‘शारीरिक दुर्बलता’ छोड़िए, यहां मामला दिल का हो सकता है Meerut News
अगर आप शारीरिक कमजोरी को लेकर तनाव में हैं तो पहले हार्ट का इलाज कराइए। संभव है कि हार्ट दगा दे रहा हो। 20 से 30 साल के युवाओं में लक्षण मिले तो हार्ट की बीमारी का सात गुना खतरा।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 01:07 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 01:07 PM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। अगर आप शारीरिक कमजोरी को लेकर तनाव में हैं तो पहले हार्ट का इलाज कराइए। संभव है कि हार्ट दगा दे रहा हो। चिकित्सकों की नई रिपोर्ट के मुताबिक कमजोरी-नपुंसकता के मरीजों की हृदय की नसें कमजोर हो रही हैं। सामान्य व्यक्ति के मुकाबले इनमें हार्ट अटैक का रिस्क तीन गुना होता है।
हार्ट के 50 फीसद मरीज भी ‘दुर्बल’
एंड्रोलॉजिस्ट डा. सुनील जिंदल ने बताया कि शुक्राणुओं के लिए पूरी प्रक्रिया संपन्न करने वाली नसें एक से दो मिमी, जबकि हार्ट की तीन से चार मिमी होती हैं। दोनों के अंदर एंडोथीलियल सेल होते हैं। ये सेल बीपी, शुगर, कोलेस्ट्राल व धूमपान करने वालों में बंद होने लगते हैं। इससे दिल की नसें भी प्रभावित होती हैं और व्यक्ति में हार्ट अटैक का रिस्क बनता है। नए शोधों के मुताबिक शारीरिक कमजोरी को हार्ट की बीमारी का प्राथमिक लक्षण माना गया है। ऐसे मरीज कमजोरी के इलाज में इधर-उधर भटकने लगते हैं, जबकि कई बार जांच में हृदय की बीमारी मिलती है। ‘रिसेंट एडवांसमेंट इन ट्रीटमेंट आफ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन’ नामक मेडिकल जर्नल के हवाले से बताया कि दिल की बीमारी में शारीरिक दुर्बलता का रिस्क भी 50-60 फीसद है। 40 वर्ष की उम्र में दुर्बलता है तो हार्ट की बीमारी का खतरा पांच गुना, जबकि 20 से 30 साल की उम्र में सात गुना तक होता है। साथ ही स्लीप एप्निया के मरीजों में भी अंगों की कमजोरी मिल रही है। ऐसे मरीजों की सांस में आक्सीजन की कम मात्र पहुंच पाती है। खर्राटे के कई मरीजों में ये बीमारी मिली। एंजायटी की दवाएं भी दुर्बलता को बढ़ाती हैं।
इन्होंने कहा
संतान प्राप्ति के लिए इलाज कराने वाले कई पुरुषों में कमजोरी की वजह दिल की बीमारी मिली। उनकी दिल की नसें कमजोर थीं। 30 साल के युवाओं में हार्ट की बीमारी का रिस्क सात गुना मिला। 45 साल में टेस्टोस्टेरोन की कमी से भी हार्ट की बीमारी बढ़ी है। एंजाइयटी की दवाएं नपुंसकता की वजह बन सकती हैं।
- डा. सुनील जिंदल, सीनियर एंड्रोलॉजिस्ट
हार्ट के 50 फीसद मरीजों में शारीरिक दुर्बलता मिलती है। इनमें कई संकोच की वजह से चर्चा नहीं करते। अगर 30 साल के अंदर दुर्बलता है तो ब्लॉकेज, दिल का वाल्व खराब होने एवं दिल फैलने की आशंका है। हार्ट की तत्काल जांच कराएं।
- डा. संजीव सक्सेना, वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट
हार्ट के 50 फीसद मरीज भी ‘दुर्बल’
एंड्रोलॉजिस्ट डा. सुनील जिंदल ने बताया कि शुक्राणुओं के लिए पूरी प्रक्रिया संपन्न करने वाली नसें एक से दो मिमी, जबकि हार्ट की तीन से चार मिमी होती हैं। दोनों के अंदर एंडोथीलियल सेल होते हैं। ये सेल बीपी, शुगर, कोलेस्ट्राल व धूमपान करने वालों में बंद होने लगते हैं। इससे दिल की नसें भी प्रभावित होती हैं और व्यक्ति में हार्ट अटैक का रिस्क बनता है। नए शोधों के मुताबिक शारीरिक कमजोरी को हार्ट की बीमारी का प्राथमिक लक्षण माना गया है। ऐसे मरीज कमजोरी के इलाज में इधर-उधर भटकने लगते हैं, जबकि कई बार जांच में हृदय की बीमारी मिलती है। ‘रिसेंट एडवांसमेंट इन ट्रीटमेंट आफ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन’ नामक मेडिकल जर्नल के हवाले से बताया कि दिल की बीमारी में शारीरिक दुर्बलता का रिस्क भी 50-60 फीसद है। 40 वर्ष की उम्र में दुर्बलता है तो हार्ट की बीमारी का खतरा पांच गुना, जबकि 20 से 30 साल की उम्र में सात गुना तक होता है। साथ ही स्लीप एप्निया के मरीजों में भी अंगों की कमजोरी मिल रही है। ऐसे मरीजों की सांस में आक्सीजन की कम मात्र पहुंच पाती है। खर्राटे के कई मरीजों में ये बीमारी मिली। एंजायटी की दवाएं भी दुर्बलता को बढ़ाती हैं।
इन्होंने कहा
संतान प्राप्ति के लिए इलाज कराने वाले कई पुरुषों में कमजोरी की वजह दिल की बीमारी मिली। उनकी दिल की नसें कमजोर थीं। 30 साल के युवाओं में हार्ट की बीमारी का रिस्क सात गुना मिला। 45 साल में टेस्टोस्टेरोन की कमी से भी हार्ट की बीमारी बढ़ी है। एंजाइयटी की दवाएं नपुंसकता की वजह बन सकती हैं।
- डा. सुनील जिंदल, सीनियर एंड्रोलॉजिस्ट
हार्ट के 50 फीसद मरीजों में शारीरिक दुर्बलता मिलती है। इनमें कई संकोच की वजह से चर्चा नहीं करते। अगर 30 साल के अंदर दुर्बलता है तो ब्लॉकेज, दिल का वाल्व खराब होने एवं दिल फैलने की आशंका है। हार्ट की तत्काल जांच कराएं।
- डा. संजीव सक्सेना, वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट
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