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त्याग के बिना मानव अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा

दशलक्षण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की आराधना हुई। शाम को तीर्थकरों की शिक्षाओं पर आधारित नाटिका और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण किया गया। मेरठ

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 07:00 AM (IST)
त्याग के बिना मानव अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा

जेएनएन, मेरठ। दशलक्षण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की आराधना हुई। शाम को तीर्थकरों की शिक्षाओं पर आधारित नाटिका और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण किया गया।

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आनंद पुरी दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में विधानाचार्य स्वप्निल शास्त्री ने कहा कि अगर त्याग न हो तो जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। प्रकृति से त्याग हट जाए तो विकृति के सिवाय कुछ नहीं बचेगा। वृक्ष फलों का त्याग न करे, सूर्य प्रकाश देना बंद कर दे, नदी जल न दे तो मनुष्य जीवन का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। सुबह के समय हुई शांति धारा शैलेंद्र जैन, सुधीर जैन ने की। 216 अ‌र्घ्य अर्पित किए गए। सुनील जैन प्रवक्ता, प्रदीप जैन, अचल जैन, सतेंद्र जैन, तरस जैन, मनीष जैन, प्रदीप जैन, रचित जैन, तरुण जैन आदि मौजूद रहे।

फूलबाग कालोनी स्थित मंदिर में सुबह उत्तम त्याग की आराधना के बाद शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। वस्त्रों के रंग अर्घो के संग कार्यक्रम में महिलाओं और बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुति दी। पुरस्कार बांटे गए। संयोजिका माधुरी जैन, आशा जैन आदि मौजूद रहे।

पंजाबी पुरा पा‌र्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पंडित पारस जैन के निर्देशन में वैराग्य की ओर नाटिका का मंचन हुआ। भगवान नेमिनाथ को जीवों की करुण पुकार सुनकर वैराग्य उत्पन्न हो जाता है। मनि ने गिरनार पर्वत पर तपस्या कर मोक्ष को प्राप्त किया। सुधा जैन, सीमा जैन, पूनम जैन, शिखा, सविता, शिप्रा, पुष्पा, रेनू आदि मौजूद रहे।

कैंट स्थित ऋषभ एकेडमी में उत्तम त्याग को परिभाषित करते हुए मुनि प्रणम्य सागर ने कहा कि इसके बिना मोक्ष की प्रप्ति नहीं होती। वर्धमान स्तोत्र विधान हुआ और महावीर भगवान की स्तुति की गई। दिल्ली से आई रेखा और मयूर ने अपना आठवां निर्जल उपवास किया। अर्ह टीम के सदस्य मौजूद रहे। धूमधाम से निकली तीर्थकरों की रथयात्रा

मेरठ: कचहरी रोड स्थित असौड़ा हाउस से वार्षिक विशाल रथयात्रा का आयोजन हुआ। पांच रथों में धार्मिक संदेशों के साथ कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ जैसे समाजिक सरोकारों का संदेश दिया गया।

भगवान आदिनाथ को घोड़े और सिंह स्वर्णरथ पर भगवान पा‌र्श्व नाथ के विग्रहों को विराजमान कराया गया। आरजी डिग्री कालेज, पीएल शर्मा रोड, तिलक रोड, कचहरी रोड होते हुए वापस यात्रा वापस मंदिर में समाप्त हुई।

पांच बैंडों और विशेष रूप से बुलाए गए मराठी ढोल की भक्ति धुनों पर महिला और पुरुष भक्त झूमते हुए चल रहे थे। महिलाओं ने डांडिया और चंवर नृत्य किया। ख्वासी बनने का सौभाग्य हेमचंद जैन, विपिन और अंकुर जैन को, सारथी का सौभाग्य मुकेश जैन प्रिंस जैन, कुबेर बनने का सौभाग्य लक्की जैन अमित को मिला। शांतिनाथ युवा संघ ने जिनवाणी को तीसरे रथ पर विराजमान किया। इसके पूर्व मुनि जिनानंद ने त्याग की महिमा बतायी। राकेश जैन, श्रीयांस, पूनम, विपिन, सुभाष, रमेश, विपुल, अतुल, आभा, सोनिया, तान्या जैन, शशि, मनीषा, सविता, अनिल, सुशील मौजूद रहे।


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