एक्सप्रेस-वे : अब नई डेडलाइन मार्च, पर तब भी मुश्किल मानिए Meerut News
डासना के आकाश नगर में रेलवे लाइन के पास पप्पू चाय वाले ने बाकायदा अपने मकान पर बैनर टांग रखा है उचित मुआवजा दो तब जमीन लो।
मेरठ, जेएनएन। Expressway डासना के आकाश नगर में रेलवे लाइन के पास पप्पू चाय वाले ने बाकायदा अपने मकान पर बैनर टांग रखा है 'उचित मुआवजा दो, तब जमीन लो'। पप्पू गोयल को मिलाकर दर्जनो मकान टूटेंगे तब यहां पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए 650 मीटर लंबे एलिवेटेड हिस्से को बनाने का कार्य शुरू हो पाएगा। इसी तरह का विरोध गाजियाबाद के आधा दर्जन गांवों में है जिसकी वजह से काम लगातार पिछड़ता जा रहा है। वजह यही है कि अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने गाजियाबाद जिले के डासना से मेरठ जिले के परतापुर तिराहे तक 32 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे पर वाहनों के फर्राटा भरने यानी उसके शुरू करने की नई समयसीमा मार्च- 2020 तय की है। इस समय तक कार्य पूरा हो जाए तो भी मेरठ के लोगों के लिए सहूलियत हो जाएगी पर दैनिक जागरण के संवाददाता ने परतापुर तिराहे से डासना तक जो मौके की स्थिति देखी है उसके अनुसार इस नई समय सीमा तक भी आवागमन शुरू कर पाना मुश्किल है। इस खबर के साथ सैर करेंगे तो डासना से लेकर परतापुर तिराहे तक की स्थिति आप खुद-ब-खुद समझ जाएंगे। आइए डासना से परतापुर के सफर पर निकलते हैं एक्सप्रेस-वे का डासना में शुरुआती बिंदु फिलहाल कोई नहीं है। जमीन मिली नहीं है इसलिए काम नहीं शुरू हुआ है, पर एनएच-नौ के पास आकाश नगर में रेलवे लाइन किनारे पिलर खड़े हो रहे हैं जो तस्दीक करते हैं कि यहीं से एक्सप्रेस-वे गुजरेगा। इस रेलवे लाइन से आगे 200 मीटर का एलिवेटेड हिस्सा एनएच-नौ को पार करते हुए उसके शुरुआती बिंदु तक नीचे उतरेगा। अब यात्रा फिर से उसी रेलवे के पिलर से यानी आकाश नगर से करते हैं। यहां से 650 मीटर का एलिवेटेड पिलर डासना (जिसमें आकाश नगर जैसे तमाम छोटे नगर हैं), रसूलपुर होते हुए कल्लूगढ़ी के पास एनएच-नौ के ऊपर निर्माणाधीन ओवरब्रिज तक बनेगा। डासना में ही अभी दो अंडरपास का कार्य भी शुरू होना बाकी है। लोगों को लगता है उन्हें कम मुआवजा दिया जा रहा है इसलिए वहां शुरू नहीं होने दिया गया। कल्लूगढ़ी के पास निर्माणाधीन ओवरब्रिज को पूरा करने में अभी कई महीने लग जाएंगे क्योकि उस हाईवे पर यातायात भी जारी है। इससे आगे बढ़ने पर काम करती मशीनें दिखाई देती हैं पर कलछिया गांव के पास करीब 200 मीटर हिस्से पर काम रुका हुआ है। एक ब्रिज निर्माणाधीन है जिसके दूसरे हिस्से का पिलर अभी बना नहीं है। यहां से आगे है नहाल गांव। जहां मुआवजे पर बात नहीं बन पाने से जगह-जगह काम रुका हुआ है। यहां गंगनहर पर पुल निर्माणाधीन है और अंडरपास भी। इससे आगे कलसीना में ओवरब्रिज का काम कई महीने से रुका हुआ है। इसी तरह की स्थिति उससे आगे भोजपुर गांव की है। विभिन्न टुकड़ों को मिलाकर करीब दो किमी के हिस्से पर काम नहीं हुआ है। यहां से आगे बढ़ने पर पल्हैड़ा दो अंडरपास व उसी के पास गुजर रहे रजवाहे के लिए ओवरब्रिज भी बन रहा है। इससे आगे तलहेड़ा में अंडरपास से लेकर करीब किमी तक मुरादाबाद गांव के पास तक थोड़ा भी काम नहीं हुआ। यहां पेड़ खड़े हैं और फसल लहलहा रही है। इससे आगे मुरादाबाद गांव में भी कई स्थान पर काम रुका है। यहां के बाद सैदपुर व सोलाना में भी कई जगह काम रुका हुआ है, हालांकि कुछ टुकड़ों पर जल्द ही काम शुरू हुआ है जिसका मतलब यहां कुछ प्रकरण हल हो गए हैं। एक ट्यूबवेल को उखाड़कर दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है। यहां से काशी की ओर बढ़ते हैं तो करीब 150 मीटर हिस्से पर यहां भी काम रुका हुआ है। इसके बाद बिना बाधा के आगे बढ़ते जाएंगे यानी डामर रोड बनी हुई पर थोड़ा आगे बढ़ते ही अच्छरौंडा गांव के पास अंडरपास मिलेगा यहां से अब आगे नहीं बढ़ सकते। उससे आगे फिर जमीन का एक टुकड़ा फंसा हुआ है इस वजह से मिट्टी भराव नहीं हो सका। वहां से करीब 500 मीटर आगे अंडरपास निर्माणाधीन है जिसमें वक्त लगेगा। उससे आगे रेलवे लाइन है जिसके दूसरे तरफ के पिलर अभी तैयार हो रहे हैं। यहां से एलिवेटेड हिस्सा कुछ ही दूरी पर दिल्ली रोड के ऊपर बन रहे ओवरब्रिज में मिलेगा। इस ओवरब्रिज में दो भाग हैं, पहला भाग लगभग बन गया है जबकि दूसरे भाग के लिए पिलर अभी तैयार हो रहे हैं। इस ओवरब्रिज के जरिए घुमावदार एप्रोच रोड से वाहन परतापुर तिराहे के पास उतरेंगे। परतापुर तिराहे पर अभी दो अंडरपास और बनेंगे डासना से आने वाला एक्सप्रेस-वे परतापुर तिराहे पर समाप्त होगा। यहां तिराहे पर कई तरफ से वाहन आते-जाते हैं, जिसके लिए इंटरचेंज प्रस्तावित है। इस इंटरचेंज में एक ओवरब्रिज व तीन अंडरपास वाले स्ट्रक्चर हैं। ओवरब्रिज व एक अंडरपास निर्माणाधीन हैं। अभी दो अंडरपास का काम शुरू होना है। इसलिए हो जाएगी देरी अगर सितंबर अंत तक भी मुआवजे का काम निपट जाए और काम शुरू हो जाए तब भी डासना के एलिवेटेड हिस्से को बनने में कम से कम छह माह लगेंगे। चार नए अंडरपास भी करीब चार माह का समय ले लेंगे। अधिकांश अंडरपास व ओवरब्रिज अभी निर्माणाधीन हैं जिनमें दो माह अभी लगेंगे। जिन टुकड़ों में मिट्टी का भराव नहीं हुआ है वहां भी कार्य पूरे करने में कई महीने लगेंगे। जब पूरे मार्ग पर डामर कार्य हो भी जाए तब भी उसके बाद दो-तीन महीने स्ट्रीट लाइट आदि में लग जाएंगे। टोल बनने, दोनों तरफ क्रैश बैरियर बनने में वक्त लगेगा। ऐसे में मार्च तक भी एक्सप्रेस-वे मिल पाना मुश्किल है। परियोजना निदेशक ने कहा.. गाजियाबाद के चार गांवों के 19 हेक्टेयर जमीन का मुआवजा का प्रकरण इसी महीने के अंत तक हल हो जाएगा। बाकी जिन गांवों में विवाद था उसका हल हो गया है और अवार्ड कर दिया गया है। मेरठ जिले में मात्र 0.50 हेक्टेयर का मुआवजा प्रकरण निस्तारित होना है। सभी टुकड़ों को मिलाकर पूरी परियोजना में सिर्फ 3.15 किमी हिस्से पर ही काम रुका है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। बारिश व मुआवजे की वजह से हुई देरी की वजह से अब मार्च 2020 तक एक्सप्रेस-वे को शुरू किया जा सकेगा। -आर पी सिंह, परियोजना निदेशक, दिल्ली-मेरठ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे