रुतबे की चाहत में उजड़ गया हंसता-खेलता परिवार
मवाना (मेरठ) : मवाना की आकांक्षा कुंज कालोनी के मकान नंबर बी-23 में गुरुवार को गमों का बसेरा था। दुख
मवाना (मेरठ) : मवाना की आकांक्षा कुंज कालोनी के मकान नंबर बी-23 में गुरुवार को गमों का बसेरा था। दुख इतना घनीभूत था कि लोग परिवार को ढांढस बंधाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। अंशुल की बदहवास पत्नी रेनू दोनों बच्चों को एकटक देखते हुए सभी से बस यह पूछ रही थीं कि अब जिंदगी कैसे कटेगी? मेरे बेटे अब किससे शिकायत करेंगे।
लालबत्ती और रुतबे की चाहत पूरे परिवार पर कहर बनकर टूटी। अंशुल गलत लोगों की संगत में पड़ गया। अंशुल को इन लोगों ने राजस्थान में जालसाजों से मिलवाया। उन्होंने राजस्थान सरकार से अंशुल को दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री का फर्जी पत्र देकर 25 लाख से ज्यादा रुपये ठग लिए। अंशुल अपनी होंडा सिटी कार पर राजस्थान सरकार के आरआइआइसीओ चेयरमैन का बोर्ड, लालबत्ती और भाजपा का झंडा लगाकर चलते थे। अंशुल के साथ गाड़ियों का काफिला घूमने लगा। बिजनेस पर भी ध्यान कम हो गया। बस यहीं से इस हंसती खेलती जिंदगी में दुख के बीज पड़ गए।
मुख्य अतिथि बनने पर दिए थे 51 हजार
जन्माष्टमी से पहले अंशुल को मवाना में खाटू श्याम के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनाया गया। बकौल इंस्पेक्टर मवाना सुधीर कुमार, अंशुल ने समारोह में 51 हजार रुपये की भेंट भी दी थी।
शिकायत हुई तो खुला फर्जीवाड़ा
कुछ दिन बाद इसकी शिकायत भाजपा के बड़े नेताओं और गृह मंत्रालय में की गई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। अंशुल ने पैसे वापस मांगे तो जालसाजों ने देने से इन्कार कर दिया। बिजनेस में घाटा होने पर अंशुल कर्ज में डूब गया। इसी अवसाद में उन्होंने गोली मार ली।
हर आंख नम, कैसे जिएगा परिवार
अंशुल को शव को गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार के लिए ब्रजघाट ले जाया गया। अंशुल की पत्नी रेनू, बेटे उत्कर्ष, ऋषि, पिता नरेश चंद और मां राजरानी रो-रोकर बदहवास थे। अंशुल के बड़े बेटे उत्कर्ष ने शव को मुखाग्नि दी तो हर शख्स की आंख नम हो गई। अंशुल के भाई ने भी कुछ साल पहले आत्महत्या कर ली थी।
मुकदमे के लिए तहरीर का इंतजार
इंस्पेक्टर मवाना सुधीर कुमार ने बताया कि अंशुल ने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट लिखा था। इसमें उसने नितिन गुप्ता उसके माता-पिता, मनोज चौधरी और राहुल शर्मा आदि के नाम लिखे थे। इन पर फर्जी लालबत्ती के नाम पर 25 लाख रुपये से ज्यादा ठगने का आरोप लगाया गया है। परिजनों की तरफ से अभी तहरीर नहीं दिए जाने पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। तहरीर मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।