कूड़े की समस्या बढ़ती-बढ़ती सड़ने वाली है..
नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण की एक ही परिभाषा गढ़ रखी है। मेरठ
मेरठ, जेएनएन। नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण की एक ही परिभाषा गढ़ रखी है। निगम किसी एक जगह पर कूड़े का ढेर लगाने को ही निस्तारण मानता है। लेकिन अब बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है। एक तरफ कॉलोनियों से समय से कूड़ा नहीं उठ रहा है, तो वहीं डंपिंग ग्राउंड ओवरलोड हो गए हैं। कूड़ा निस्तारण प्लांट कब स्थापित होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दो कंपनियों का विवाद कोर्ट में चल रहा है। एक मात्र डंपिंग ग्राउंड लोहियानगर में खत्ते की ऊंचाई इतनी बढ़ गई है कि अब उसे फैलाने के लिए तीन मशीनें लगाई गई हैं। कूड़े को अब अन्य जगह डंप करने के लिए जमीन नहीं है। एक निजी प्लॉट पर कूड़ा डालने का विरोध हो गया तो नजदीक स्थित एमडीए की जमीन पर कूड़ा डाला जा रहा है। एक नया प्रयोग करने की कोशिश है। इसके तहत छोटे प्लांट लगेंगे, पर कब? यह कहा नहीं जा सकता। पिछले साल लोहियानगर के लोगों ने कूड़ा डालने का विरोध कर दिया था जिसके बाद शहर में कूड़ा उठना बंद हो गया था। वहीं, शहरवासी दुर्गध से आजिज होकर कूड़ा उठाने के लिए दबाव बना रहे थे। इसके बाद डीएम से लेकर कमिश्नर तक को मोर्चा संभालना पड़ा था। एमडीए दे चुका है नोटिस, कब तक डालेंगे कूड़ा
लोहियानगर डंपिंग ग्राउंड में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। नगर निगम की 2910 वर्ग मीटर जमीन पर कूड़ा डंप करना ज्यादा दिन संभव नहीं है। बगल में मौजूद एमडीए की जमीन पर कूड़ा डंप हो रहा है, लेकिन एमडीए वहां पर कूड़ा न डालने के लिए नोटिस दे चुका है। बहरहाल, लोहियानगर के विकल्प के रूप में छोटे-छोटे कूड़ा प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है। काशी गांव, बराल परतापुर और मलियाना में नगर निगम की जमीन देखी। इससे पहले नंगलाताशी व सरस्वतीलोक में जमीन देखी जा चुकी है। यहां पर कंपोस्टिंग व सेग्रीगेशन (अलग करना) यूनिट लगाई जाएगी। एक चक्कर लगाने के बाद खड़ी हो जाती हैं गाड़ियां
एक साल पहले 120 गाड़ियों को डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए लगाया गया था। मॉनीटरिग न होने से अधिकतर कूड़ा गाड़ी कलेक्शन के बाद लोहियानगर डंपिंग ग्राउंड तक नहीं पहुंचती हैं। कूड़ा सड़क किनारे खाली प्लाटों में फेंका जा रहा है। जो गाड़ियां लोहियानगर तक पहुंचती भी हैं, वे एक चक्कर लगाने के बाद वहीं मंडी में खड़ी हो जाती हैं। उधर, 30 कूड़ा गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। इससे ये गाड़ियां सूरजकुंड डिपो में खड़ी हैं। इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। आगरा में होती हैं गाड़ियां ट्रेस
डोर-टू-डोर कलेक्शन वाली गाड़ियों का रूट चार्ट नहीं होने से लोकेशन ट्रेस नहीं हो रही है। आगरा नगर निगम में कूड़ा उठान व्यवस्था समय सारिणी पर आधारित है। कूड़ा गाड़ी किस स्थान पर किस समय पर पहुंचेगी। जनता को मालूम है। बाकायदा रूट चार्ट निर्धारित है। मिनट दर मिनट कूड़ा गाड़ी की लोकेशन जीपीएस से ट्रेस की जाती है। इसके अलावा कूड़ाघरों से कूड़ा उठाने का भी समय निर्धारित है। इनको बाध्य नहीं कर सका निगम
100 किलो प्रतिदिन कूड़ा उत्पन्न करने वालों को खुद कूड़ा निस्तारण करने के लिए निगम पिछले साल से ही बाध्य करने की तैयारी कर रहा है, पर ऐसा हुआ नहीं। ऐसे 700 बल्क जनरेटर हैं। इनमें होटल, विवाह मंडप, स्कूल कॉलेज, व्यावसायिक कॉम्पलेक्स व हॉस्पिटल शामिल हैं। निस्तारण..यह ख्वाब अच्छा है पर धरातल पर आए तो
इंदौर की तर्ज पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के तहत वैज्ञानिक विधि से कूड़े से 24 घंटे में खाद तैयार करने की योजना तैयार की गई है। प्रथम चरण में 20 से 25 फीसद कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। दिल्ली रोड स्थित सरस्वतीलोक और कंकरखेड़ा स्थित नंगलाताशी का चयन किया जा चुका है। निगम कंपोस्टिंग पिट और सेग्रीगेशन संयंत्र लगाएगा। शहर से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग एकत्र किया जाएगा। सूखे कूड़े से सेग्रीगेशन यंत्र के जरिए प्लास्टिक, लोहा, मिट्टी व अन्य ठोस कचरा अलग किया जाएगा। प्लास्टिक व कागज को री-साइक्लिंग के लिए कंपनियों को भेजा जाएगा, जबकि शेष ठोस कचरा डंपिंग ग्राउंड भेजा जाएगा। शहर में प्रतिदिन 100 टन सीएंडडी वेस्ट (ईट, पत्थर और कंक्रीट का अपशिष्ट) निकलता है। इसके निस्तारण के लिए नगर निगम कारखानों को अधिकृत करेगा। सीएंडडी वेस्ट उत्पादकों द्वारा इस ठोस अपशिष्ट को तत्काल इन कारखानों को पहुंचाया जाएगा। इसे री-साइकिल किया जाएगा। इन्होंने कहा..
इंदौर की तर्ज पर छोटे-छोटे कंपोस्टिंग व सेग्रीगेशन प्लांट बनाएंगे। जमीन चिह्नित की जा रही है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम-2016 के तहत बल्क कूड़ा जेनरेटर की सूची तैयार कराई गई है। इन्हें खुद कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित करने को लेकर दो कंपनियों का मामला हाई कोर्ट में लंबित है। हाई कोर्ट से स्टे आर्डर है। शासन का जैसा दिशा-निर्देश मिलेगा उसी अनुसार काम किया जाएगा। फिलहाल अभी नगर निगम कूड़े का निस्तारण खुद के संसाधनों से करा रहा है।
-डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया, नगर आयुक्त