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महिला एवं सीमांत किसानों को धान खरीद में वरीयता

इस खरीफ सत्र में किसान भले ही कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि से जूझता रहा है पर खाद्य एवं विपणन विभाग इस बार किसानों को पुचकार रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 10:27 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 10:27 PM (IST)
महिला एवं सीमांत किसानों को धान खरीद में वरीयता
महिला एवं सीमांत किसानों को धान खरीद में वरीयता

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : इस खरीफ सत्र में किसान भले ही कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि से जूझता रहा है पर खाद्य एवं विपणन विभाग इस बार किसानों को पुचकार रहा है। धान क्रय केंद्रों पर हरेक किसान का उत्पाद खरीदने की कवायद के क्रम में विभाग ने सीमांत, लघु सीमांत एवं महिला किसानों को क्रय केंद्र पर प्राथमिकता देने की योजना तैयार किया है। किसानों के खाते में आरटीजीएस की बजाय सीधे ही आनलाइन भुगतान की व्यवस्था के चलते जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी विपुल कुमार सिन्हा ने पंजीकरण के दौरान किसानों को बैंक खाते का नंबर, शाखा का नाम, आईएफएससी कोड एवं अन्य विवरण पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी है।

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इस बार जिले के किसानों से 71 हजार मीट्रिक धान क्रय करने हेतु 42 केंद्र स्थापित हैं। यह संख्या बीते वर्ष जिले में स्थापित 59 क्रय केंद्रों से काफी कम है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी विपुल कुमार सिन्हा ने मांग के अनुरूप कुछ केंद्र बढ़ाए जाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने पंजीकृत किसान से ही धान की खरीद किए जाने की अनिवार्यता का हवाला देते हुए सभी को पंजीकरण कराने की सलाह दी है।

पंजीकरण के दौरान किसान अपना बैंक खाता संख्या और आईएफसी कोड, शाखा का नाम, भरें। किसान आइएफएससी कोड एवं नाम पर विशेष ध्यान दें।

कारण यह कि इस बार केंद्र प्रभारी द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से धन का मूल्य नहीं भेजा जाएगा। किसान के खाते में शासन स्तर से ही आनलाइन भुगतान किया जाएगा। केंद्र पर धान बेचने के दौरान भी किसान अपना आधार एवं बैंक पास बुक ले जाएं ताकि केंद्र प्रभारी इसका सत्यापन कर सकें।

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खुले बाजार में धान बेचने को प्राथमिकता देते हैं किसान

धान क्रय केंद्रों पर भले ही तमाम व्यवस्थाएं हो रही हैं एवं केंद्र पर बीते वर्षो की तर्ज पर किसानों का जमघट भी लगेगा पर यह तय है कि जिले के समस्त किसान शासकीय क्रय केंद्र पर धान नहीं बेचेंगे। मानक का झाम, केंद्र पर नंबर लगाने और बारी का इंतजार सहित कटौती इसके प्रमुख कारण हैं। इस कटु अनुभव से बीते आठ वर्षों से जूझ रहा किसान इस बार केंद्र पर आएगा, इसे लेकर शंका है। उधर केंद्र प्रभारियों की समस्या यह कि चंद मिले ही अनुबंधित होने के कारण खरीद के बाद उठान धीमी गति से होती है। इसके चलते स्थानाभाव में खरीद की गति मद्धिम हो जाती है। धान का मानक भी ऐसा है कि जिले में पैदा होने वाली धान की प्रजाति खरी उतर ही नहीं सकती। उधर तमाम किसान धान को सुखाने और केंद्र पर ले आने की जहमत से बचने को खेत से ही धान बेच देते हैं।

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राइस मिल संचालक नहीं आते हैं आग

पूर्व में प्रदेश में धान की खरीद हेतु लागू स्टेट पूल के समाप्त होने के बाद वर्ष 12-13 से राइस मिल संचालक सहमे हैं। सीएमआर को लेकर पीसीएफ (भारतीय खाद्य निगम) ऐसा अड़ा है कि जिले की तमाम मिलें मानक के अनुरूप चावल नहीं दे सकती हैं। इससे इतर वर्ष 13-14 में राइस मिल संचालकों के विरुद्ध आरसी जारी होने सहित कालांतर में वसूली, मुकदमा एवं अन्य उत्पीड़नात्मक कार्रवाई का ऐसा दौर चला कि राइस मिलों ने अब हाथ खड़ा कर लिया है।

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स्टेट पूल ही एकमात्र विकल्प

स्टेट पूल समाप्त होने के बाद धान की खरीद बेपटरी हो गई। इस व्यवस्था के तहत राइस मिलों का चावल जिले में ही उचित दर विक्रेताओं को वितरण हेतु निर्गत किया जाता है। इससे एक तो अन्य प्रांतों से चावल मंगाने और यहां का चावल अन्यत्र भेजे जाने में होने वाला परिवहन व्यय शून्य हो जाता है, दूसरे एफसीआई को अड़ने का मौका नहीं मिलता है।

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(बाक्स में या इनसेट लगाएं ) ऐसे कराएं पंजीकरण

किसान किसी भी जनसेवा केंद्र से आनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। किसान बैंक खाते का नंबर, शाखा का नाम, आईएफएससी कोड एवं अन्य विवरण पर विशेष ध्यान देकर पंजीकरण कराएं। पंजीकरण के बाद प्रिट आउट अवश्य लें और यदि कोई त्रुटि हो तो तुरंत संशोधन करा लें। रबी सत्र में जिन किसानों ने पंजीकरण कराया है, उन्हें धान विक्रय हेतु पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है परंतु पंजीकृत प्रपत्र में यथा आवश्यक संशोधन कर या बिना संशोधन के पुन: लॉक करना होगा। पंजीकरण हेतु किसान खाद्य विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण हेतु खतौनी, बैंक पास बुक और आधार कार्ड लेकर जाएं। बोऐ गए धान का रकबा अवश्य अंकित करें।

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नवंबर के अंतिम सप्ताह में बढ़ेगी खरीद की गति

जिले में धान की कटाई भले ही प्रारंभ हो गई है पर धान उत्पादक क्षेत्रों में अभी कटाई विलंबित है। धान की फसल अभी पकी नहीं हैं। खेत में नमी के चलते कंबाइन से कटाई भी अभी संभव नहीं है। ऐसे में धान की खरीद भले ही एक नवंबर से प्रारंभ हो रही है पर नवंबर के अंतिम सप्ताह के बाद ही गति पकड़ेगी।

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यह भी जानें : धान का समर्थन मूल्य

1815 रुपये प्रति कुंतल सामान्य प्रजाति

1835 रुपये प्रति कुंतल ए ग्रेड प्रजाति

42 स्थापित क्रय केंद्र (वृद्धि संभावित)

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वर्जन--

कलेक्ट्रेट सभागार में गुरुवार की दोपहर को जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में धान क्रय कार्यशाला आयोजित की गई है। कुछ नए क्रय केंद्रों की स्थापना पर विचार होगा। धान की खरीद के दौरान किसानों विशेषकर महिला एवं छोटे किसानों को दी जाने वाली तमाम सुविधाएं भी एजेंडा में शामिल हैं।

-वीके सिन्हा, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी


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