने वाली है। प्रदेश में मेरठ की हवा सबसे जहरीली हो गई है। यही नहीं देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों की तुलना में मेरठ की आबोहवा सांस लेने लायक नहीं है।
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। प्रदेश में मेरठ की हवा सबसे जहरीली हो गई है। यही नहीं देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों की तुलना में मेरठ की आबोहवा सांस लेने लायक नहीं है। सोमवार को सुधार के बाद मंगलवार को जनपद का एयर क्वालिटी इंडेक्स शाम को खतरनाक स्थिति में 324 पर पहुंच गया। हवा की बदतर स्थित को दर्शाता है। मेरठ से ज्यादा खराब स्थित करनाल 343 और पानीपत 336 की रही। रविवार को मेरठ का एयर क्वालिटी सूचकांक 202 आंका गया था। सोमवार को इसमें और सुधार हुआ और यह घट कर 189 रहा। 24 घंटों में इसमें 135 अंकों की बढ़ोत्तरी हुई है। दिल्ली में स्थिति मेरठ से बेहतर रही है।
नियमों का नहीं कर रहे पालन
वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए नियम-कानून तो खूब बनते हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग ही इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नगर निगम के अस्थाई कूड़ाघरों में कूड़ा सुलग रहा है। प्रतिदिन कई टन कूड़ा खुले आसमान के नीचे आग के हवाले कर दिया जाता है। दिनभर सुलगते कूड़े से धुंए का गुबार उठता है। जो शहर की आबोहवा को प्रदूषित कर रहा है। एक-दो स्थानों पर नहीं, यह हालात इन दिनों पूरे शहर में हैं। औद्योगिक क्षेत्र हों या फिर रिहायशी इलाके सभी वायु प्रदूषण की चपेट में है। हैरानी की बात ये है कि निगम के अफसर जानकर भी अंजान बने हुए हैं।
सुपरटेक पामग्रीन के निकट
बिजली बंबा बाईपास स्थित सुपरटेक पॉमग्रीन से महज 100 मीटर की दूरी पर नगर निगम अस्थाई तौर पर कूड़ा फेंक रहा है। यहां पर रोजाना सुबह कूड़ा डाला जाता है। दोपहर तक यह कूड़ा सुलगने लगता है। गीला होने के कारण जलता तो नहीं, लेकिन धुंआ देर रात तक इससे निकलता रहता है। जिससे आसपास के क्षेत्र में जलते कूड़े की दरुगध व्याप्त रहती है। नगर निगम की इस अव्यवस्था से सुपरटेक पामग्रीन और आसपास रहने वाले लोगों को प्रदूषित हवा में रहना पड़ रहा है।
रिठानी में पेट्रोल पंप के समीप दिल्ली रोड पर रिठानी में पेट्रोल पंप के समीप नाले के किनारे नगर निगम अस्थाई तौर पर कूड़ा डालता है। रिठानी बाजार से महज कोई 200 मीटर दूर यह अस्थाई खत्ता है। यहां पर सुबह कूड़ा उठाया जाता है, लेकिन इसके बाद जो भी कूड़ा यहां पड़ता है वह दिनभर सुलगता रहता है। इससे दिल्ली रोड पर धुंआ छाये रहने से वाहन चालकों को भी परेशानी होती है और दुर्घटना का खतरा रहता है। ऊपर से जलते कूड़े की दरुगध से आसपास के लोग परेशान हैं।
कितना घातक है कूड़ा जलाना
कचरे में प्लास्टिक की बोतलें, इलेक्ट्रॉनिक सामान, गंदे कपड़े हर तरह की गंदगी जला दी जाती है। इससे कार्बन डाई आक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है। वहीं, औद्योगिक प्रदूषण से हवा में लेड, निकिल, कैडमियम, क्रोमियम, बोरान व अन्य रसायनों का उत्सर्जन होता है। इसके साथ ही पारे और हवा में मौजूद सूक्ष्म कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं।
अभी ये हाल तो दीपावली बाद क्या होंगे
वर्ष 2019 में एयर क्वालिटी इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट में देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में मेरठ सातवें नंबर पर है। ताजा रिपोर्ट में एक्यूआइ 253 है। अभी तो दशहरे का पर्व ही बीता है और हाल ये है, जबकि दीपावली शेष है। वर्ष 2018 में दीपावली के दूसरे दिन पीएम-2.5 की मात्र 358 और पीएम-10 की मात्र 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई थी। इससे मरीजों में ऑक्सीजन की मात्र में आठ फीसद की गिरावट दर्ज हुई थी। धुंए से बड़ी मात्रा में कार्बन मोनो आक्साइड गैस उत्सर्जित हो गई थी। जो हवा में आक्सीजन खत्म करती है।
निगम अफसरों के ठेंगे पर है एनजीटी का आदेश
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने खुले में कूड़ा जलाने को प्रतिबंधित किया है। कूड़ा जलाने पर 25000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। पर यहां तो आदेश का पालन कराने वाला विभाग ही यह गुस्ताखी कर रहा है। नगर निगम के अफसरों को एनजीटी का कोई खौफ नहीं है। जिन स्थानों पर रोजाना कूड़ा जलाया जा रहा है उन स्थानों पर निगम अधिकारियों ने यह पता लगाने की जरूरत महसूस नहीं की है। कि आखिर कूड़े में आग लगा कौन रहा है। जुर्माने की कार्रवाई तो साल भर से हुई ही नहीं है। जबकि यह माना जाता है कि पीएम-10 के संदर्भ में वायु प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 29.4 फीसद होती है।
इनका कहना है
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से निर्देश मिले हैं। सफाई निरीक्षकों से शहर में कूड़ा जलाने वाले स्थान चिह्न्ति कराएंगें। जहां भी कूड़ा जलता मिलेगा। पता कर संबंधित व्यक्ति या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पांच हजार से 25000 रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा।
- डॉ. गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
कृषि अवशेष जलाने की रोकथाम को उड़नदस्ते गठित
पराली जलाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रशासन ने जनपद स्तर पर विशेष सेल और तहसील स्तर पर उड़न दस्ते और का गठन किया है। जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण और मुख्य सचिव के आदेशों के अनुपाल में अपर जिलाधिकारी वित्त की अध्यक्षता में सेल का गठन किया है। इसमें सदस्य के रूप में एसपी ग्रामीण, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी, जिला पंचायती राज अधिकारी को नामित किया गया है। जिला कृषि अधिकारी इसके सचिव होंगे। गठित सेल के माध्यम से धान की कटाई से लेकर रबी की फसल में गेहूं की बुवाई तक फसल अवशेष जलाने को लेकर प्रतिदिन की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। विकास खंडों के लेखपालों और ग्राम प्रधानों का व्हाटसऐप ग्रुप बनाया जाएगा।