मेरठ में बवाल : अधिकारियों पर भारी पड़ी भाजपाइयों की नाराजगी Meerut News
मेरठ के एसएसपी और आइजी के तबादले के पीछे प्रह्लादनगर मामला और युवा सेवा समिति के अनियंत्रित जुलूस को बड़ी वजह माना जा रहा है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 10:13 AM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। पश्चिमी उप्र की सियासी आबोहवा ही कुछ ऐसी है कि यहां सरकार के हर निर्णय को सियासी चश्मे से देखा जाता है। हालात कुछ यूं कि सन 2017 में सूबे में सरकार तो बन गई, किंतु अधिकारियों से भाजपाइयों की कभी नहीं बनी। वजहें कई रहीं मसलन कभी अधिकारी बेलगाम हो गए तो कभी कार्यकर्ताओं की पुकार पर जनप्रतिनिधियों को आगे आना पड़ा। बहरहाल,हालिया प्रकरण में मेरठ के एसएसपी और आइजी के तबादले के पीछे प्रह्लादनगर मामला और युवा सेवा समिति के अनियंत्रित जुलूस को बड़ी वजह माना गया है।
क्या तबादला ही हल है
इससे पहले पूर्व मंडलायुक्त डा.प्रभात से लेकर नगर आयुक्त मनोज चौहान से भी भाजपाजन की ठनी रही। सवाल तो बनता है कि आखिर हर तीन-चार माह में अधिकारियों के तबादले से क्या जिले की सेहत सुधर जाएगी? समस्या का असल समाधान यदि न मिले तो बार-बार ट्रांसफर-पोस्टिंग का मतलब क्या है। बेशक,गलतियों की बारंबारता पर तबादले हों लेकिन ‘केवल चेहरा बदलने के लिए चेहरा बदल दिया जाए’इससे तो कुछ हासिल नहीं होगा।
कानून व्यवस्था से नाखुश विधायक
मेरठ दक्षिण सीट के विधायक डा.सोमेंद्र तोमर साफ कहते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिले की कानून व्यवस्था बेपटरी हो गई। उन्होंने जिले में गोकशी और लूटपाट की बढ़ती घटनाओं को लेकर सीएम योगी से मुलाकात की थी। साथ ही कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल,सिवालखास विधायक जितेंद्र सतवाई ने भी कानून व्यवस्था को लेकर सीएम से शिकायत की थी। विधायक डा. तोमर का कहना है कि प्रहलादनगर की घटना के तत्काल बाद 30 जून को सड़क पर अनियंत्रित जुलूस ने स्पष्ट कर दिया कि पुलिस प्रशासन पंगु है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भी सरकार को पत्र लिखकर कहा कि अफसरों ने दो अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन की घटना से कोई सबक नहीं लिया। इधर, हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक ने एसपी ग्रामीण अविनाश पांडेय को हटाने के लिए ताकत लगा दी।
भाजपा की सरकार से उम्मीदें बढ़ी हैं
2017 में भाजपा सरकार बनने के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ीं। अखिलेश सरकार के खिलाफ थानों की घेरेबंदी करने वाले भाजपाई अपनी सरकार के आगे ढीले पड़ गए। चर्चा रही कि योगी सरकार ने अधिकारियों को साफ कहा कि वो दबाव में न आएं,और सटीक निर्णय लें। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इससे कुछ अधिकारी बेलगाम हुए और टकराव शुरू हुआ। योगी सरकार बनने के बाद मेरठ में तत्कालीन एसएसपी जे रवींद्र गौड़ के खिलाफ भाजपाइयों ने हल्ला बोला किंतु वो लंबे समय तक पद पर बने रहे। मंजिल सैनी के एसएसपी रहते गत वर्ष दो अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन के बीच शहरभर में आगजनी हुई। भाजपाइयों ने इसे भी प्रशासन की असफलता बताकर एसएसपी के खिलाफ मोर्चा खोला हालांकि मंजिल सैनी प्रमोशन के बाद ही हटीं।
क्या तबादला ही हल है
इससे पहले पूर्व मंडलायुक्त डा.प्रभात से लेकर नगर आयुक्त मनोज चौहान से भी भाजपाजन की ठनी रही। सवाल तो बनता है कि आखिर हर तीन-चार माह में अधिकारियों के तबादले से क्या जिले की सेहत सुधर जाएगी? समस्या का असल समाधान यदि न मिले तो बार-बार ट्रांसफर-पोस्टिंग का मतलब क्या है। बेशक,गलतियों की बारंबारता पर तबादले हों लेकिन ‘केवल चेहरा बदलने के लिए चेहरा बदल दिया जाए’इससे तो कुछ हासिल नहीं होगा।
कानून व्यवस्था से नाखुश विधायक
मेरठ दक्षिण सीट के विधायक डा.सोमेंद्र तोमर साफ कहते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिले की कानून व्यवस्था बेपटरी हो गई। उन्होंने जिले में गोकशी और लूटपाट की बढ़ती घटनाओं को लेकर सीएम योगी से मुलाकात की थी। साथ ही कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल,सिवालखास विधायक जितेंद्र सतवाई ने भी कानून व्यवस्था को लेकर सीएम से शिकायत की थी। विधायक डा. तोमर का कहना है कि प्रहलादनगर की घटना के तत्काल बाद 30 जून को सड़क पर अनियंत्रित जुलूस ने स्पष्ट कर दिया कि पुलिस प्रशासन पंगु है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भी सरकार को पत्र लिखकर कहा कि अफसरों ने दो अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन की घटना से कोई सबक नहीं लिया। इधर, हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक ने एसपी ग्रामीण अविनाश पांडेय को हटाने के लिए ताकत लगा दी।
भाजपा की सरकार से उम्मीदें बढ़ी हैं
2017 में भाजपा सरकार बनने के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ीं। अखिलेश सरकार के खिलाफ थानों की घेरेबंदी करने वाले भाजपाई अपनी सरकार के आगे ढीले पड़ गए। चर्चा रही कि योगी सरकार ने अधिकारियों को साफ कहा कि वो दबाव में न आएं,और सटीक निर्णय लें। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इससे कुछ अधिकारी बेलगाम हुए और टकराव शुरू हुआ। योगी सरकार बनने के बाद मेरठ में तत्कालीन एसएसपी जे रवींद्र गौड़ के खिलाफ भाजपाइयों ने हल्ला बोला किंतु वो लंबे समय तक पद पर बने रहे। मंजिल सैनी के एसएसपी रहते गत वर्ष दो अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन के बीच शहरभर में आगजनी हुई। भाजपाइयों ने इसे भी प्रशासन की असफलता बताकर एसएसपी के खिलाफ मोर्चा खोला हालांकि मंजिल सैनी प्रमोशन के बाद ही हटीं।
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