मोनू न हुआ गब्बर सिंह हो गया
मेरठ : रोहटा के शिव मंदिर में पुलिस ग्रामीणों के साथ बैठक कर रही है। दस हजार की आबादी वाले इस कस्बेन
मेरठ : रोहटा के शिव मंदिर में पुलिस ग्रामीणों के साथ बैठक कर रही है। दस हजार की आबादी वाले इस कस्बेनुमा गांव में पुलिस के आह्वान पर बमुश्किल 100 लोग पहुंचे हैं। वजह क्या है? मोनू जाट का खौफ। पुलिस के अधिकारी एक ओर तो यह कहते हैं कि मोनू को जंगलों में खाने पहुंचाने वालों पर उनकी नजर है। दूसरी ओर ग्रामीणों से यह भी कहा जा रहा है कि मोनू के बारे में तुरंत खबर दें। पुलिस पहुंचने में देरी होने पर मोनू को घेरकर मार देने की बात तक कही जा रही है। आखिर मोनू का आतंक और पुलिस की इस कदर लाचारी की जड़ें कहां हैं। मोनू मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा और मौजूदा पुलिसिंग के पास सर्विलांस के अलावा शायद कुछ है नहीं। न अनुभव और न ही एक सशक्त मुखबिर तंत्र।
आखिर इतनी लाचार क्यों है पुलिस
अपराध की दुनिया में मोनू का एकाएक उभार किसी बहुत शातिर और संगठित गिरोह से नहीं उपजा है। पंद्रह दिन के भीतर रंगदारी के लिए चार कत्ल। वह भी रोहटा से बड़ौत के बीच सिर्फ 30 किमी के दायरे में। लेकिन पुलिस कि लाचारी इतनी भव्य है कि जैसे मोनू न हुआ शोले का गब्बर सिंह हो गया। तीस किमी का दायरा जो कि भौगोलिक लिहाज से बहुत सीधा है। उसमें न कर्नाटक और तमिलनाडु के जंगलों में सक्रिय वीरप्पन को ढूंढने जैसे तत्व हैं और न चंबल जैसा दुर्गम इलाका, लेकिन अगर अनुपातिक दृष्टि का सहारा लें तो पुलिस की लाचारी उतनी ही बड़ी है। शाम ढलते ही खौफ का मंजर
रोहटा में शाम ढलते ही घरों के दरवाजे बंद हो जाते हैं। लोग छतों पर नहीं सो रहे। गलियों-चौराहों पर बैठकी नहीं होती। सबकी जुबान पर यही है कि मोनू पागल हो गया। पता नहीं कब कहां पहुंचकर किसका कत्ल कर दे। रात को कोई खेतों पर नहीं जाता। लोगों ने फोन बंद कर लिए हैं। क्राइम ब्रांच से लेकर थानों तक की पुलिस लगी है, लेकिन भरोसे की एक किरण तक नहीं उठ रही है जो दहशत को चीर सके।
सिर्फ हवा में तीर
मोनू रोहटा के आसपास इलाके के ही जंगल में ठिकाने बनाए हुए हैं। बाइक पर निकलता है और वारदात कर फिर छुप जाता है। अब तक पुलिस यही जान सकी है। बाइक पर चलता है, लेकिन पुलिस उसकी बाइक तक नहीं बरामद कर सकी। फिर सघन चेकिंग अभियान का कैसा दावा? बागपत के टीकरी में हत्या करने के बाद से मोनू कहां है। इसको लेकर सिर्फ अंदाजे हैं। पुलिस के पास मुखबिर हैं नहीं जो हैं भी वे मुंह नहीं खोल रहे।
साफ है पुलिसिया लापरवाही
मोनू हत्या और रंगदारी के कई मामलों में काफी दिनों तक जेल में था। पांच महीने पहले वो जेल से छूटकर बाहर आया और रंगदारी का संगठित धंधा शुरू कर दिया। पुलिस हल्के में लेती रही। तब भी जब साफ था कि रंगदारी के कई मामलों में वह कुख्यात भरतू नाई का सहयोगी रह चुका था। पुलिस ने उसके तंत्र पर हमले के बजाय सिर्फ इनाम बढ़ाकर 20 हजार कर दिया। रंगदारी के लिए बुजुर्ग दंपती के कत्ल के बाद मोनू का खौफ बढ़ा तो इनाम पचास हजार हो गया। अगर जेल से निकलने के बाद ही मोनू की कमर तोड़ी जाती,उसे फिर जेल भेजने के इंतजाम किए जाते तो शायद ऐसी स्थिति न आती।
ऐसे आया जुर्म की दुनिया में
मोनू उर्फ अमित जाट (27) पुत्र कुंवरपाल। मोनू का पैतृक मकान रोहटा में था। गांव वाले बताते हैं कि मोनू ने गांव के ही अंकुर को हाईस्कूल में पास कराने के लिए पैसे दिए थे। फेल होने पर उसने पैसे मांगे तो अंकुर ने इन्कार कर दिया। इसके बाद मोनू रंगदारी वसूलने वाले भरतू नाई के संपर्क में आ गया। अंकुर के पिता ओमपाल से एक लाख रुपये की रंगदारी वसूली। भरतू नाई ने मोनू को उधम सिंह से मिलवाया, जिसके बाद उनसे रंगदारी नहीं देने पर पांच हत्याएं की। परिवार में पिता के अलावा मां विमलेश और भाई-भाभी हैं। पुलिस शादीशुदा बहन गीता और मां-बाप को जेल भेज चुकी है। भाई-भाभी की तलाश चल रही है। परिवार गांव का मकान बेचकर मुरादनगर में रहने लगा है।
'मोनू को खत्म कर दीजिए, मुकदमा नहीं होगा'
रोहटा : मंगलवार को रोहटा गांव के शिव मंदिर परिसर आयोजित पंचायत में पुलिस पूरी तरह लाचार दिखी। पुलिस ग्रामीणों से खुद मोनू को खत्म करने का आह्वान करती दिखी। सीओ सरधना ने कहा कि मोनू अब गांव और पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी बीमारी बन गया है। यदि गांव वालों को कहीं भी मोनू मिल जाए तो पुलिस को तत्काल सूचना दें। यदि पुलिस के पहुंचने से पहले उसके फरार होने की आशंका हो तो किसी की परवाह किए बगैर उसे घेर कर मार देना। कोई कार्रवाई नहीं होगी। मोनू की सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा और 50 हजार का इनाम भी दिलाया जाएगा। सीओ ने खुले मंच से कहा कि मेरा तबादला सहारनपुर हो चुका है, लेकिन मैं सिर्फ मोनू का टारगेट पूरा करने के लिए अधिकारियों से गुहार लगाकर रुका हुआ हूं। बैठक में पहुंचे अधिकतर लोगों के चेहरों पर मोनू जाट का खौफ साफ झलक रहा था। कई तो बैठक बीच में ही छोड़कर निकल गए। फोटो खींचने की साफ मनाही थी। पुलिस ने ग्रामीणों को शिव मंदिर में कसम भी खिलाई कि मोनू की कोई सूचना वे पुलिस को देंगे। पुलिस अफसरों में सीओ सरधना ब्रजेश कुमार, क्राइम ब्रांच प्रभारी राजेश वर्मा और एसओ रोहटा एसएस भाटी मौजूद रहे।