Move to Jagran APP

बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्‍छा हो Meerut News

वर्तमान में किसी भी अंग्रेजी किताब का बाजार में हिंदी अनुवाद होने में दो महीने से छह माह का समय लगता है। इसके चलते हिंदी पाठकों को पसंदीदा किताबें लगातार पढ़ने को मिलती रहती हैं।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 02:00 PM (IST)
बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्‍छा हो Meerut News

कागज में दबकर मर गए कीड़े किताब के। 
दीवाना बेपढ़ें, लिखे मशहूर हो गया...।
मेरठ, निशिपाल सिंह। किताब के मायने बहुत खास होते हैं। कई बार सच का चेहरा होती हैं किताबें तो अक्‍सर समाज ही किताब बन जाता है। चीजों को समझकर इल्‍म हासिल करना किताबों से ही संभव है। किताबों पर लिखा निदा फाजली का शेर बिल्‍कुल सटीक बैठता है-
धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखों।
जिंदगी क्‍या है किताबों को हटाकर देखों।
गुलाम मोहम्‍मद कासिर ने लिख दिया-
बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्‍छा हो।
ए काश हमारी आंखों का इक्‍कीसवां ख्‍वाब तो अच्‍छा हो।

जीने की राह दिखाती हैं किताबें
कई किताबें जहां हमें जीने की राह दिखाती हैं, वहीं कुछ किताबों को पढ़कर नई जानकारियों के साथ आत्म संतुष्टि भी मिलती है। कुछ साल पहले तक हिंदी पाठकों के लिए किताबों के सीमित विकल्प हुआ करते थे। वे बाजार में उपलब्ध हिंदी की गिनी-चुनी किताबें ही पढ़ पाते थे। आज अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित किताबों को काफी बड़ा बाजार है। इसमें भारतीय और विदेशी लेखकों की लंबी फेहरिस्त है। भारतीय बाजार में मांग को देखते हुए अंग्रेजी किताबों को अनुवादित किया जा रहा है। इन्हें पढ़ने वालों में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वर्तमान में किसी भी अंग्रेजी किताब का बाजार में हिंदी अनुवाद होने में दो महीने से छह माह का समय लगता है। इसके चलते हिंदी पाठकों को पसंदीदा किताबें लगातार पढ़ने को मिलती रहती हैं। इनमें मोटिवेशनल बुक्स, स्टोरी बुक्स, ऑटोबायोग्राफी और नोबल आदि की खास डिमांड है। भारतीय लेखकों में चेतन भगत, र¨वद्र सिंह, देवदत्त पटनायक, दूरजॉय दत्ता, प्रीति सिमॉय, शबी शर्मा, सुदीप नगरकर और अमीश पाठकों के जेहन पर छाए हैं। वहीं विदेशी राइटर्स में रॉन्डा बर्न, डा. जोसेफ मर्फी, डेल कार्ने और नेपोलियन हिल की हंिदूी में अनुवादित किताबों की खासी मांग है। पिछले कुछ सालों से बच्चों के लिए अंग्रेजी स्टोरी बुक्स का भी हंिदूी में अनुवाद किया जा रहा है। इनमें सर वाल्टर स्कोट, जोनाथन स्विफ्ट और मार्क ट्वेन प्रमुख हैं।

बीस फीसद बढ़ा हिंदी अनुवादित किताबों का बाजार
स्टोरी बुक्स, नोबल, मोटिवेशनल बुक्स, धार्मिक किताबों के अलावा फिक्शन और नॉन फिक्शन के हिंदी व अंग्रेजी साहित्य को लेकर शहर के तमाम बुक सेलर्स का मानना है कि इस समय हिंदी में अनुवादित किताबों का बाजार अन्य किताबों के मुकाबले 20 फीसदी ऊपर है। इसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इनकी मांग और बढ़ेगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाठक इन्हें पढ़ने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
अब अमीश की ‘रावण’ का इंतजार
वर्ष 2010 में अमीश की अंग्रेजी में मेलूहा किताब लांच हुई। इसके हिंदी अनुवाद का लोगों ने बेसब्री से इंतजार किया। हिंदी में आते ही यह किताब हाथों हाथ बिकी। इसके बाद द सीक्रेट ऑफ द नागाज और वायुपुत्र की मांग आज भी बनी हुई है। अब 30 सितंबर को लांच होने वाली किताब ‘रावण’ का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। चेतन भगत की द गर्ल इन द रूम 108 भी युवाओं को काफी पसंद आ रही है। इससे पहले चेतन भगत के दो उपन्यासों पर फिल्में भी बन चुकी हैं। इनमें हाफ गर्लफ्रेंड और टू स्टेट हैं। वहीं देवदत्त पटनायक ऐसे लेखक हैं, जो अपनी किताबों में देवी देवताओं के रहस्य से पर्दा उठाते नजर आते है। उनकी पुस्तक मेरी गीता, शिव के सात रहस्य, विष्णु के सात रहस्य, देवी के सात रहस्य, सीता के पांच निर्णय और राम गाथा प्रमुख हैं। इसके अलावा रविंद्र सिंह की ये प्यार क्यूं लगता है सही और तुम्हारे सपने हुए अपने, दूरजॉय दत्ता की ऑफकोर्स आइ लव यू जैसी किताबों की मांग भी बढ़ गई है।
मोटिवेशनल बुक्स में छाए विदेशी लेखक
रॉन्डा बर्न की रहस्य हो या डा. जोसेफ मर्फी की आपके अवचेतन मन की शक्ति, नेपोलियन हिल की कामयाबी की राह जैसी मोटिवेशनल बुक्स सभी आयुवर्ग के लोगों की पसंद हैं। जिनकी किताबे पहले अंग्रेजी में लांच हुई और डिमांड को देखते हुए हिंदी पाठकों के लिए इनका अनुवाद किया गया। इसके अलावा बच्चों के लिए सर वाल्टर स्कोट की बहादुर योद्धा, जोनाथन स्विफ्ट की गुलीवर की लिलीपुट यात्र और मार्क ट्वेन की साहस का पुतला जैसी किताबों को भी हिंदी में अनुवाद किया गया है।
कीमत में भी 50 फीसदी का अंतर
हिंदी अनुवाद वाली किताबों के शौकीन आसानी से अपनी भाषा की किताबों को पढ़ने का शौक पूरा कर रहे हैं। इन किताबों की एक खासियत यह भी है कि इनकी कीमत अंग्रेजी किताबों से 10 से 50 फीसदी तक कम है। इसके अलावा सिर्फ दो से छह माह के इंतजार के बाद इनकी उपलब्धता भी सुलभ हो जाती है।
इन्‍होंने बताया
इस समय सबसे ज्यादा मांग हिंदी में अनुवादित किताबों की है। सभी आयुवर्ग के लोग इन्हें पढ़ना चाहते हैं। इसका बड़ा कारण है कि सभी लोग अंग्रेजी भाषा पढ़ने में सहज महसूस नहीं करते। वे अंग्रेजी लेखकों की किताबें भी पढ़ना चाहते हैं। इसी के चलते अनुवादित किताबों की डिमांड काफी बढ़ गई है।
- तुषार नांगिया, बुक कॉर्नर, आबूलेन
इन किताबों का चार्म ही अलग है। इनकी कीमत भी अंग्रेजी किताबों से कम है। साथ ही बुक कवर से लेकर अन्य किसी भी चीज में कोई बदलाव भी नहीं होता है। इसलिए हिंदी पाठक इन्हें दिलचस्पी के साथ पढ़ते हैं।
- अलका शर्मा, निंबस बुक्स रिटेल आउटलेट, छीपी टैंक 

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.