प्रतिभाओं को तराशने में कौशल का प्रयोग करें शिक्षक
प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हों या फिर मदरसे में पढ़ने वाले, उनमें प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। उनकी प्रतिभा का सही-सही आकलन कर यदि उन्हें समर्पण के साथ पढ़ाया जाए तो उन्हें पहचान बनाते देर नहीं लगेगी।
जागरण संवाददाता, मऊ : प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हों या फिर मदरसे में पढ़ने वाले, उनमें प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। उनकी प्रतिभा का सही-सही आकलन कर यदि उन्हें समर्पण के साथ पढ़ाया जाए तो उन्हें पहचान बनाते देर नहीं लगेगी। शिक्षण कौशल के समुचित प्रयोग से ही प्रतिभाओं को बेहतर ढंग से पढ़ाया और तराशा जा सकता है। यह बातें डायट प्रांगण में मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के 15 दिवसीय प्रशिक्षण के समापन समारोह को संबोधित करते हुए डायट प्राचार्य रामचंद्र ¨सह यादव ने कहीं।
अंतिम दिन मदरसा शिक्षकों ने प्रशिक्षण में सीखी गई बातों को पोस्टर-चार्टों व भाषण के जरिए एक-दूसरे से साझा किया। डायट के प्रशिक्षक नदीम खान ने कहा कि अध्यापकों को बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए पहले उन्हें समझना चाहिए। बच्चों के साथ एक रिश्ता कायम करते हुए उन्हें शिक्षा देना होगा, तभी यह सार्थक होगी। नरगिस जमाल कादरी ने बच्चों को डराकर नहीं बल्कि पढ़ाई के प्रति उत्सुक करके पढ़ाए जाने पर जोर दिया। अंत में सभी शिक्षकों ने पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर अजमल, एकलाख अहमद, जावेद अख्तर, कन्हैया गुप्ता, काजी फैजुल्लाह, शमसीर अहमद आदि उपस्थित थे।