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पूरे शहर में मवेशियों का राज, किसी को भी कुचल सकते हैं

मेरठ : तीन बच्चों की मौत ने शहर को हिलाकर रख दिया। रविवार को आवारा यमदूतों की हठधर्मिता का शिकार हुए

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 04:08 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 04:08 AM (IST)
पूरे शहर में मवेशियों का राज, किसी को भी कुचल सकते हैं

मेरठ : तीन बच्चों की मौत ने शहर को हिलाकर रख दिया। रविवार को आवारा यमदूतों की हठधर्मिता का शिकार हुए ये बालक अनायास ही काल के गाल में समा गए। इन मासूमों की गलती महज इतनी थी कि खाली प्लॉट में ये बालक खेल रहे थे। मस्ती की पाठशाला को आवारा यमदूतों ने चंद पलों में मौत की बाहों में धकेल दिया। शहर की बदहाल तस्वीर इस तरह की घटनाओं के लिए खुला प्लेटफार्म बन चुका है। वहीं सरकारी निष्क्रियता ने इसे रनवे बनाने में कसर नहीं छोड़ी है।

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रविवार को आरटीओ के पास मैदान में खेल रहे बच्चों की मौत भैंसों के चलते हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक खाली प्लॉट में चर रहीं भैंसे एक-दूसरे से लड़ने लगीं। एकाएक ठेलते हुए दीवार ढहा दी और दौड़ पड़ीं। दीवार गिरी और बच्चों की दर्दनाक मौत हो गयी। वास्तव में पूरा शहर इन आवारा यमदूतों की गिरफ्त में समाया हुआ है। शायद ही शहर का ऐसा कोई भाग हो जहां इनका विचरण, हमें परेशानी में न डालता हो।

सुबह सवेरे और शाम को जीआइसी कालेज, छीपी टैंक, बच्चा पार्क, जिमखाना मैदान, बुढ़ानागेट, सुभाष बाजार, भाटवाड़ा, शाहपीर गेट, सुभाषनगर, सूरजकुंड मार्ग, फूल बाग कालोनी, नेहरूनगर, शास्त्रीनगर, जागृति विहार, पल्लवपुरम आदि क्षेत्रों में सड़क पर ही डेयरियां शुरू हो जाती हैं। पशुपालक सड़कों पर आवारा पशुओं को खदेड़ते हुए लाते हैं, दूध निकला जाता है और फिर वापसी की राह पकड़ ली जाती है। सड़क पर आवारा पशुओं का यह विचरण न केवल जाम का सबब बनता है बल्कि कई बार तो इनसे टकराकर वाहन स्वामी घायल भी हो जाते हैं। लेकिन इन बिगड़ते हालातों को सुधारने की कवायद कभी किसी स्तर से नहीं हो पायी।

नौचंदी मैदान, विक्टोरिया पार्क बना शरणस्थली

शहर में सबसे ज्यादा डेयरियां तो वैसे मकबरा अबू में हैं। लेकिन शहर का कोई भी भाग अवैध डेयरियों से अछूता नहीं है। नौचंदी मैदान तो पूरे साल इनकी शरणस्थली बना रहता है। जबकि विक्टोरिया पार्क में भी इनका बसेरा है। विक्टोरिया पार्क के पास आबू नाले में नहाती भैंसें कई बार लोगों को चोटिल कर देती हैं। लेकिन न तो इसकी फिक्र पशु पालकों को है ओर न ही सरकारी तंत्र को।


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