Move to Jagran APP

योगीजी..माफ करिए कुछ भी तो नहीं बदला

मेरठ : प्रदेश में बदलाव की लहरें चंद कदम बाद ही दम तोड़ गई। यह झकझोरती हुई घटना किसी के भी विश्वास क

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 01:43 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:43 AM (IST)
योगीजी..माफ करिए कुछ भी तो नहीं बदला
योगीजी..माफ करिए कुछ भी तो नहीं बदला

मेरठ : प्रदेश में बदलाव की लहरें चंद कदम बाद ही दम तोड़ गई। यह झकझोरती हुई घटना किसी के भी विश्वास को हिला देगी। मेरठ में एक से एक बड़े डाक्टर और अस्पताल। मेडिकल कालेज और 300 से ज्यादा अस्पताल। किंतु भांग खाई चिकित्सा व्यवस्था और मर चुकी संवेदना 32 घंटे तक महिला मरीज को बेड तक न दे सकी। उसकी बीमारी ये थी कि वो गरीब थी। उनकी नब्ज में भारी-भरकम बिल भरने की गर्मजोशी शायद नहीं थी। वह सड़क पर तड़पती मिली थी। मेरठ के पांच अस्पतालों से होकर दिल्ली तक परिजन दौड़े, किंतु अंधी चिकित्सा मौत से बेरहम निकली। सिर एवं पैर में गंभीर चोटों से जूझती शारदा न जाने कैसे बचेगी? अगर बच गई तो इन सदमों से कैसे उबरेगी।

loksabha election banner

रोहटा रोड स्थित शांतिकुंज के पास की शारदा, उम्र 40 वर्ष 21 अप्रैल शाम चार बजे हाइवे पर बेहोश मिली। उसे किसी कार ने टक्कर मार दी थी। परिजनों ने बताया कि गरीबी के बीच कालोनीवालों से चंदा जुटाकर उसकी जिंदगी बचाने के लिए लोग कैलाशी अस्पताल ले गए, किंतु स्टाफ ने मना कर दिया। परिजन बाइपास स्थित एक निजी मेडिकल कालेज ले गए, किंतु स्टाफ की बेरुखी देख परिजनों का हौसला टूट गया। हारकर मरीज को मेडिकल कालेज ले जाया गया, जहां एंबुलेंस खड़ी होते ही चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए। तीन अस्पतालों की ठोकर खाकर थक चुके परिजनों ने डाक्टरों से मिन्नत की, किंतु यहां तो संवेदना मरी हुई मिली। रोते हुए परिजन मरीज को लेकर केएमसी पहुंचे, जहां रातभर मरीज को रखा गया। किंतु स्थिति में सुधार न होता देख शारदा को दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। उम्मीद के आखिरी सफर पर परिजन एक बार फिर निकले, किंतु दिल वालों की दिल्ली ने आंख भरकर भी नहीं देखा। तमाम अस्पतालों में ठोकरें खाने के बाद शारदा फिर वहीं पहुंच गई, जहां किसी डाक्टर ने उसकी नब्ज तक नहीं पकड़ी थी। 24 घंटे पार करने के बाद शारदा के परिजनों का हौसला टूटने लगा। एंबुलेंस रात में 11 बजे बागपत रोड स्थित साई अस्पताल के पास खड़ी हुई। परिजनों ने एक चिकित्सक को फोन किया कि उनका जवाब सुनकर दिल बैठ गया। न्यूरोसर्जन ने नींद में मरीज को कम से कम दो दिन बाद लाने के लिए कहा, फिर फोन काट दिया।

सीएमओ फोन नहीं उठाते, बाकी किसी का क्या

घबराए परिजनों ने शारदा की स्थिति गंभीर होती देख रात में सीएमओ एवं डीएम समेत तमाम अधिकारियों को फोन लगाया। योगी राज में मुस्तैद रहने का दावा करने वाले अधिकारी फोन तक नहीं उठाते। सीएमओ डा. वीपी सिंह के फोन पर दो बार ¨रग गई, और फिर काट दिया। आखिरकार हारकर परिजनों ने हंगामा करना शुरू किया। 12 बजे मरीज को साई नर्सिग होम में भर्ती तो कर लिया गया, जबकि आक्रोशित परिजन सड़क जाम करने पर आमादा हो गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.