छावनी में 40 हजार पौधों से हरियाली बढ़ाएगी सेना
प्रदेश सरकार ने इस साल 22 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मेरठ के हिस्से में 18 लाख पौधे हैं। इस लक्ष्य को पूरा करने में सेना भी योगदान देने को तैयार है।
मेरठ। प्रदेश सरकार ने इस साल 22 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मेरठ के हिस्से में 18 लाख पौधे हैं। इस लक्ष्य को पूरा करने में सेना भी योगदान देने को तैयार है। छावनी क्षेत्र में सेना ने पिछले साल जहां 23 हजार पौधे लगाए थे, वहीं इस साल 40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसकी शुरुआत शनिवार को केंद्रीय सैनिक पशुचिकित्सा प्रयोगशाला यानी (सीएमवीएल) में हुई। पश्चिमी यूपी सब-एरिया मुख्यालय के सहयोग से शनिवार को सीएमवीएल में विशेष लेक्चर व प्रस्तुति का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छावनी स्थित सैन्य यूनिटों ने हिस्सा लिया।
पौधे लगाने व देखभाल का तरीका बताया
अरबोरी कल्चर एवं ऑर्गेनिक फार्मिग विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में आइसीएआर-सेंट्रल पोटैटो रिसर्च सेंटर के मुख्य तकनीकी अधिकारी डा. अशोक चौहान और मिलिट्री फार्म सेंटर व स्कूल के पूर्व निदेशक एसके अरोड़ा ने पौधों का मौसम के अनुसार चयन, जैविक अपशिष्ट प्रबंधन पर सुझाव व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कम पानी लेने वाले पौधे लगाने पर व्याख्यान दिया।
सभी यूनिटों में लगाए जाएंगे पौधे
वन विभाग की ओर से सेना के लिए 25 हजार पौधे निर्धारित किए गए थे, जबकि सीएमवीएल के कमांडेंट कर्नल शैलेंद्र कुमार चौबे ने डीएफओ से आए अधिकारियों से चार हजार पौधे मुहैया कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिग और पेड़ों की कटाई पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी सैन्य यूनिटों को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पर्यावरण व स्वच्छता को लेकर यह स्टेशन मुख्यालय के प्रयासों का ही नतीजा है कि मेरठ छावनी देश की सबसे हरी-भरी छावनियों में से एक है और स्वच्छ भारत अभियान के तहत मेरठ छावनी को स्वच्छता के दृष्टिकोण से दूसरा स्थान प्राप्त है।
युवा अफसर से लगवाए पौधे
पौधरोपण अभियान की शुरुआत शनिवार को ही सीएमवीएल परिसर में हुई। कमांडेंट कर्नल शैलेंद्र कुमार चौबे ने अतिथियों से एक-एक पौधा लगवाने के साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सबसे कम उम्र के अफसर कैप्टन सुदर्शन गवारे से एक पौधा लगवाया। इस मौके पर पौधों व बागवानी उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें बोंजाई और गमले में अनार के पौधे भी दिखे।