fake petrol : घटतौली और मिलावट करके जानिए संचालक कैसे कमाते हैं लाखों रुपए Meerut News
शहर के एक व्यस्त पेट्रोल पंप पर रोजाना करीब तीन लाख लीटर पेट्रोल बेचा जाता है। घटतौली के शक के दायरे में पेट्रोल भरने वाले कर्मचारी होते हैं पर कराया जाता है संचालक के स्तर पर।
मेरठ, जेएनएन। पेट्रोल-डीजल की बिक्री इतनी ज्यादा है कि अगर पूरी ईमानदारी बरती जाए तब भी संचालक अच्छी कमाई कर सकते हैं। ज्यादा लालच कुछ संचालकों को घटतौली व मिलावट के धंधे में ले जाता है। इसीलिए मशीन में जीरो देखकर आश्वस्त होने के बाद भी कम पेट्रोल मिलने का अंदेशा लगभग हर वाहन चालक को रहता है।
20 हजार लीटर डीजल है बिकता
एक लीटर पेट्रोल पर 3.10 रुपये व डीजल पर 2.17 रुपये सरकारी कमीशन पेट्रोलियम कंपनी से मिलता है। यह घटता-बढ़ता भी रहता है पर औसत यही है। एक आकलन के अनुसार यदि व्यस्त व शहरी क्षेत्र में कोई पेट्रोल पंप है तो वहां पर पेट्रोल की बिक्री प्रतिदिन तीन लाख लीटर या उससे अधिक होती है। डीजल की बिक्री 20 हजार लीटर प्रतिदिन होती है। ऐसे में एक संचालक अच्छी कमाई कर लेता है, फिर भी काफी पेट्रोल पंपों पर घटतौली होती है। वैसे तो शक के दायरे में पेट्रोल भरने वाले कर्मचारी होते हैं पर यह सब कराया जाता है संचालक के स्तर से।
लीकेज की वास्तविकता
दरअसल, पेट्रोल पंप पर जो टैंकर आते हैं उसमें ही तेल कम दिया जाता है। उसके बाद कुछ लीटर तेल हवा के साथ उड़ जाता है। वहीं, तापमान के अनुसार उसकी डेंसिटी भी घटती-बढ़ती है। वैसे तो नियम यह है कि प्रति टैंक छह फीसद पेट्रोल पर व दो फीसद डीजल पर ‘लीकेज’ दिया जाए। यानी यह मानकर चला जाता है कि इतना तेल या तो लीकेज में कम होगा या फिर उड़ जाएगा। हालांकि यह लीकेज वास्तविकता में किसी पेट्रोल पंप संचालक को मिलता नहीं है। एक कागजी प्रक्रिया के तहत हस्ताक्षर अवश्य करा लिया जाता है। अब जितना तेल डिपो से कम आया, हवा के साथ उड़ा या लीकेज में गया उसकी भरपाई ग्राहक से ही होती है।
मुनाफे का यह है गणित
उधर, जिन संचालकों का लालच अधिक बढ़ जाता है वह मिलावटी तेल को भी बेचने लगते हैं। दरअसल, अगर सरकारी दर पर शुद्ध पेट्रोल बेचेंगे तो एक लीटर में मिलेंगे तीन रुपये 10 पैसे। लीकेज आदि का घाटा मिलाकर यह तीन रुपये से थोड़ा कम बैठेगा। यदि मिलावटी तेल बेचेंगे तो फायदा होगा 10 से 15 रुपये तक। दरअसल, थिनर, जलेबी पाउडर, केरोसिन आदि की मिलावट से डीजल-पेट्रोल तैयार करने में प्रति लीटर महज 30 से 38 रुपये खर्च होते हैं। इसके बाद ट्रांसपोर्ट खर्च आदि मिलाकर 55 से 60 रुपये तक में संचालक को मिलता है। बाजार दर पर उसे बेच दिया जाता है। वहीं, जो पेट्रोल पंप संचालक खुद मिलावटी तेल तैयार करते हैं उन्हें करीब 30 रुपये का लाभ प्रति लीटर हो जाता है।
पेट्रोल पर ही अधिक ध्यान क्यों
बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहतर हो जाने के कारण डीजल की खपत में कमी आई है। फैक्टियों में जेनरेटर कम चलते हैं और किसान भी अब बिजली से नलकूप चलाने लगे हैं। ऐसे में वाहनों के भरोसे ज्यादा बिक्री होती नहीं है। पेट्रोल के वाहन दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे सबसे अधिक मिलावट पेट्रोल में होती है।
सीजीएसटी ने खंगाली फर्म की हिस्ट्री
मिलावटी पेट्रोल बनाने का मामला पकड़ा जाने के बाद सभी विभाग सक्रिय हो गए है। गुरुवार को सेंट्रल जीएसटी की टीम ने पारस केमिकल और बेस्ट ऑयल फर्म पर पहुंचकर बिलों की पड़ताल की, जिसमें ज्यादातर बिल गलत तरीके से काटे गए है, जिसे लेकर दोनों फर्मो से जवाब मांगा गया है। उधर, जेल गए सभी आरोपितों पर रासुका की तैयारी की जा रही है।
मांगा गया जवाब
बीस अगस्त को आइजी आलोक सिंह के आदेश पर वेदव्यासपुरी में पारस केमिकल और देवपुरम में गणपति पेट्रोकैम पर छापाकर 2.20 लाख लीटर मिलावटी पेट्रोल पकड़ा था। मौके से पुलिस ने आरोपित राजीव जैन, श्वेत, उमेश, तफशीराम, प्रदीप गुप्ता, आकाश गर्ग, आनंद प्रकाश, रविंद्र कुशवाह, राजवीर और राजकुमार को जेल भेज दिया। दोनों फर्म से लिए नमूने तीन लैब में भेज दिए। दोनों फर्मो की जांच के लिए एसआइटी गठित की गई। जांच टीम ने दोनों फर्म के खातों की डिटेल, कितना तेल सप्लाई किया, कितना खरीदा। उसका जवाब भी फर्म के बाकी संचालकों से मांगा है।
बेल होने पर एसआइटी सक्रिय
उधर, छह आरोपितों की बेल होने के बाद एसआइटी सक्रिय हो गई। तीन संगीन धारा 467, 468 और 471 आइपीसी में सभी का रिमांड बना दिया है, जिससे बेल मिलने के बाद सभी आरोपित जेल से रिहा नहीं हो पाए। साथ ही सभी पर रासुका लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि सभी आरोपित जेल से नहीं निकल पाएंगे। उधर, गुरुवार को सेंट्रल जीएसटी के अधीक्षक संजय मीणा अपनी टीम के साथ वेदव्यासपुरी में पहुंचे। उन्होंने पारस केमिकल और बेस्ट ऑयल दोनों फर्म के बिलों की पड़ताल की गई, जिसमें सामने आए कि पारस फर्म के बिल गलत तरीके से काटे गए है। साथ ही दोनों फर्म 33/3 पर है रजिस्टर्ड है। फर्म के स्वामी से इस पूरे प्रकरण पर जवाब मांगा गया है। संजय मीणा ने बताया कि दोनों फर्म के स्वामी जेल जा चुके है। माना जा रहा है कि जमानत पर आने के बाद ही जवाब दे पाएंगे।
इनका कहना है
अदालत से बेल मिलने वाले आरोपितों के खिलाफ मुकदमे में धारा बढ़ाकर रिमांड बनवा दिया है, जिससे कोई भी आरोपित जेल से रिहा नहीं हो पाया। सभी पर रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है। मिलावटी पेट्रोल से जुड़े प्रत्येक शख्स पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। एसआइटी की मॉनीटरिंग खुद कप्तान कर रहे है।
- आलोक सिंह, आइजी रेंज
आठ पेट्रोल पंपों का नमूना
मिलावट, घटतौली व मशीन में टेंपरिंग की जांच के लिए पेट्रोल पंपों पर छापेमारी लगातार चौथे दिन भी जारी रही। अभी तक 25 पेट्रोल पंपों से नमूने लिए जा चुके हैं। गुरुवार को सरगोधा ऑटो फ्यूल्स रुड़की रोड, सेखों फिलिंग स्टेशन टीपी नगर, चौधरी सर्विस स्टेशन दिल्ली रोड, किसान सेवा केंद्र मवाना, सिटी फ्यूल्स बागपत रोड, जेपी कामिल फ्यूल स्टेशन मवाना, श्याम फिलिंग स्टेशन पल्लवपुरम व अग्रवाल फिलिंग प्वाइंट मवाना खुर्द से पेट्रोल व डीजल के नमूने लिए गए। नमूनों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। टीम में खाद्य आपूर्ति विभाग, बांट-माफ विभाग व संबंधित पेट्रोलियम कंपनी के प्रतिनिधि शामिल रहे।
मिलावट पकड़ने को केरोसिन डिपो पर छापा
मिलावट का खेल पकड़ने के लिए गुरुवार को कई केरोसिन डिपो पर छापेमारी हुई। इन डिपो से कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। राशनकार्ड धारकों को केरोसिन उपलब्ध कराने के लिए डीलरों को डिपो से उठान करना होता है। एक जिले में कई डिपो होते हैं। ये डिपो उसी तरह से आवंटित होते हैं, जिस तरह से राशन की डीलरशिप। इन डिपो का काम रिफाइनरी से केरोसिन लाना और फिर कोटे के हिसाब से डीलर को उपलब्ध कराना। राशन डीलरों पर आरोप लगता है कि उपभोक्ताओं को राशन देने के बजाय कालाबाजारी कर दी। डिपो पर भी आरोप लगता है कि डीलरों से मिलीभगत करके कालाबाजारी की जाती है।
लिया गया नमूना
यही केरोसिन जब बाजार में पहुंचता है या मिलावटखोरों के हाथ लगता है तो इसका उपयोग मिलावटी डीजल आदि बनाने में किया जाता है। अब जब शहर में बड़ी मात्र में मिलावटी पेट्रोल हाल ही में पकड़ा गया था तो इसी कड़ी में केरोसिन डिपो की भी जांच शुरू हो गई है। गुरुवार को छापेमारी हुई। नमूना तो लिया ही गया, दस्तावेज भी खंगाले गए। एडीएम सिटी की ओर से गठित टीम का नेतृत्व अपर नगर मजिस्ट्रेट कमलेश गोयल, अपर नगर मजिस्ट्रेट अमिताभ यादव व एसडीएम (प्रशिक्षु) लवी त्रिपाठी ने किया। छापेमारी चंद्रप्रकाश, विजय कुमार, सरदार सिंह व प्रेमचंद के डिपो पर हुई।