कोरोना खाया नौकरी, फसल खा गया पानी, अधर में जवानी
जागरण संवाददाता मऊ जिले के हजारों किसान परिवारों की चुनौतियां इन दिनों बढ़ गई हैं।
जागरण संवाददाता, मऊ : जिले के हजारों किसान परिवारों की चुनौतियां इन दिनों बढ़ गई हैं। महानगरों में रोजी-रोटी की तलाश में गए किसानों के बेटे नौकरी छोड़कर घर आ गए हैं तो गांवों में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है। इधर, लगातार बारिश के बाद जलजमाव और बाढ़ से हजारों किसानों की फसल बर्बादी की भेंट चढ़ चुकी है। इसमें फसल तो गई ही किसानों और महानगरों से लौटे उनके बेटों का कृषि लागत के रूप में बचा-खुचा धन भी पानी में बह गया है। फसल गवां चुके किसानों के घर में रोटी का एक-एक निवाला भारी पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशान वे युवक हैं जो कोरोना से अपनी नौकरी खो चुके हैं और गांवों में उन्हें कहीं कोई काम नहीं मिल पा रहा है। समूचे पूर्वांचल का हाल लगभग एक जैसा है। जिले में औद्योगिकीकरण न के बराबर है। सरकारी नौकरी से वंचित किसानों के बेटे या तो शहर की दुकानों-मालों में माल की ढुलाई और मुनीबी कर के जीवनयापन कर रहे थे, या निजी स्कूलों-विद्यालयों में शिक्षण कार्य करके। बचे-खुचे महानगरों में मजदूरी और छोटी-मोटी नौकरी करके परिवार की नैया पार लगाने में लगे थे। कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद पिछले चार माह से उनके पास कोई काम नहीं है। कोपागंज के पश्चिमोत्तर भाग में सैकड़ों एकड़ किसानों की धान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। इससे बेरोजगार श्रमिकों और किसानों के परिवार क्या खाएंगे अब इसकी चिता सता रही है। बच्चों की सेवा और घर के बुजुर्गों की दवा अब श्रमिक परिवारों की सबसे बड़ी चिता बन गई है। हिकमा, काछीकला और भदसा मानोपुर के किसान मनोज कुमार, बबलू, अशोक यादव, पूर्व प्रधान भदसा रामचंद्र राय ने कहा कि उपजिलाधिकारी सदर से पानी से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगा गया है। वर्जन ..
जल्द ही राजस्व टीम के माध्यम से सर्वे कराकर क्षति का आंकलन किया जाएगा। बाढ़ से जिन किसानों का नुकसान हुआ है उन्हें मुआवजा मिलेगा।
- निरंकार सिंह, उपजिलाधिकारी सदर।